आईटी नौकरी में कटौती की चिंता छोड़ अन्य स्किल्स में महारत हासिल कर सवारें अपना भविष्य

Nov 16, 2017, 11:16 IST

आज के इस टेक्नीकल युग में  टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में यदि किसी देश ने वाकई तरक्की की है तो वो है हमारा भारत.

Worried about IT job cuts Reskill with these technologies
Worried about IT job cuts Reskill with these technologies

आज के इस टेक्नीकल युग में  टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में यदि किसी देश ने वाकई तरक्की की है तो वो है हमारा भारत. वर्षों पहले साँपों का जादूगर कहलाने वाले यह देश कुछ तरह तरक्की की राह पर अग्रसर है कि ज्योंहि हम भारत के विषय में सोंचते हैं तो हमारे मन में कंप्यूटर स्क्रीन के पिछे छिपा वो चेहरा जो एमएनसी के लिए अगली बड़ी रिलीज को कोडित करते हुए नित्य नए तकनीकी खोजों में व्यस्त हैं. हाँ भारत (विशेष रूप से बेंगलुरु और हैदराबाद) लगभग दो दशकों से दुनिया का आईटी बैक ऑफिस बना हुआ है. लेकिन हाल के कुछ दिनों में आईटी क्षेत्र में मंदी का असर देखने को मिला है. कई विश्वसनीय आईटी ब्रांडों द्वारा अपने कर्मचारियों को निकाले जाने की घटना ने आईटी क्षेत्र के प्रोफेशनल्स को सजग होने की चेतावनी दी है और जरुरत है  समय रहते ही सचेत होने की. परीक्षा की आज की इस घड़ी में आईटी पेशेवरों को अपने प्रतिस्पर्धी और गतिशील उद्योगों में प्रासंगिक बने रहने के लिए अपने आईटी प्रतिभाओं को फिर से निखारना(रिस्किल) होगा. यदि आप भी किसी भी वक्त नौकरी से निकाल दिए जाने के डर से तनाव महसूस कर रहें हैं तो आप

निम्नलिखित उभरते हुए इंडस्ट्री में आपना भविष्य आजमाने के लिए अपने स्किल्स को पुनः रिस्किल कर सकते हैं.

बिग डेटा / अपाचे हैडूप

यदि आप हार्ड कोर आईटी से सम्बन्ध नहीं रखते तो बिग डेटा और हडोप ऐसे दो तकनीकी वर्जन हैं. आप इन दो क्षेत्रों की पर्याप्त जानकारी हासिल कर सकते हैं. बिग डेटा नया और उभरता हुआ इंडस्ट्री ट्रेंड है जिसे पारंपरिक डेटा प्रोसेसिंग सॉफ्टवेयर द्वारा नियंत्रित नहीं किया जा सकता है. अपाचे हडोप के अंतर्गत वितरित संग्रहण, कंप्यूटर क्लस्टर और कमोडिटी हार्डवेयर सिस्टम का उपयोग करके बड़े डेटा सेट को संसाधित किया जाता है. यह एक ऐसी नई और उभरती हुई तकनीक है ज्सिमें  पिछले कुछ सालों में बहुत अधिक लाभ की प्रवृति को देखा गया है. बिग डेटा / हडोप व्यवसायों को लागत प्रभावी स्केलेबल नेटवर्क विकसित करने में मदद करता है. यह नए युग के अनुप्रयोगों और डेटा संग्रहण और विश्लेषण के लिए लचीला और तेज नेटवर्क का समाधान प्रदान कर सकता है

डेटा विश्लेषण ( डेटा एनालिटिक्स)

आजकल दुनिया का पूरी तरह से टेक्नोलॉजी पर निर्भर होने के कारण डेटा का महत्व कई गुना बढ़ गया है.वास्तव में डेटा को प्रौद्योगिकी का सबसे बड़े स्तंभ कहा जा सकता है जो विश्लेष्ण के जरिये  ग्राहकों को कारोबार से जोड़ता है. इस संबंध में, डेटा एनालिटिक्स तकनीकों की गुणात्मक और मात्रात्मक प्रक्रियाओं को समझता है तथा उपलब्ध डेटा के माध्यम से उत्पादकता और व्यवसाय के लाभ को बढ़ाने हेतु डेटा का समुचित उपयोग करता है.  

डेटा एनालिटिक्स व्यवसायों के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करने के लिए उपलब्ध आंकड़ों का विश्लेषण करने के साथ साथ  व्यवहार संबंधी डेटा पैटर्नों को पहचानते हैं.

मशीन लर्निंग

मशीन सीखना कंप्यूटर विज्ञान की एक उप-शाखा है और "कंप्यूटर को स्पष्ट रूप से क्रमादेशित किए बिना सीखने की क्षमता" के साथ काम करता है. मशीन सीखने का विज्ञान का पैटर्न मान्यता और कम्प्यूटेशनल सीखने के सिद्धांत के जुड़वां स्तंभों पर आधारित है.यद्यपि, ये दोनो अवधारणाएं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का अभिन्न अंग हैं तथापि वे मशीन सीखने के विकास में एक बड़ी भूमिका निभाते हैं. यह स्थान, समय या किसी अन्य कारक के आधार पर उत्पाद और सेवाएं प्रदान करने में सहायता करता है.

हाल के वर्षों में लगभग सभी व्यावसायिक उद्यमों द्वारा मशीन सीखने का विकास और कई व्यवसाय परियोजनाओं में इसका उपयोग किया गया है. उदाहरण के लिए, जब आप आम तौर पर ऑफिस से निकलते हैं, तो हर दिन शाम को ट्रैफिक जानकारी प्रदर्शित करने वाला Google इसका मुख्य उदाहरण है. मशीन लर्निंग से  ग्राहकों के जीवन को बहुत आसान बनाने में मदद मिलती है. साथ ही यह व्यापार के लिए समय रहते ग्राहकों की जरूरतों को समझने और सही वस्तु प्रदान करने का मौका देता है.

कृत्रिम होशियारी (आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस)

यदि आपने हॉलीवुड की फिल्म 'टर्मिनेटर' देखा है तो आप पहले से ही कृत्रिम बुद्धि की मूल अवधारणा के बारे में जानते हैं.जैसा कि शब्द से ही पता चलता है, यह मनुष्य या जानवरों की बजाय मशीनों द्वारा प्रदर्शित खुफिया शक्ति को प्रदर्शित करता है. कंप्यूटर विज्ञान के विकास के साथ, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में तेजी से विस्तार देखा गया है. एक कंप्यूटर या मशीन को उस समय एआई कहा जाता है जब वे संज्ञानात्मक कार्यों को करने में सक्षम होते हैं या सजग फैसले लेते हैं, जो आम तौर पर मानव मन से जुड़े होते हैं. सीखना और समस्या-समाधान मशीन सीखने के दो मुख्य पहलुओं का निर्माण करते हैं.

आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस के संबंध में आम कहावत है " (आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस वह चीज है जिसे इससे पहले कभी नहीं बनाया गया था). उसकी यह विशेषता सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में काम करने के लिए इसे सबसे दिलचस्प डोमेन बनाती है.

क्लाउड कंप्यूटिंग

क्लाउड कम्प्यूटिंग शब्द का प्रचलन 2007-08 से हुआ है मगर 2013 से क्लाउड कम्प्यूटिंग का इस्तेमाल कुछ ज्यादा  होने लगा है. क्लाउड कम्प्यूटिंग कम्प्युटरों का एक जल है जिसमें हम हर तारह की जानकारी डाल सकते हैं और जब चाहे तब उस डेटा या जानकारी को आपने कम्प्युटर, टैब या मोबाइल फोन की मदद से देख व अपडेट कार सकते हैं. वैसे तो हर इंटरनेट इस्तेमाल करने वाला क्लाउड कम्प्यूटिंग का इस्तेमाल कर चुका है और कर भी रहा है मगर वह क्लाउड कम्प्यूटिंग एक छोटा सा भाग ही इस्तेमाल करता आया है जैसे:- आप अपने कम्प्युटर, टैब व मोबाइल से इंटरनेट का इस्तेमाल, फेसबुक , जीमेल, WhatsApp, गूगल डॉक, आउटलूक आदि का प्रयोग करते हैं. मगर आज क्लाउड कम्प्यूटिंग ने बहुत बड़ा रूप ले लिया है और हर कोई इस में अपनी अवश्कता या जरूरत के अनुसार किसी भी एप्लिकेशन, एप्प व डेटा का इस्तेमाल कर सकता है.

यह परिवर्तन ऐसे सॉफ्टवेयरों की बदौलत आया है जो कंप्यूटर पर नहीं, बल्कि वेब या इंटरनेट पर चलते हैं. कुछ टाइम पहले किसी सॉफ्टवेयर को इस्तेमाल करने के लिए आप को उसको अपने कंप्यूटर या सेलफोन पर डाउनलोड करना पड़ता था, इसके बाद वह सॉफ्टवेयर केवल उसी कंप्यूटर या मोबाइल फोन पर चलाया जा सकता था. मगर आज क्लाउड कंप्यूटिंग के जरिये आप बिना सॉफ्टवेयर डाउनलोड किये ही  उसका इस्तेमाल कहीं भी रहते हुए इंटरनेट के जरिए कर सकते हैं. उस पर आप अपने डॉक्यूमेंट  विडियो, फोटो इत्यादि रख सकते हैं और जब भी चाहें किसी भी उपकरण से उनको देख और बदल सकते हैं.

आज हर बड़ी कंपनी क्लाउड की सुबिधा देने लगी है क्यों की आनेवाला टाइम क्लाउड का ही होने वाला है. आप हर काम क्लाउड में ही करेंगे. चाहे आप अपने घर पर हों या ऑफिस में. बस आप के पास इंटरनेट होना चाहिए और फिर आप के पास कोई भी डिवाइस हो लैपटाप, डेस्कटॉप, मोबाइल फोन, टीवी हो या गेम कंसोल या इंटरनेट से चलने वाली कोई भी चीज, आप हर काम अपने किसी भी डिवाइस से कर सकते हैं.

इंटरनेट ऑफ थिंग्स

पिछले दो वर्षों में डिजिटल स्पेस प्रमुख परिवर्तनों का साक्षी रहा है तथा उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार  इसमें विकास जारी रहेगा. फिलवक्त डिजिटल जगत में इंटरनेट ऑफ थिंग्स की अवधारणा बहुत तेजी से विकसित हो रही है. अमेरिका, दक्षिण कोरिया तथा चीन जैसे देश तो पहले से ही इस तकनीक का लाभ उठाने की पूरी तैयारी में है. हालांकि इंटरनेट ऑफ थिंग्स के जरिये हो रहे बदलाव सिर्फ विकसित देशों तक ही सीमित नहीं है.

भारत में भी सार्वजनिक एवं निजी दोनों ही क्षेत्र प्रशासनिक विधाओं और और व्यापार को और समृद्ध बनाने के लिए कुशल और प्रभावी तरीके से उसमें सुधार हेतु तकनीक को अपनाने के लिए हमेशा तैयार है.

इंटरनेट ऑफ थिंग्स एक वैसी नेटवर्किंग है जिसमें आपके उपयोग की सभी चीजें टेलीविजन से लेकर मोबाइल तक इंटरनेट से जुड़ी होती है. उदाहरण के लिए, अगर आप इंटरनेट ऑफ थिंग्स के दायरे में हैं तो आपका डिवाइस आपके घर और किचेन में रखे अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को कमांड देता है.

इस तकनीक से हम अपने दैनिक जीवन में इस्तेमाल कर रहे सभी पदार्थों को  डिवाइस विशिष्ट ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ इंटरनेट से जोड़कर  स्मार्ट बनाकर उनसे मनोवांछित कार्य करा सकते हैं.

इन उपकरणों में सेंसर द्वारा एकत्र डेटा की बड़ी मात्रा क्लाउड पर इंटरनेट के माध्यम से दूरस्थ सर्वर पर रखे जाते हैं . इस डेटा को विभिन्न संगठनों, व्यापार,सूचना के प्रचार और प्रसार के लिए उपयोग में लाया जाएगा.

उदाहरण के लिए एक कार बीमा कंपनी अपनी पॉलिसी धारकों को (कार में सेंसर के माध्यम से एकत्र आकड़ों के माध्यम से )अगर उसे पता चल गया कि वह चक्रवात वाले एरिया की तरफ बढ़ रहा है तो उसे चेतावनी देकर उसे उधर जाने से मना कर सकता है.

ऊपर दिए गए सभी टेक्नोलॉजी आईटी पेशेवरों के लिए मददगार साबित हो सकते हैं.उपरोक्त सभी तकनीकी डोमेनों का सबसे अच्छी बात यह है कि ये क्षेत्र अभी भी  अपने विकास के चरण में हैं और इस क्षेत्र में बहुत कुछ किया जाना बाकी है.इसका मतलब यह है कि यदि आप इन प्रौद्योगिकियों में से किसी को भी संभालने के लिए खुद को प्रशिक्षित करते हैं, तो आप निश्चित रूप से आईटी दुनिया की वर्तमान छंटनी और मंदी के असर से अपने आप को बचा सकते हैं.

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