In this article you will get UP Board class 10th Science notes on Classification of elements third part. Here we are providing each and every notes in a very simple and systematic way. Many students find science intimidating and they feel that here are lots of thing to be memorised. However Science is not difficult if one take care to understand the concepts well.The main topic cover in this article is given below :
1. मेन्डेलीफ की संशोधित आवर्त सारणी के दोषों का निराकरण
2. दीर्घाकार आवर्त सारणी के मुख्य लक्षण अथवा विशेषताएँ
3. आधुनिक आवर्त सारणी
4. आवर्तों में आवर्तिता
5. ऋण विद्युत् प्रकृति में परिवर्तन
6. संयोज़कत्ता में क्रमिक परिवर्तन
7. हाइड्रोजन की स्तिथि
8. क्षार धातुओं से समानता
मेन्डेलीफ की संशोधित आवर्त सारणी के दोषों का निराकरण :
परमाणुओं की इलेवट्रॉनिक संरचना के आधार पर कहा जा सकता है कि तत्वों के रासायनिक गुण उनमें उपस्थित इलेक्ट्रॉनों' की संख्या पर निर्भर करते है, अत: तत्व का परमाणु क्रमांक उसका आघारभूत गुण है। इसका अर्थ है कि तत्वों को जब उनके बढ़ते हुए परमाणु क्रमांक के आधार पर क्रमबद्ध लिखा जाता है को एक निश्चित अवधि के उपरान्त समान गुणों की पुनरावृति होती है। रांग, वर्नर तथा बरी ने उपर्युक्त आधार पर एक सारणी निर्मित की, जिसे दीर्धाकार या प्रवर्धित आवर्त सारणी कहते है। मेन्डेलीफ की संशोधित आवर्त सारणी के दोषों का निराकरण इसमें निम्नलिखित प्रकार किया गया -

(1) इसमें तत्वों को उनके बढ़ते परमाणु भारों के आधार पर न रखकर परमाणु क्रमाक के आधार पर रखा गया है।
(2) इसमें समभारिकों को अलग से स्थान दिया गया है।
(3) इसमें दुर्लभ मृदा धातुओं को अलग से लैंथेनानाइट व ऐक्टिनाइड श्रेणियों के रूप में स्थान दिया गया है।
(4) इसमें समान गुण वाले तत्वों को एक साथ तथा असमान गुण वाले तत्वों को अलग-अलग स्थान दिया गया है।
(5) इसमें आठवें समूह के तत्वों कों तीन उर्ध्वाधर स्तम्भों में उनके क्रमश परमाणु क्रमाकों के कारण रखा गया है।
दीर्घाकार आवर्त सारणी के मुख्य लक्षण अथवा विशेषताएँ :
(1) इस सारणी में 7 क्षेतिज पंक्तियाँ (horizontal rows) है जिन्हें आवर्त कहते हैं। पहले, दूसरे, तीसरे, चौथे पाँचवें, छठे तथा सातवें आवर्त में क्रमश 28, 8, 18, 18, 32 तथा 26 तत्व है।" पहले, दूसरे तथा तीसरे आवर्ती को लघु आवर्त तथा चौथे, पाँचवें, छठे व सातवें आवर्ती को दीर्घ आवर्त कहते हैं। सातवाँ आवर्त अभी भी अपूर्ण है।
(2) इस सारणी में 18 उर्ध्वाधर (vertical) स्तम्भ (columns) है जिन्हें वर्ग या समूह कहते हैं। इन समूहो" को आवर्त सारणी में बाएँ से दाएँ निम्नलिखित क्रम में व्यवस्थित किया गया है – 1 है, I - A, II - A, III - B, IV -B, V - B, VI - B, VII - B, VIII, I – B, II – B, III - A, IV - A, V – A, VI - A, VII - A तथा शून्य|
VIII समूह कों तीन स्तम्भो में बाँटा गया है -
VIII तथा शून्य समूह को छोड़कर अन्य समूहों को उपसमूह कह सकते हैं। जैसे I – A, II – A, ……….उपसमूह हैं।
(3) तत्वों को उनके परमाणु क्रमाकों के बढते हुए क्रम में रखा गया है।
(4) समान इलेक्ट्रॉनिक विन्यास वाले तत्वों को एक साथ रखा गया है।
(5) सभी A उपवर्गों के तत्व; सामान्य या प्रारूपिक तत्व कहलाते हैं।
(6) सभी B उपवर्गों के तत्व; संक्रमण तत्व कहलाते है।
(7) परमाणु क्रमाक 58 से 71 तक के तत्वों (लेंथेनाइडस) तथा परमाणु क्रमाक 90 से 103 तक के तत्वों (ऐकटीनाइड्स) को सारणी में अलग स्थान दिया गया हैं।
(8) सभी धात्विक तत्व सारणी में बाई ओर तथा अधात्विक तत्व दाई ओर रखे गए हैं। अन्तिम चार आयतों में क्रमश: 18, 18, 32 तथा 26 तत्व हैं।
UP Board Class 10 Science Notes : Classification of elements, Part-I
आधुनिक आवर्त सारणी :
मेण्डेलीफ की आवर्त सारणी में धीरे - धीरे अनेक सुधार किए गए। मोजले (Mosley) ने 1913 ईं० में परमाणु क्रमांक (Atomic number) की खोज करने के पश्चात् यह सिद्ध किया कि परमाणु का आधारभूत गुण परमाणु क्रमांक है, न कि परमाणु भार| उन्होंने परमाणु क्रमांक का तत्वों के गुणधर्मों से सीधा सम्बन्ध बताते हुए एक नियम प्रतिपादित किया। इसे आधुनिक आवर्त नियम कहा जाता है। इस नियम के अनुसार तत्वों के भौतिक तथा रासायनिक गुण उनके परमाणु क्रमांकों के आवर्ती फलन होते हैं! (“The Physical and Chemical properties of elements are a periodic function of their atomic numbers.”)
इस कथन से यह अभिप्राय है कि त्तत्वों कों उनके परमाणु क्रमाकों के बढ़ते हुए क्रम से क्षैतिज पंक्तियों में व्यवस्थित करने पर एक नियमित अन्तर से गुणों की पुनरावृति होती है अर्थात् गुणों की आवर्तिता प्रदर्शित होती है।
मेण्डेलीफ के आधुनिक आवर्त नियम के आधार पर मोजले ने सन् 1913 में तत्वों को उनके परमाणु क्रमाकों के बढ़ते हुए क्रम में रखकर एक सारणी बनाई जिसे मेण्डेलीफ की आधुनिक आवर्त सारणी कहते है|
आवर्तों में आवर्तिता :
1. ऋण विद्युत् प्रकृति में परिवर्तन - प्रत्येक आवर्त में बाएँ से दाएँ चलने पर तत्व की ऋण विद्युत् प्रकृति में क्रमिक वृद्धि होती है, जैसे - P से S अधिक ऋण विद्युती है।
2. संयोज़कत्ता में क्रमिक परिवर्तन - लघु आवर्ती के तत्वों की हाइड्रोजन के प्रति संयोजकता पहले 1 से 4 तक बढ़ती है तथा इसके बाद 4 से 1 तक क्रमश: घटती है।
उपर्युक्त विवरण के आधार पर हाइड्रोजन का संशोधित आवर्त सारणी में स्थान निश्चित नहीं है। यह IA की क्षार धातुओं और VIIA के हैलोजेन है समानता रखता है। इसका दोहरा व्यवहार इसके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के कारण है। इसके बाहरी कक्ष में केवल एक इलेक्ट्रॉन है| यह एक इलेक्ट्रॉन देकर [H+] आयन देता है तथा क्षार धातुओं के समान व्यवहार करता है। यह एक इलेक्ट्रॉन लेकर [H-] आयन देता है और हैलोजेन के समान व्यवहार करता है।
क्षार धातुओं से समानता :
UP Board Class 10 Science Notes : Methods of preparation, properties and uses of some salts part-I
UP Board Class 10 Science Notes : Metals and Non Metals Part-II