आइए दोस्तों आज हम जानते हैं कॉन्ट्रैक्ट जॉब्स या संविदा नौकरी के बारे में. इस क्रम में सबसे पहले जानते हैं कि ''संविदा'' या कॉन्ट्रैक्ट आखिर कहते किसे हैं.
कॉन्ट्रैक्ट क्या होता है?
कानूनी भाषा में- ‘‘दो या दो से अधिक व्यक्तियों या पक्षों के बीच ऐसा ऐच्छिक समझौता जिसके अनुसार किसी पक्ष द्वारा प्रतिज्ञात कृत्य, व्यवहार या क्रिया निषेध के बदले दूसरे पक्ष पर कुछ देने, करने, सहने या कोई विशिष्ट प्रकार का व्यवहार करने का दायित्व हो, जो उन पक्षों के बीच तद्विषयक क़ानूनी सम्बन्ध स्थापित करने के उद्देश्य से किया गया हो तो वह अनुबन्ध, कॉन्ट्रैक्ट या संविदा है.’’ भारतीय अनुबन्ध अधिनियम की धारा 2 (h) के अनुसार राजनियम (राज्य द्वारा बनाए गए लॉ) द्वारा एन्फोर्फोर्सीयेबल एग्रीमेंट संविदा है. यानि कि संक्षेप में कहें तो दो या दो से अधिक पक्षों के बीच जब किसी समझौते के तहत किसी विशिष्ट उद्देश्य के व्यवहार की बात तय होती है तो जो कानूनी सम्बन्ध बनता है वह संविदा (कॉन्ट्रैक्ट) या ठेका कहलाता है.
कॉन्ट्रैक्ट या संविदा नौकरी क्या होता है?
और अब जानते हैं कि कॉन्ट्रैक्ट जॉब्स या संविदा नौकरी क्या है ? तो संविदा नौकरी वह रोजगार है जिसमें जॉब की शुरुआत में आपको एक अनुबन्ध पर हस्ताक्षर करना पड़ता है जिसके अनुसार आप उस अनुबन्ध की सभी शर्तों को मंजूर करते हुए इस कार्य के लिए सहमति प्रदान करते हैं. कॉन्ट्रैक्ट वर्क में आम तौर पर एक निश्चित समय में एक निश्चित राशि पर नौकरी की बात की जाती है जो प्रोजेक्ट या असाइनमेंट के आखिर में काम करने वाले को मिलता है. शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग, रेलवे, जुडिशियरी, बैंक, रोडवेज समेत तकरीबन सभी सरकारी विभागों में कॉन्ट्रैक्ट जॉब्स पर एम्प्लोय को काम के लिए रखा जाता है. ये सरकारी विभाग समय-समय पर अपने यहाँ संविदा नौकरी के पदों के लिए नोटिफिकेशन जारी करते रहते हैं.
कॉन्ट्रैक्ट या संविदा नौकरी चयन प्रक्रिया:
स्थायी सरकारी नौकरियों की भांति ही कॉन्ट्रैक्ट जॉब्स के लिए भी सरकारी संगठन समय-समय पर अधिसूचना जारी करते हैं. संविदा की इन सरकारी नौकरियों की रिक्तियों में अलग-अलग क्षेत्रों के हिसाब से अलग-अलग पात्रता मानदण्ड, आयु सीमा, सैलरी इत्यादि का प्रावधान होता है. इन योग्यता मानदंडों में आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के लिए छूट की व्यवस्था अन्य जॉब्स की भांति हीं दी जाती है. सामान्य रूप से आवेदन करने वाले उम्मीदवारों को वैकल्पिक, लिखित परीक्षा उत्तीर्ण करनी पड़ती है. ये परीक्षाएँ ऑनलाइन या ऑफलाइन दोनों मोड में होती हैं. संगठन एवं पद की प्रकृति के अनुरूप अलग अलग चयन प्रक्रिया अपनायी जाती है. जिसमें वैकल्पिक प्रकार की परीक्षा, लिखित परीक्षा एवं इंटरव्यू शामिल है.
इसके साथ ही कुछ ऐसे सरकारी संगठन भी हैं जो अकादमिक रिकॉर्ड एवं शैक्षणिक योग्यता के आधार पर उम्मीदवारों का चयन कॉन्ट्रैक्ट जॉब्स के लिए करते हैं.
कैसे निर्धारित होती है सैलरी:
आइए अब जानते हैं कॉन्ट्रैक्ट जॉब्स या संविदा नौकरियों की सैलरी के बारे में - पहले कॉन्ट्रैक्ट जॉब्स (संविदा नौकरी) पर काम करने वाले कर्मचारियों को बेहद हीं मामूली वेतन पर काम करना पड़ता था पर बाद में यह मामला जब न्यायालय तक पहुँचा तो इस बात पर काफी विवेचना की गई. जस्टिस जे. एस. खेहड़ और जस्टिस एस. ए. वोव्ड़े की संयुक्त पीठ का निर्णय कॉन्ट्रैक्ट जॉब्स सैलरी के मामले में अत्यंत प्रशंसनीय रहा. यह निर्णय इस प्रकार था कि - जब परमानेंट बेसिस पर काम करने वाले तथा कॉन्ट्रैक्ट जॉब्स (संविदा नौकरी) बेसिस पर काम करने वाले दोनों हीं तरह के एम्प्लोयी समान मेहनत, समान ड्यूटी और समान रेस्पोंसिबिलिटी निभाते हैं तो केवल इस बेसिस पर कॉन्ट्रैक्ट जॉब्स (संविदा नौकरी) वाले को परमानेंट जॉब वाले से कम सैलरी नहीं दी जा सकती कि पहले का जॉब परमानेंट बेसिस पर है और दूसरे का कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर क्योंकि अगर कोई एम्प्लोयी कम वेतन पर काम करने के लिए मजबूर है तो यह ''इक्वल पे फॉर इक्वल वर्क'' के संवैधानिक प्रावधान का हनन है एवं वह ऐसा अपने शौक से नहीं करता है बल्कि फैमिली के लिए भोजन और साधन जुटाने के लिए अपने आत्मसम्मान और सेल्फ वर्थ को ताक पर रख कर वह ऐसा करने के लिए लाचार होता है. क्योंकि वह जानता है कि अगर कम सैलरी पर वह इस काम को करने से इनकार करता है तो उसके इनकार की परिस्थिति की पीड़ा उसके फैमिली मेम्बर्स जो उसी के वेतन पर आश्रित हैं को झेलनी पड़ेगी.
इस प्रकार अंततः ''इक्वल पे फॉर इक्वल वर्क'' के हिसाब से न्यायालय कॉन्ट्रैक्ट जॉब्स (संविदा नौकरी) एम्प्लोयी को भी सैलरी में राहत प्रदान करता है. पर अभी भी बहुत से फील्ड में कॉन्ट्रैक्ट जॉब्स (संविदा नौकरी) वाले एम्प्लोयी को काफी कम सैलरी पर काम करना पड़ता है. संविदा बेसिस पर काम करने वाले एम्प्लोय को अब बोनस भी दिया जाता है.
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