आंगनवाड़ी स्कूलों की महत्ता को स्वीकारते हुए सरकार बच्चों की शिक्षा व्यवस्था में इसकी भूमिका का और अधिक विस्तार करने जा रही है. जी हाँ महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गाँधी ने यह कहा है कि आंगनवाडी को अब नए स्वरूप देते हुए इसका विकास प्री-स्कूल एजुकेशन के रूप में किया जायेगा.
इस बदलाव के तहत अब आंगनवाडी वर्कर्स प्री-स्कूल टीचर की भूमिका में नजर आयेंगे. इसके लिए वृहत स्तर पर आंगनवाडी वर्कर्स को ट्रेनिंग दिए जाने की दिशा में प्रयास शुरू किया जा रहा है. आंकड़े पर अगर गौर करें तो देश के सभी आंगनवाडी केन्द्रों में 27 लाख आंगनवाडी वर्कर्स एवं 14 लाख हेल्पर्स कार्यरत है.
वर्तमान में अगर आंगनवाडी वर्कर की भूमिका को देखें तो उनका काम केवल बच्चों एवं स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए पौष्टिक आहार का वितरण ही रह गया है. इसीलिए सरकार देश के गाँव गाँव में फैले आंगनवाडी केन्द्रों में कार्यरत महिलाओं को प्री स्कूल टीचर के रूप में तैयार करेगी जो बच्चों को शिक्षा भी देने का काम करेंगे.
आंगनवाडी केन्द्रों को प्री-प्राइमरी स्कूल में तब्दील करने के साथ छोटे बच्चों को स्कूल में पढने के लिए तैयार करने, उनकी मानसिकता में बदलाव करने तथा आंगनवाडी केन्द्रों में स्कूल जैसा वातावरण बनाने के साथ साथ नामाकन में बढ़ोतरी के लिए आंगनवाडी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गाँधी ने सभी आंगनवाडी कार्यकर्ताओं से आह्वान करते हुए कहा है कि उन्हें बच्चों के विकास के साथ साथ सामुदायिक गतिशीलता एवं लोगों को जागरुक करने में खुद को खपा देने की जरुरत है.
देश में फैले आंगनवाडी केन्द्रों में कार्यरत आंगनवाडी वर्कर्स की भूमिका किसी से अछूती नही है. उन्होंने छोटे बच्चों एवं महिलाओं के स्वास्थ्य देखभाल में अपना अहम् रोल अदा किया है. और अब सरकार के इस नये पहल से वे एक और नई भूमिका में नजर आयेंगे जो बच्चों के भविष्य की नींव रखने में अपना योगदान देंगीं.
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