बोर्ड परीक्षा के समय अभिभावक अपने बच्चों को कैसे रखें तनाव से दूर

इस लेख में हम कुछ ऐसी बातें बतायेंगे जिसे अभिभावकों को बच्चों के परीक्षा के दौरान अवश्य ध्यान में रखना चाहिए।

Mar 9, 2017, 12:26 IST

Tips to overcome the exam stress

एग्जाम का टाइम एक ऐसा समय होता है, जब बच्चों के साथ-साथ अभिभावक भी परीक्षा का दबाव महसूस करने लगते हैं। कई बार बच्चों को सबसे आगे देखने या कॉम्पिटिशन करने के चक्कर में अभिभावक बच्चों पर तनाव देना शुरू करने लगते हैं| एग्जाम के समय कॉम्पिटिशन की यह भावना कुछ हद तक अच्छी हो सकती है लेकिन हद पार होने पर यह पेरेंट्स और उनके बच्चों के लिए तनाव का कारण बन जाती है। मनोविशेषज्ञों का मानना है कि कुछ हद तक पेरेंट्स जाने-अनजाने बच्चों पर अच्छा प्रदर्शन करने का दबाव बनाते हैं, जिसकी वजह से वे तनाव का शिकार हो जाते हैं। अब समय जागरूक होने और यह जानने का है कि अभिभावक बच्चों पर दबाव बिना कोई दबाव डाले एक्साम्स में उनकी मदद कैसे कर सकते हैं|

पेरेंट्स एग्जाम में बच्चे की मदद कैसे करें?

एग्जाम टाइम में अपने बच्चे की सहायक बनें। परीक्षा का तनाव बच्चे को महसूस न हों, इसके लिए पेरेंट्स को कुछ ऐसे तरीके अपनाने होंगे की बच्चों को एग्जाम को लेकर स्ट्रेस भी कम हो और उनकी तैयारी भी अच्छी तरह से हो सके| बच्चे को टाइमटेबल बनाने और उसी के अनुसार पढ़ाई करने में मदद करें, ताकि आपके बच्चे के पास रिवीजन के लिए पर्याप्त समय बचे। कोई कॉन्सेप्ट बच्चे को स्पष्ट न हो तो उसे समझाने में सहायता करें ताकि वह उस टॉपिक को समझ कर आगे बढ़ सकें| एग्जाम से पहले सभी विषयों के छोटे-छोटे टेस्ट लें इससे न सिर्फ उन्हें जल्दी लिखने का अभ्यास होगा, बल्कि उत्तर को सही तरह से लिखने का भी तरीका समझ आएगा। तैयारी के दौरान बच्चे को सेहतमंद रखने के लिए पौष्टिक भोजन देना भी बहुत जरूरी है। बच्चे की पूरी नींद और आराम का ध्यान रखें और जितना हो सके एग्जाम के समय बच्चों को मोटीवेट करते रहें और भावनात्मक सहारा दें। 

बोर्ड परीक्षा के दौरान टाइम मैनेज करने के कुछ सरल मंत्र

यह जानना बहुत ज़रूरी है की कहीं आपका बच्चा एग्जाम स्ट्रेस में तो नहीं?

आमतौर पर बच्चे इस बात को लेकर परेशान होते हैं कि उनकी तैयारी पूरी नहीं है या तैयारी पूरी होने के बावजूद बहुत स्ट्रेस है।आम तौर पर चिंता के कारण कुछ बच्चे सो नहीं पाते या कुछ बहुत ज्यादा सोने लगते हैं। एग्जाम के ठीक पहले कुछ बच्चों की तबियत ख़राब होने लगती है और कुछ रिजल्ट को लेकर निराश होते दीखते हैं।अत्यधिक तनाव होने पर कुछ बच्चे खुद को नुकसान पहुंचाने की भी कोशिश करते हैं। इसी प्रकार अलग-अलग तरीके से बच्चों में एग्जाम को लेकर तनाव होता है और पेरेंट्स को इस तनाव से बच्चों को दूर रखने के लिए हमेशा अपने बच्चे की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए और उसे अपनी चिंताओं को दूर करने परोत्साहित करना चाहिए, अपने बच्चों की मदद करें ताकि वह अपना आत्मविश्वास बढ़ा सकें और एग्जाम में अच्छे तरीके से परफॉर्म कर सके|

क्या बच्चे को रात में पढऩे की अनुमति देना सही है?

सभी बच्चे एक दुसरे से अलग होते हैं और उसी तरह उनकी पढऩे की आदतें भीं। कुछ रात में जल्दी सोना और सुबह जल्दी उठकर पढऩा पसंद करते हैं तो कुछ रात में देर तक पढऩा और सुबह सोना पसंद करते हैं। बच्चा जैसा चाहे, वैसा करने दें बस एक बात का धयान दें की अगर बच्चा देर रात पढ़ रहा है तो जब वो सोये 7-8 घंटे की नींद ज़रूर ले|

बच्चो पर अच्छे नंबर लाने का दबाव कभी न बनाये :

एग्जाम के समय पहले से ही बच्चे के मन में यह तनाव रहता है की उसे अच्छे नंबर लाने है| ऐसे में यदि माता-पिता भी बच्चों के अच्छे नंबर लाने का प्रेशर देते रहें तो इस परिस्तिथि में बच्चे तनाव में आ ही जाते है| इसीलिए हर माता-पिता को अपने बच्चों पर अपनी मर्जी नहीं थोपनी चाहिए|

बच्चों पर पढाई को लेकर निगरानी का तरीका बदलें :

हाई स्कूल में आने के बाद अधिकतर बच्चे पढ़ाई के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझने लगते हैं जिस कारण उन्हें हर समय पढाई को लेकर समझाने की ज़रूरत नहीं पड़ती। ऐसे में उन्हें नियंत्रित करने की बजाय अपने हिसाब से पढ़ाई करने की छूट दें। जरूरत से ज्यादा निगरानी और निर्देश देना उन्हें सीखने में मदद नहीं करेगा। हाई स्कूल के बच्चों को साथ बैठकर पढ़ाने की बजाय उन्हें कहें कि कोई टॉपिक समझ न आने पर वह आपके पास मदद लेने आ सकते हैं और अपने बच्चे को यह समझाएं की उन्हें एग्जाम की टेंशन लेने की जरूरत नहीं है। हमेशा बच्चे को यह बताएं कि माक्र्स से ज्यादा सीखना महत्वपूर्ण है। इससे उन पर दबाव नहीं बनेगा और बच्चे निडर हो कर एग्जाम का सामना कर सकेंगे|
परीक्षा के दौरान पेरेंट्स खुद को भी रखें तनावमुक्त :

सबसे पहले यह समझें कि हर बच्चा अपने आप में खास होता है और उसकी क्षमता और  टैलेंट भी दूसरे बच्चों से अलग होती है। और यह भी मानना गलत नहीं कि रैंक लाए बिना भी जीवन में आगे बढ़ा जा सकता है।अंकों के बल पर बच्चे का मूल्यांकन करना खिन से सही नहीं होता| मार्कशीट का परिणाम जीवन का एक हिस्सा ज़रूर है,लेकिन पूरा जीवन नहीं है। बच्चे की क्षमताओं को समझना और उसी के अनुसार संभावनाओं की तलाश करना समझदारी होगी और इससे आपका तनाव भी बहुत हद तक कम होगा|

शुभकामनायें!!

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Jagran Josh
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Education Desk

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