UP Board Class 10 Science Notes : electromagnetic induction, Part-II

Nov 22, 2018, 12:30 IST

Find UP Board class 10th science chapter notes from here. This chapter notes cover all important formulae and concepts given in the chapter. UP Board class 10 or high school science revision notes on Chapter-9: (electromagnetic induction)second part is available here in hindi.Having UP Board Science chapter wise notes for class 10 provides an additional advantage in preparation for class 10 Board exam 2019.

UP Board class 10th science notes on electromagnetic induction Part II
UP Board class 10th science notes on electromagnetic induction Part II

Get UP Board class 10th Science chapter, electromagnetic induction: Study notes in Hindi. This chapter is one of the most important chapters of UP Board class 10 Science. So, students must prepare this chapter thoroughly. The notes provided here will be very helpful for the students who are going to appear in UP Board class 10th Science Board exam 2019 and also in the internal exams.
Main topics covered in this article are:

1. प्रत्यावर्ती धारा डायनमो अथवा विद्युत् – जनित्र, सिद्धान्त, संरचना(मुख्य भाग), कार्यविधि

2. दिष्ट धारा डायनमो अथवा जनित्र –सिद्धान्त, संरचना(मुख्य भाग), कार्यविधि

3. दिष्ट धारा एवं प्रत्यावर्ती धारा में अन्तर, लाभ और दोष

प्रत्यावर्ती धारा डायनमो अथवा विद्युत् – जनित्र - प्रत्यावर्ती धारा डायनमो एक ऐसा यन्त्र है जो यान्त्रिक ऊर्जा में बदलता है| इसका कार्य फैराडे के विद्युत् –चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त पर निर्भर है|

सिद्धान्त : जब किसी बन्द कुण्डली को किसी शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र में तेजी से घुमाया जाता है तो उसमें से होकर गुजरने वाले चुम्बकीय फ्लक्स में लगातार परिवर्तन होता रहता है,जिसके कारण कुण्डली में विद्युत् वाहक बल तथा एक विद्युत् वाहक बल तथा विद्युत् धारा प्रेरित हो जाती है| कुण्डली को घुमाने में किया गया कार्य ही कुण्डली में विद्युत् उर्जा के रूप में परिणत हो जाता है|

संरचना – इसके मुख्य भाग निम्नलिखित है:

1. क्षेत्र चुम्बक – यह एक शक्तिशाली चुम्बक (NS) होता है| इसका कार्य शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करना है, जिसमें कुण्डली घुमती है| इसके द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की बल – रेखाएँ N से S की ओर जाती हैं|

electromagnetic induction first image

2. आर्मेचर – यह एक आयताकार कुण्डली a b c d होती है, जो कच्चे लोहे के क्रोड़ पर पृथक्कित तांबे के तार को लपेटकर बनाई जाती है| इसे आर्मेचर कुण्डली भी कहते हैं| इसमें तांबे के फेरों की संख्या अधिक होती है| इस कुण्डली को क्षेत्र चुम्बक के ध्रुव खण्डो NS के बीच तेजी से घुमाया जाता है| आमेंचर कुण्डली को घुमाने के लिए स्टीम टरबाइन, वाटर टरबाइन, पेट्रोल इंजन आदि का उपयोग किया जाता है|

3. सर्पी वलय – कुण्डली पर लिपटे तार के दोनों सिरे धातु के दो छल्लो S1 व S2 से जुड़े रहते हैं तथा आर्मेचर के साथ-साथ घूमते हैं| इनको सर्पी वलय (slip rings) कहते हैं| ये छल्ले परस्पर तथा धुरा दण्ड से पृथक्कित रहते हैं|

4. ब्रुश – सर्पी वलय S1, S2 सदैव तांबे की बनी दो पत्तियों b1 व b2 को स्पर्श करते रहते हैं, जिन्हें ब्रुश कहते हैं| ये ब्रुश स्थिर रहते हैं| तथा इनका सम्बन्ध उस बाह्य परिपथ से कर देते हैं, जिसमे विद्युत् धारा भेजनी होती है|

कार्यविधि – माना कुण्डली a b c d दक्षिणावर्त दिशा में घूम रही है, जिससे भुजा c d नीचे जा रही है तथा भुजा a b ऊपर की ओर आ रही है| फ्लेमिंग के दाएँ हाथ के नियमानुसार इन भुजाओं में प्रेरित धारा की दिशा चित्र 9.3 के अनुसार होगी; अत: बाह्य परिपथ में विद्युत धारा S2 से जाएगी तथा S1 से वापस आएगी| जब कुण्डली अपनी ऊध्वार्धर स्थिति से गुजरेगी, तब भुजा a b नीचे की ओर जाना प्रारम्भ करेगी तथा c d ऊपर की ओर जाने लगेगी| इसी कारण a b तथा c d में धारा की दिशाएँ पहले से विपरीत हो जाएगी| इस प्रकार की धारा को प्रत्यावर्ती धारा कहते है, क्योकी प्रत्येक आधे चक्कर के बाद बाह्य परिपथ में धारा की दिशा बदल जाती है|

दिष्ट धारा डायनमो अथवा जनित्र –

इसकी रचना प्रत्यावर्ती धारा डायनमो के समान होती है| अंतर केवल इतना है कि इसमें सर्पी वलयों के स्थान पर विभक्त वलयों को उपयोग में लाते हैं|

सिद्धान्त – जब किसी बन्द कुण्डली को किसी शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र में तेजी से घुमाया जाता है तो उसमे से होकर गुजरने वाले चुम्बकीय फ्लक्स में लगातार परिवर्तन होता रहता है, जिसके कारण कुण्डली में विद्युत् वाहक बल तथा एक विद्युत् धारा प्रेरित हो जाती है| कुण्डली को घुमाने में किया गया कार्य  ही कुण्डली में विद्युत् ऊर्जा के रूप में परिणत हो जाता है|

संरचना – इसके निम्नलिखित मुख्य भाग हैं:

1. क्षेत्र चुम्बक – यह एक शक्तिशाली चुम्बक NS होता है| इसका कार्य शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करना है; जिसमें कुण्डली घूमती है| इसके द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की बल – रेखाएँ N से S की ओर होती हैं|

electromagnetic induction second image

2. आर्मेचर – यह एक आयताकार कुण्डली a b c d होती है जो कच्चे लोहे के क्रोड़ पर पृथक्कित तांबे के तार के बहुत से फेरों को लपेटकर बनाई जाती है| इसे आर्मेचर कुण्डली भी कहते हैं| इस कुण्डली को क्षेत्र के ध्रुव  खण्डों NS के बीच बाह्य शक्ति ; जैसे – पेट्रोल इंजन अथवा जल – शक्ति आदि द्वारा तेजी से घुमाया जाता है|

3. विभक्त वलय - विभक्त वलय पीतल के खोखले बेलन को उसकी लम्बाई के अनुदिश काटकर बनाए जाते हैं| कुण्डली का एक सिरा एक विभक्त वलय P तथा दूसरा सिरा दुसरे विभक्त वलय Q से जोड़ दिया जाता है|

4. ब्रुश – ग्रीफाईट (कार्बन) के दो ब्रुश M व N विभक्त वलय P और Q को स्पर्श किए रहते हैं और बाह्य परिपथ में विद्युत धारा प्रवाहित करते हैं| ये दोनों ब्रुश बाह्य  परिपथ के समान सिरों से सदैव जुड़े रहते हैं, परन्तु जैसे- जैसे आर्मेचर घूमता है, P और Q उनको बारी – बारी से स्पर्श करते है और एक अर्द्ध –चक्र (half cycle) तक उसके सम्पर्क में रहते हैं, तत्पश्चात ब्रुशों को आपस में बदल देते है|

कार्य-विधि- जब आमेंचर कुण्डली a b c d  को दक्षिणावर्त दिशा में घुमाया जाता है तो कुण्डली में विद्युत् – चुम्बकीय प्रेरण  के कारण विद्युत धारा प्रेरित हो जाती है| विद्युत धारा की दिशा फ्लेमिंग के दाएँ हाथ के नियम से ज्ञात की जाती है|

कुण्डली के आधा चक्कर पूरा करने तक विद्युत् धारा की दिशा वही रहती है; अत: पहले आधे चक्कर में विद्युत धारा Q से P की दिशा में बहती है| अगले आधे चक्कर में कुण्डली में विद्युत धारा की दिशा बदल जाती है, परन्तु पहले ही ब्रुशो की स्थिति को इस प्रकार समायोजित किया जाता है कि जिस क्षण कुण्डली में विद्युत् धारा की दिशा बदलती है ठीक उसी क्षण ब्रुश का सम्बन्ध एक भाग से कटकर दुसरे भाग से हो जाए ; अत: बाह्य परिपथ में धारा सदैव Q से P की ओर ही बहती है, क्योंकि विभक्त वलय MN ब्रुशों के सापेक्ष अपना स्थान बदल देते हैं| इस प्रकार बाह्य परिपथ में दिष्ट धारा प्राप्त होती है|

दिष्ट धारा एवं प्रत्यावर्ती धारा में अन्तर :

दिष्ट धारा – दिष्ट धारा वह विद्युत् धारा है, जिसका परिमाण एवं दिशा समय के साथ नियत रहती है| प्राथमिक सेलों, संचायक सेलों तथा D. C. डायनमो द्वारा दिष्ट धारा प्राप्त होती है|

electromagnetic induction third image

प्रत्यावर्ती धारा- प्रत्यावर्ती धारा वह विद्युत् धारा है, जिसका परिमाण एवं दिशा आवर्त रूप से बदलती रहती है| प्रत्यावर्ती विद्युत् जनित्र अर्थात् A. C. डायनमो द्वारा प्राप्त धारा प्रत्यावर्ती धारा ही होती है|

प्रत्यावर्ती धारा एवं समय के मध्य खींचा गया ग्राफ एक ज्या वक्र होता है| OABCD विद्युत जनित्र की कुण्डली के एक चक्कर के संगत प्रवाहित होने वाली प्रत्यावर्ती धारा को प्रदर्शित करता है अर्थात कुण्डली के प्रत्येक चक्कर में धारा की दिशा दो बार बदलती है|

चित्र में दिष्ट धारा एवं प्रत्यावर्ती धारा के लिए समय–धारा ग्राफ प्रदर्शित है|

दिष्ट धारा की तुलना में प्रत्यावर्ती धारा के लाभ एवं दोष

लाभ- 1. प्रत्यावर्ती धारा को ट्रांसफॉर्मर द्वारा एक स्थान को भेजने में ऊर्जा का ह्वास बहुत कम होता है तथा लागत भी कम आती है, जबकि दिष्ट धारा को एक स्थान से दुसरे स्थान को भेजने में उर्जा का ह्वास बहुत अधिक होता है तथा लागत भी अधिक आती है|

2. प्रत्यावर्ती धारा, दिष्ट धारा वाले यन्त्रों की तुलना में मजबूत व सुविधाजनक होते है|

दोष -1. प्रत्यावर्ती धारा, दिष्ट धारा की तुलना में अधिक खतरनाक है|

2. विद्युत विश्लेषण, इलेक्ट्रोप्लेटिंग, विद्युत चुम्बक आदि बनाने में दिष्ट धारा प्रयुक्त की जाती है न कि प्रत्यावर्ती धारा|

UP Board Class 10 Science Notes : electromagnetic induction, Part-I

UP Board Class 10 Science Notes : Magnetic effect of electric current, Part-I

UP Board Class 10 Science Notes : Magnetic effect of electric current, Part-II

UP Board Class 10 Science Notes : Magnetic effect of electric current, Part-III

Jagran Josh
Jagran Josh

Education Desk

    Your career begins here! At Jagranjosh.com, our vision is to enable the youth to make informed life decisions, and our mission is to create credible and actionable content that answers questions or solves problems for India’s share of Next Billion Users. As India’s leading education and career guidance platform, we connect the dots for students, guiding them through every step of their journey—from excelling in school exams, board exams, and entrance tests to securing competitive jobs and building essential skills for their profession. With our deep expertise in exams and education, along with accurate information, expert insights, and interactive tools, we bridge the gap between education and opportunity, empowering students to confidently achieve their goals.

    ... Read More

    Get here latest School, CBSE and Govt Jobs notification and articles in English and Hindi for Sarkari Naukari, Sarkari Result and Exam Preparation. Empower your learning journey with Jagran Josh App - Your trusted guide for exams, career, and knowledge! Download Now

    Trending

    Latest Education News