कर्मचारी चयन आयोग (SSC), संयुक्त स्नातक स्तर (CGL) परीक्षा के द्वारा किसी भी जिले में एक या दो डाक विभागों की जिम्मेदारी लेने के लिए डाक निरीक्षकों का चयन करता है। यह पोस्ट देश भर में किसी भी डाक विभाग में अफसर की भर्ती के लिए होती है। यह पोस्ट इतनी आकर्षक नहीं होती है व साथ ही इसमें चुनौतियों से भरे कोई भी रोमांचक कार्य सम्मिलित नहीं है। डाक निरीक्षकों की पोस्टिंग किसी विशेष डाक विभाग में रिक्तियों के अनुसार की जाती है। उस पर अपने डिवीज़न / उपखंड के भीतर के 60 से 70 डाकघरों की जिम्मेदारी होती हैं। डाक निरीक्षक को आम तौर पर उनके डिवीज़न में दो मेल समीक्षक सहायक के रूप में प्रदान किये जाते है और नियुक्ति प्राधिकारी के रूप में वह ग्रामिक डाक सेवक के पदों के लिए उम्मीदवारों के साक्षात्कार आयोजित करने की शक्तियां रखता है। एक जिले में कम से कम दो प्रभागो का होना आवश्यक है| अत: किसी भी जिले में कम से कम दो डाक निरीक्षक पदों का होना अति आवश्यक है।
भारतीय पोस्ट क्या है?
भारत में डाक विभाग को भारतीय पोस्ट के रूप में जाना जाता है यह भारत में एक सरकारी संचालित डाक प्रणाली है जिसे आम तौर पर 'डाकघर' के नाम से जाना जाता है। भारतीय डाक विभाग के देश भर में लगभग 1.5 लाख डाकघर हैं। देश भर में डाकघर का नेटवर्क भारत में स्वतंत्रता के बाद बेहद बढ़ गया है और परिणामस्वरूप विभाग में काम कर रहे लोगों की मांग भी बढ़ समयानुसार बढ़ रही है। देहाती क्षेत्रों तक पहुंच और देश के दूरस्थ क्षेत्रों में उपस्थिति के कारण, भारतीय पोस्ट दुनिया में सबसे दूरस्थ और सबसे व्यापक रूप से स्थापित वितरित डाक प्रणाली है| भारतीय पोस्ट अपने संभावित ग्राहकों को छोटी-छोटी बैंकिंग और वित्तीय लेनदेन जैसी सेवाओं को भी प्रदान करता है। भारतीय डाक विभाग 22 डाक सर्किलों में विभाजित है, जो आगे क्षेत्रों, डिवीजनों और सब-डिवीज़नो में विभाजित हैं। डिवीजनों और सब-डिवीज़नो का नेतृत्व डाक निरीक्षकों द्वारा किया जाता है।
डाक निरीक्षक का जॉब प्रोफाइल
डाक निरीक्षक पद एक ग्रुप-‘बी’ गैर-राजपत्रित पद है जो SSC CGL उम्मीदवारों के बीच यह पद अन्य प्रस्तावित पदों में से सबसे कम वरीयता वाली जॉब प्रोफाइलों में से एक है| उम्मीदवारों में इस पद की नापसंदी का मुख्य कारण किसी भी सामाजिक प्रतिष्ठा या तीव्र कार्यभार के बदले में क्रेडेंशियल्स का न मिलना है। इस नौकरी को अक्सर फील्ड की नौकरी माना जाता है, लेकिन इस फील्ड जॉब में थोड़ी सी उत्तेजना का अभाव रहता है। इसे एक लिपिकीय नौकरी से ज्यादा और कुछ नहीं कहा जा सकता है जिसमे आपको डेस्क नौकरी की तरह थकान से भरे तय कार्यसमय को कार्यालय में बिताना पड़ता है। डाक निरीक्षकों को पूरे दिन में फाइलों, कागज़ातों और दस्तावेजों में फेरबदल करना होता है और अपने डिवीजन के लगभग 60- 70 डाकघरों का ध्यान रखना होता है। डाक निरीक्षकों पर सरकार द्वारा संचालित प्रोडक्ट्स का लोगों के मध्य प्रचार करने की जिम्मेदारी भी होती है ताकि लोग डाकघर से पोस्टल जीवन बीमा व अन्य प्रोडक्ट भी खरीद सकें। इसके अतिरिक्त, उन्हें लोगों को सरकार द्वारा शुरू की गई कुछ योजनाओं को समझाना और डाक विभाग के लिए धन एकत्र करने के लिए उन पोलिसीओं को बेचना भी पड़ता है। डाक विभाग द्वारा डाक निरीक्षकों को हाल ही में सूचित किया गया है कि उन्हें कम से कम प्रत्येक सर्कल में न्यूनतम 20 प्रतिशत तक की आवश्यक वृद्धि करनी है| जिसके फलस्वरूप डाकघर में डाक निरीक्षकों पर अतिरिक्त दबाव बना रहता है।
डाक निरीक्षक का वेतनमान
किसी भी अन्य ग्रेड-‘बी’ अधिकारी की तरह डाक निरीक्षको को वेतनबैंड-II (रुपये 9,300-34800) व 4200 / -की ग्रेड पे के अंतर्गत भुगतान किया जाता है। उन्हें टेलीफोन बिल और इंटरनेट शुल्क के लिए 750 रु० के अलग मासिक भत्ते का भुगतान किया जाता है व साथ ही उन्हें लैपटॉप भी प्रदान किया जाता है| विभाग उनकी यात्रा के खर्च की प्रतिपूर्ति भी करता है|
डाक निरीक्षक की पदोन्नति नीति
डाक निरीक्षकों को सबसे पहले पदोन्नति संभावित रूप से उप विभाग, विभागीय / क्षेत्रीय / सर्कल कार्यालयों या नई दिल्ली के पोस्टल निदेशालय में सहायक अधीक्षक के रूप में मिलती है। इस पदोन्नति तक पहुँचने के लिए अप्पको कम से कम 5 वर्षों तक किसी डिवीज़न में डाक निरीक्षक के रूप में कार्य करना पड़ता है। उम्मीदवार डाक / आरएमएस प्रभागों में अधीक्षक के स्तर तक पहुंच सकते हैं और क्षेत्रीय / सर्कल कार्यालयों में सहायक निदेशकों तक आगे बढ़ सकते हैं। वरिष्ठ अधीक्षक और डाक सेवा पदों के निदेशक तक आप अपने कैरियर के अंत तक पर पहुँच सकते हैं जोकि समय के आधार पर आपके कौशल और प्रदर्शन पर निर्भर करता है।
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