यूँ तो दोस्ती की कोई उम्र नहीं होती और किसी भी उम्र में की गयी दोस्ती ताउम्र बरकरार रह सकती है. लेकिन आप सबने यह अनुभव किया होगा कि कॉलेज के दिनों की दोस्ती जीवन में कुछ ज्यादा ही महत्व रखती है. हम अक्सर स्कूल के दोस्तों को भूल जाते हैं लेकिन कॉलेज के दोस्त अक्सर याद रहते हैं.आपको पता है ऐसा क्यों होता है ? अगर रिसर्च की माने तो कॉलेज में माता पिता के बंधन दूर एक स्वंत्रता के एहसास के साथ अपने स्वभाव से मिलते जुलते स्टूडेंट्स से की गयी दोस्ती जीवन के हर मोड़ पर याद आती है. कभी कभी तो शुरूआती दौर में स्वार्थवश की गयी दोस्ती आगे चलकर बेपनाह निःस्वार्थ प्रेम में बदल जाती है जिसकी वजह से दो दोस्त आजीवन बिना किसी शर्त के एक दूसरे जुड़े रहते हैं. दोस्ती का मूल मन्त्र विचारों की समता होती है और कॉलेज की सबसे बड़ी विशेषता ही यह होती है कि अलग अलग संस्कृति से आये हुए स्टूडेंट्स यहाँ विचार के स्तर पर थोड़ी बहुत अंतर के बावजूद बिलकुल समान होते हैं. जीवन में कुछ कर गुजरने की इच्छा, मौज मस्ती का भाव और स्वतंत्रता का एहसास सभी में लगभग एक सामान ही होते हैं जो कहीं न कहीं उनकी दोस्ती को कुछ खास बनाते हैं. समान आवश्यक्ताओं से उत्पन्न एहसास आजीवन जिन्दा रहता है जिसकी वजह से यह दोस्ती कुछ अलग होती है. आइये कुछ कॉलेज स्टूडेंट्स से ही जानते हैं कि इस विषय में उनकी क्या राय है ?
छात्र के लिए सवाल – कॉलेज के दोस्तों और स्कूल के दोस्तों के बीच क्या अंतर होता है?
छात्र का जवाब – दोनों के बीच में एक बहुत ही सिंपल और साधारण-सा अंतर होता है और वह है कि कॉलेज में जो दोस्ती होती है वो बड़ी अटूट होती है लेकिन स्कूलों में ऐसा नहीं होता है. स्कूलों में आप दोस्तों के साथ मिलते हैं और फिर छोड़ते हैं और फिर मिलते हैं और फिर छोड़ते हैं. स्कूलों में स्टूडेंट्स वर्ड्सएप और फेसबुक को ज्यादा फ़ॉलो नहीं करते हैं लेकिन कॉलेज में फेसबुक और वर्ड्सएप ग्रुप के जरिये आपकी दोस्ती बनी रहती है जो जॉब लगने पर भी कायम रहती है. स्कूल के दोस्तीं के बजाय कॉलेज के दोस्तों से अच्छी बोंडिंग हो जाती है. कॉलेज फ्रेंड्स सोशल मीडिया के जरिये कनेक्टेड रहते हैं.
छात्र के लिए सवाल – आपके कॉलेज के फ्रेंड्स आपके स्कूल के फ्रेंड्स से क्यों खास होते हैं?
छात्र का जवाब – वे खास इसलिये होते हैं क्योंकि कॉलेज में हरेक स्टेट से लोग आते हैं. हमारे इंडिया में 29 स्टेट हैं और हर स्टेट से स्टूडेंट हमारे कॉलेज में पढ़ने आते हैं. कुछ स्टूडेंट्स अफगान से भी आये हैं और कुछ अन्य देशों से भी आये हुए हैं. इनसे बात करना हमें अच्छा लगता है और हमें इनके कल्चर के बारे में भी जानकारी मिलती है. हर स्टेट के बारे में अच्छी जानकारी मिलने के साथ ही हमें एक नया माहौल भी मिलता है.
छात्र के लिए सवाल – आप कैसे स्टूडेंट्स से दोस्ती करना चाहते हैं और क्यों?
छात्र का जवाब – जो जेन्यून लोग होंगे और जो रीयलिस्टिक लोग होंगे उनसे दोस्ती करूंगा. ऐसे लोगों से दोस्ती नहीं करनी चाहिए जो डबल फेस होते हैं अर्थात जो आपके सामने कुछ और होते हैं और पीछे से कुछ और. अपने दोस्त बनाते समय हमें इन्हीं कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए.
दरसल दोस्ती एक ऐसा एहसास है जो जीवन के किसी भी पड़ाव पर यदि निः स्वार्थ भाव से होती है तो आजीवन चलती है. लेकिन कॉलेज के दिनों की फ्रेंडशिप अक्सर अपने सुख दुःख आदि के एहसास को एक साथ मिलकर बाँटने के कारण ताउम्र चलती है. या हम यूँ कहें कि कॉलेज फ्रेंड की जरूरतें लगभग समान होती हैं और जरुरत पड़ने पर दो दोस्त एक दूसरे की मदद करते हैं जिस वजह से इस समय की दोस्ती अपने आप में कुछ ख़ास होती है.