ई-कॉमर्स की उड़ान

Jul 1, 2014, 11:55 IST

इंडियन ई-कॉमर्स इंडस्ट्री में रिवॉल्यूशन आया हुआ है. ई-बे और अमेजन की तरह फ्लिपकार्ट, स्नैपडील, होमशॉप 18 जैसे दूसरे इंडियन स्टार्टअप्स सालाना करोड़ों का बिजनेस कर रहे हैं.

इंडियन ई-कॉमर्स इंडस्ट्री में रिवॉल्यूशन आया हुआ है। ई-बे और अमेजन की तरह फ्लिपकार्ट, स्नैपडील, होमशॉप 18 जैसे दूसरे इंडियन स्टार्टअप्स सालाना करोड़ों का बिजनेस कर रहे हैं। स्टार्टअप्स भी अपने इनोवेशन के साथ ई-कॉमर्स का फायदा उठा रहे हैं। इससे न सिर्फ एंटरप्रेन्योशिप, बल्कि मार्केटिंग, फाइनेंस, लॉजिस्टिक, वेयरहाउस, ग्राफिक्स के क्षेत्र में जॉब के नए अवसर पैदा हुए हैं..

एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती मुंबई की धारावी में लेदर जैकेट बनाने वाले शख्स को आज अपना सामान बेचने के लिए बाजार में भटकने की जरूरत नहीं रह गई है। वह ग्राहकों तक अपने प्रोडक्ट्स ऑनलाइन पहुंचा सकता है। यह सिर्फ एक उदाहरण मात्र है, इंडिया में तेज गति से विकसित हुई ई-कॉमर्स इंडस्ट्री का। दरअसल, आज भारत में जिस तरह से इंटरनेट यूजर्स की संख्या बढ़ी है, करीब 2.5 करोड़ लोग ऑनलाइन शॉपिंग कर रहे हैं। यही नहीं, क्राफ्ट्समैन और बिजनेसमैन देश-दुनिया के कोने-कोने में पेंटिंग, साड़ी, सूट, हैंडमेड क्राफ्ट्स पहुंचा रहे हैं। इससे कारीगरों को पहचान तो मिल रही है, साथ ही इस चेन से जुड़ने वाले तकनीकी और गैर-तकनीकी लोगों के लिए नए विकल्प भी खुल रहे हैं।

ई-कॉमर्स में रिवॉल्यूशन

फिलहाल ई-कॉमर्स इंडस्ट्री करीब 12 अरब डॉलर की है, जिसके साल 2020 तक 75 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद की जा रही है। इंटरनेट ऐंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आइएएमएआइ) और आइएमआरबी की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में ई-क़ॉमर्स करीब 34 फीसदी की दर से ग्रो कर रहा है। ई-बे और अमेजन जैसे ग्लोबल प्लेयर्स के बीच फ्लिपकार्ट, जबॉन्ग, स्नैपडील, होमशॉप18, मिंट्रा जैसी इंडियन ई-कॉमर्स कंपनियों ने सफलता की नई कहानी रची है। हाल ही में फ्लिपकार्ट ने ऑनलाइन फैशन में सिक्का जमाने के लिए करीब 370 मिलियन डॉलर में मिंट्रा डॉट कॉम का टेक ओवर किया है।

भविष्य से उम्मीदें

इंडियन इकोनॉमी में ई-कॉमर्स की हिस्सेदारी फिलहाल एक फीसदी है। नैस्कॉम की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2020 तक देश के जीडीपी में इसकी हिस्सेदारी बढ़कर करीब 4 फीसदी होने की संभावना है। देश की नई सरकार जिस तरह से डिजिटल इकोनॉमी पर जोर दे रही है और ई-कॉमर्स में विदेशी पूंजी निवेश यानी एफडीआई की बात भी चल रही है, उससे इसका भविष्य चमकदार नजर आ रहा है।

3 से 5 सौ की टीम

शॉपक्लूज की शुरुआत चार साल पहले सिर्फ तीन एम्प्लॉयीज के साथ हुई थी, लेकिन कंपनी को एक नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए सभी का विजन क्लियर था। आज तीन लोगों की वह छोटी-सी कंपनी पांच सौ लोगों की बड़ी टीम में तब्दील हो चुकी है। इतना ही नहीं, शॉपक्लूज से इनडायरेक्ट करीब 10 हजार लोग बिजनेस कर रहे हैं।

कस्टमर्स का भरोसा

किसी भी स्टार्टअप के लिए एक स्ट्रांग टीम का होना बहुत जरूरी है। इस फील्ड में अकेले कोई कुछ भी नहीं कर सकता। टीम में प्रोडक्ट मैनेजर, डेक्सटॉप मैनेजर, क्वालिटी एश्योरेंस, टेक्निकल बैकअप का रोल बहुत इंपॉर्टेट होता है। ई-कॉमर्स में आपको कस्टमर्स का विश्वास जीतना होता है। जिस प्रोडक्ट की डिलीवरी की जाती है, उसे टाइम पर कस्टमर तक पहुंचाना कूरियर सर्विस की जिम्मेदारी होती है। शॉपक्लूज के साथ इस समय करीब 40 कूरियर कंपनियां जुड़ी हुई हैं।

क्लियर हो विजन

किसी भी बिजनेस के लिए डिटरमिनेशन बहुत जरूरी है, क्योंकि जब किसी बिजनेस की शुरुआत की जाती है, तो बहुत से चैलेंजेज फेस करने पड़ते हैं। अगर कॉन्सेप्ट क्लियर है और इरादा दृढ़, तो प्रॉब्लम्स आसानी से सॉल्व हो जाती हैं।

टेक्नोलॉजी इज इंपॉर्र्टेट

ऑनलाइन शॉपिंग में टेक्नोलॉजी का रोल बहुत इंपॉर्र्टेट है। ई-कॉमर्स का सारा बिजनेस टेक्नोलॉजी पर ही डिपेंड होता है। प्रोडक्ट को किस तरह स्क्रीन पर डिस्प्ले देना है। वेबसाइट पर जाने पर कस्टमर आसानी से प्रोडक्ट को फाइंड-आउट कर लें, इस तरह की छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देने की जरूरत होती है।

ग्रोइंग फील्ड

ई-कॉमर्स एक ग्रोइंग फील्ड है। इसमें अभी शुरुआत हुई है। हमारी कंपनी का फोकस उन टियर-2 सिटीज पर है, जहां अभी ई-कॉमर्स नहीं पहुंचा है। आज लोगों के पास इतना टाइम नहीं है कि वे हर चीज मार्केट से खरीद सकें। ई-कॉमर्स कस्टमर्स को एक ऐसा प्लेटफॉर्म प्रोवाइड कराता है, जहां से आप घर बैठे कुछ भी परचेज कर सकते हैं। मोबाइल फोन के जरिए इस फील्ड में और ग्रोथ आएगी।

कंपनी टर्नओवर

हमारी कंपनी का टर्नओवर 2012-13 में 50 करोड़ था, जो 2013-14 में बढ़कर करीब 350 करोड़ तक पहुंच गया। 2014-15 के लिए हमने 1000 करोड़ का टार्गेट रखा है। हमें यकीन है कि हम इसे आसानी से अचीव कर लेंगे।

रिसर्च से निकला आइडिया

कड़ी मेहनत, लक्ष्य पर नजर और सधी दिशा में बढ़ाए गए कदम, एक दिन सपनों को पंख ही नहीं लगाते, उन्हें साकार भी कर देते हैं, कुछ ऐसा ही जज्बा पेश किया, देश भर के युवाओं के लिए मिसाल बनने वाले दिनेश अग्रवाल ने।

इंजीनियर से बिजनेसमैन

पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर दिनेश ने 1990 में टाटा ग्रुप की एक कंपनी सीएमसी लिमिटेड से करियर की शुरुआत की थी। उसके बाद भारत सरकार के संस्थान कंप्यूटर मेंटिनेंस कॉरपोरेशन में काम शुरू किया। फिर वे सी.डॉट में चले गए और वहां से एचसीएल के अमेरिकी ब्रांच में। यहींकाम करते समय उन्हें इंडियामार्ट डॉट कॉम का विचार आया।

सॉफ्टवेयर थी पहली पसंद

दिनेश की फैमिली ट्रेडिशनल बिजनेस करती थी। जॉब करते वक्त उनके भी मन में हर वक्त यह विचार चलता रहता था कि आइटी सेक्टर का एक बिजनेस खड़ा करना है। वह बताते हैं, मुझे इंडियन प्रोडक्ट्स का बिजनेस शुरू करना था, लेकिन वह अमेरिका में नहीं हो सकता था। फिर मैं एचसीएल अमेरिका से वापस एचसीएल इंडिया आ गया। मैं सॉफ्टवेयर बिजनेस शुरू करना चाहता था, लेकिन भारत में इस फील्ड में जबरदस्त कॉम्पिटिशन था। इसलिए मुझे लगा, मैं इसमें शायद सफल नहीं हो पाऊंगा।

ऐसे बना इंडिया मार्ट


1990 के दशक में अमेरिका में इंटरनेट तेजी से बढ़ने लगा था। मुझे तभी लग गया कि आने वाला वक्त इंटरनेट बिजनेस का ही है। शुरू में मैं सिफी की तरह एक इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर बिजनेस शुरू करना चाहता था, लेकिन लाइसेंस नहीं मिल पाया। फिर मैंने 1996 में इंटरमेश सिस्टम के नाम से वेबसाइट मेकिंग बिजनेस शुरू किया। यहां आने के बाद मैं तरह-तरह के ट्रेड फेयर्स और सेमिनार्स अटेंड करने लगा। मैं जानना चाहता था कि भारत की इंडस्ट्री में क्या हो रहा है। इसी दौरान मैंने देखा कि सीआइआइ, फिक्की आदि किस तरह तमाम तरह की कंपनियों के बिजनेस का डाटाबेस एक साथ मेंटेन करती हैं। मैंने सोचा, क्यों न इसी तरह सभी वेबसाइट्स को मिलाकर एक वेबसाइट बना दी जाए। बस, इंटरमेश सिस्टम से जो वेबसाइट हम डेवलप करते थे, उसे एक नई वेबसाइट पर लिस्ट बनाकर जोड़ते गए। अलग-अलग वेबसाइट्स के लिए अलग-अलग कैटेगरी बना दी और इस नई वेबसाइट को नाम दिया इंडिया मार्ट डॉट कॉम। आज यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी बिजनेस टु बिजनेस ई-कॉमर्स वेबसाइट है।

प्रॉफिटेबल वेंचर

आज मार्केट में ई-कॉमर्स स्टार्टअप्स बेहद सक्सेसफुल हैं। उनका टर्नओवर तेजी से बढ़ रहा है। क्राफ्ट्सविला भी इनमें से एक है। करीब 5 से 6 करोड़ रुपये की पूंजी से शुरू किए गए इस स्टार्टअप का टर्नओवर आज बेशक 25 करोड़ रुपये सालाना है, लेकिन यह एक प्रॉफिटेबल वेंचर है और हैंडक्राफ्टेड गुड्स स्पेस में तेजी से ग्रो करता हुआ ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म। यहां कस्टमर्स को भारतीय रंग में रंगे वैरायटी प्रोडक्ट्स मिलते हैं।

कच्छ में मिला आइडिया

क्राफ्ट्सविला के फाउंडर और सीइओ मनोज गुप्ता बताते हैं, मैं कच्छ की ट्रिप पर था। वहां लोकल कारीगरों को खूबसूरत हैंडमेड क्राफ्ट्स बनाते देखा। जब उनसे बातचीत की, तो पता चला कि वे सभी काम छोड़ना चाहते हैं, क्योंकि उन्हें सही पैसे नहीं मिल रहे थे। ऐसे में मैंने और मेरी पत्नी मोनिका ने उन कारीगरों को सही प्लेटफॉर्म देने का फैसला किया। इसी के बाद क्राफ्ट्सविला डॉट कॉम का आइडिया आया और 2011 में हमने ई-कॉमर्स बाजार में कदम रख दिया। आज क्राफ्ट्सविला के साथ करीब 6 से 7 हजार सेलर्स जुड़े हैं। वहीं, इस पर 5 लाख प्रोडक्ट्स डिस्प्ले हैं। प्लेटफॉर्म की खासियत है कि सेलर सीधे कस्टमर्स को अपना प्रोडक्ट सेल कर सकते हैं। हां, इसके लिए उनसे 20 परसेंट कमीशन लिया जाता है।

हुनरमंद टीम पर फोकस

एक अच्छी टीम चुनना बेहद जरूरी है। मैंने स्लम्स से हुनरमंद लोगों को टीम के साथ जोड़ा। उन्हें इंग्लिश बोलने से लेकर टेक्नोलॉजी तक की ट्रेनिंग दी। शुरू में मुंबई के अलावा जयपुर, दिल्ली और बेंगलुरु में स्टूडियो खोले, जहां सेलर्स को उनके प्रोडक्ट्स को बेचने से लेकर उन्हें डिस्प्ले करने के तरीके के बारे में बताया गया। कंपनी की ओर से प्रोडक्ट्स की फोटोग्राफी कर, उसे पोर्टल पर अपलोड किया जाता, जिससे कि कंज्यूमर्स को अट्रैक्ट किया जा सके।

यूनीकनेस पर जोर

ई-कॉमर्स किसी मैराथन रेस की तरह है। मैंने अपने बिजनेस पर फोकस किया। मसलन, किसी भी कंडीशन में इंडियन थीम के साथ कॉम्प्रोमाइज नहीं करने का फैसला। ऑनलाइन एजेंट्स की स्कीम शुरू की। इसमें एजेंट्स को सामान बेचने पर 10 परसेंट की छूट दी जाती है। आज करीब 500 एजेंट्स वेबसाइट से जुड़े हैं। हमारा लक्ष्य अपने साथ एक लाख सेलर्स को जोड़ना और कम से कम एक करोड़ कस्टमर्स तक प्रोडक्ट्स को पहुंचाना है।


टारगेट कंज्यूमर इंट्रेस्ट

होमशॉप18 ने इंडिया में होमशॉपिंग का बिजनेस 2008 में शुरू किया था। शुरू-शुरू में कंज्यूमर च्वॉइस के बारे में हमें पता नहीं था, लेकिन धीरे-धीरे हमने कंज्यूमर इंट्रेस्ट से जुड़ी चीजों पर फोकस कर सारी जानकारियां जुटाईं और कम समय में प्रोडक्ट को कस्टमर्स तक पहुंचाकर उन्हें एक बेहतर प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराया।

कस्टमर रिलेशन पर फोकस


अपने प्रोडक्ट की मार्केट में वैल्यू और डिमांड बनाए रखते हुए, हमने कस्टमर रिलेशन पर सबसे ज्यादा फोकस किया। साथ ही, कस्टमर्स तक कम से कम समय में प्रोडक्ट की डिलीवरी, नये-नये ऑफर्स, प्रोडक्ट्स इनोवेशन, प्राइस कम रखते हुए इंफ्रास्ट्रक्चर का बेहतर इस्तेमाल, जैसी स्ट्रेटेजी ने हमें आगे रखने में मदद की।

विविधता है प्लस प्वाइंट

हम कंज्यूमर्स को ब्रांड्स के ढेरों कैटेगरीज सलेक्शन के ऑप्शंस देते हैं। इनमें बुक्स, मोबाइल फोन्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, ज्वैलरी, होम ऐंड किचन अप्लायंसेज आदि होते हैं। होमशॉप 18 आज टीवी, वेब और मोबाइल जैसे शॉपिंग प्लेटफॉ‌र्म्स के माध्यम से स्पीडी ग्रोथ करने वाली ई-कॉमर्स कंपनी है।

गोल्डन अपॉच्र्युनिटी

ई-कॉमर्स में आने वाले समय मे गोल्डन अपॉच्र्युनिटी है। स्टूडेंट्स चाहें तो ई-कॉमर्स टीम का सदस्य बन सकते हैं। स्टूडेंट्स को क्वालिटी चेक टीम में भी जगह मिल सकती है। चाहे तो वे प्रोडक्ट ट्रेनर्स भी बन सकते हैं।

स्किल्ड पर्सस की डिमांड

ई-कॉमर्स के तेजी से उभरते फील्ड में स्किल्ड पर्संस की काफी जरूरत है, जो अपने इनोवेटिव आइडियाज से बेहतर आउटकम दे सकें। वैसे इस न्यूली सेक्टर में इंजीनियर्स, आइटी प्रोफेशनल्स, ऑपरेशन मैनेजर्स की बहुत मांग है, जिससे कि वे इस फील्ड के इंफ्रास्ट्रक्चर्स को और अधिक आगे ले जा सकें।

फ्यूचर प्लान

हम जल्द ही अपने नये ब्रांड-शॉपिंग मेक्स मी हैपी को लाने वाले हैं। हमारा उद्देश्य मैक्सिमम कस्टमर्स और पार्टनर्स तक अपनी पहुंच बनाना है। कस्टमर्स बेस को बढ़ाने के साथ ही हम टेक्नोलॉजिकल एडवांसमेंट, इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेडेशन और कस्टमर रिलेशनशिप मैनेजमेंट पर फोकस कर रहे हैं। अपनी सारी एनर्जी लगाकर अपने कस्टमर्स तक सही प्रोडक्ट पहुंचाना ही हमारी प्रॉयोरिटी है।

सीखता गया, बढ़ता गया

जल्द से जल्द कुछ अलग, क्रिएटिव और बड़ा करने की चाहत ने मुझे सीरियल एंटरप्रेन्योर बना दिया। हर पल, हर जगह से मैं सीखता गया। सीखने की यह प्रक्रिया आज भी चल रही है। आइआइटी कानपुर से इंजीनियरिंग करने के दौरान कभी ऐसा नहीं सोचा था कि नापतौल जैसी कंपनी खड़ी करूंगा, लेकिन सपने को साकार करने की ललक ने कहां से कहां पहुंचा दिया।

इनोवेशन मेक्स योर फ्यूचर

मेरी लाइफ भी दूसरे आइआइटी इंजीनियर्स की तरह ही थी। 1992 में कानपुर आइआइटी से इंजीनियरिंग के बाद अमेरिका चला गया। वहां मिनेसोटा यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर ऐंड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में मास्टर्स किया। 1994 से 1998 तक वाफर स्केल इंटीग्रेशन इंक में प्रोजेक्ट मैनेजर की जॉब के दौरान काफी कुछ सीखने को मिला। अमेरिका में लोग जॉब से ज्यादा एंटरप्रेन्योरशिप को इम्पॉर्टेस देते हैं। अपने हर सेकंड का बखूबी इस्तेमाल करना जानते हैं। हर काम का क्रिएटिव नजरिया और इनोवेटिव तरीका होता है।

जो सीखा, उसे इंप्लीमेंट किया

1998 में वापस इंडिया आ गया। यहां आकर मुझे डिजाइन एक्सपो शुरू करना था। एक्सपो शुरू करने के बाद इसमें 125 मेंबर्स आ गए। इसके बाद इस एक्सपो को एक पेमेंट सिस्टम कंपनी एसएलएम सॉफ्ट ने ले लिया। एसएलएम के साथ काम करने के दौरान मुझे बिड मैनेजमेंट और इंडियन ऑपरेशंस संभालने का मौका मिला। पांच साल इन सब कामों से काफी एक्सपीरियंस मिला। 2003 में मैंने एएनएमसॉफ्ट नाम से एक कंपनी खोली। यह बूटस्ट्रैप कंपनी है। अब इसमें 200 से ज्यादा मेंबर्स हैं। मैंने सोचा था कि एएनएम टेक्नोलॉजी को साइड बिजनेस कंपनी बनाऊंगा, जो बैंकिंग, ई-मीडिया, ई-रिटेल और ई-ट्रैवल फील्ड में लीडर बन जाएगी। दो कंपनियां खड़ी करने के बाद भी दिल में कुछ ऐसा था, जो बार-बार यह एहसास कराता था कि कुछ अधूरा है, अभी कुछ और करना है।

दो प्रोडक्ट्स की नाप-तौल

तब इंडियन मार्केट में ई-कॉमर्स और ऑनलाइन शॉपिंग शुरू हो चुके थे। एक ही वेबसाइट पर कई सारे प्रोडक्ट्स बेचे जाने लगे थे। लेकिन अब भी लोगों को किसी एक ही जगह प्रोडक्ट्स के प्राइस कंपैरिजन करने की सुविधा नहीं मिल पा रही थी। इसी प्वाइंट से अपनी नई वेबसाइट का प्लॉट बनाया और 2008 में प्राइस कंपैरिजन इंजन के तौर पर नापतौल डॉट कॉम लॉन्च कर दिया।

शुरुआत में मैंने केवल मोबाइल और गैजेट्स के प्राइस कंपरीजन के लिए यह शुरू किया था, लेकिन धीरे-धीरे इसमें बाकी प्रोडक्ट्स भी शामिल होते गए।

फैशन का वन स्टॉप

ई-कॉमर्स स्पेस में ज्यादातर रिटेलिंग वेबसाइट्स कपड़े बेचते हैं, न कि फैशन। इसके अलावा वैसे प्लेटफॉ‌र्म्स हैं, जो हाई एंड कस्टमर्स के साथ डील करते हैं। लेकिन गाजियाबाद की दीपाली पंगासा ने ऐंड इट्स न्यू नाम से एक ऐसा प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है, जहां नए डिजाइनर्स के माध्यम से कंटेम्पररी फैशन को कस्टमर्स तक पहुंचाने की कोशिश की गई है। इससे कस्टमर्स को अपने बजट में फैशनेबल कपड़े खरीदने का एक अच्छा ऑप्शन मिल गया है।

प्लेटफॉर्म फॉर डिजाइनर्स

मैंने गाजियाबाद के आइएमटी से एमबीए किया है। लेकिन मेरा पैशन मुझे लंदन कॉलेज ऑफ फैशन ले गया। वहां से फैशन मार्केटिंग में मैनेजमेंट करने के बाद आठ साल तक मैनेजमेंट कंसल्टेंट के तौर पर काम किया। दुनिया के कई देशों में रही हूं। वहां काम किया है। लेकिन मेरा सपना अपना एक ऑनलाइन स्टोर स्टार्ट करने का था। मुझे छोटे डिजाइनर्स और आर्टिस्ट्स की कहानी सुनना अच्छा लगता था कि कैसे उन्होंने एक मचर्ेंडाइज क्रिएट किया। ऐंड इट्स न्यू शुरू करने के पीछे भी यही मकसद था, यानी एक ऐसा प्लेटफॉर्म बनाना, जहां नए डिजाइनर्स के एक्सक्लूसिव फैशन अपैरल और एक्सेसरीज को प्रमोट किया जा सके। साल 2013 में इसकी शुरुआत हुई।

एक्सक्लूसिव ऑनलाइन शॉप

मैंने दस डिजाइनर्स का एक ग्रुप तैयार किया, जो यूनीक मचर्ेंडाइज क्रिएट करते थे। इसमें इंडस्ट्री के फैशन स्टाइलिस्ट्स और एक्सप‌र्ट्स ने मदद की। इस प्लेटफॉर्म पर डिजाइनर्स के लिए एक बैकएंड पेज है, जो काफी कुछ फेसबुक की तरह है। यहां डिजाइनर्स अपनी शॉप क्रिएट कर सकते हैं। प्रोडक्ट्स की पिक्चर्स अपलोड, स्टॉक और ऑर्डर्स की डिलीवरी को मैनेज करने का काम कर सकते हैं।

इसके लिए डिजाइनर्स को सिर्फ एक ऑनलाइन फॉर्म भरना होता है। एप्लीकेशन को अप्रूवल मिलते ही डिजाइनर वेबसाइट को एक्सेस कर सकता है। डिजाइनर के अलावा प्लेटफॉर्म पर क्लबनोवा नाम से एक फीचर भी है। इसका मेंबर बनने पर कस्टमर्स को डिस्काउंट, डील्स और प्रमोशंस में मदद मिलती है।

बिजनेस मॉडल


वैसे तो अभी शुरुआत ही हुई है। लेकिन वेबसाइट को तीन माध्यमों से रेवेन्यू हासिल होता है। पहला ई-कॉमर्स सेल, दूसरा कस्टमर वियर और तीसरा इंस्टीट्यूशनल सेल से। इसके साथ ही हर सेल पर 25 परसेंट कमीशन चार्ज किया जाता है। फिलहाल यह वेंचर सेल्फ फंडेड है। लेकिन एक्सटर्नल फंडिंग को लेकर बातचीत चल रही है।

ई-कॉमर्स में करियर

खुल रही हैं अनंत राहें

ई-कॉमर्स में प्राइमरी लेवल पर इंटरनेट के जरिए प्रोडक्ट्स और सर्विस की डिस्ट्रिब्यूटिंग, बाइंग, सेलिंग, मार्केटिंग और सर्विसिंग की जाती है। इसमें मार्केटिंग, प्रमोशंस और वेबसाइट डेवलपमेंट और मैनेजमेंट में योग्यतानुसार आसानी से जॉब मिल सकती है।

स्ट्रेटेजी प्लानिंग ऐंड मार्केटिंग


ई-कॉमर्स में बिजनेस शुरू करने से पहले हर कोई यह देखना चाहता है कि मार्केट का ट्रेंड क्या है? किस तरह के प्रोडक्ट्स की डिमांड है? इसकी एनालिसिस के बाद प्रोडक्ट की पैकेजिंग और मार्केटिंग का काम होता है। इसके लिए फाइनेंस या मार्केटिंग में एमबीए या पीजीडीएम कैंडिडेट्स को रखा जाता है।

एड ऐंड प्रमोशन

इसमें क्लाइंट्स के लिए दूसरे नेटव‌र्क्स पर अपॉ‌र्च्युनिटीज क्रिएट करते हैं। यह काम हालांकि अंडरग्रेजुएट स्टूडेंट्स भी कर सकते हैं, फिर भी एमबीए या पीजीडीएम को वरीयता दी जाती है।

वेब डेवलपमेंट ऐंड डिजाइनिंग

ई-कॉमर्स में वेबसाइट और वेब पेजेज पर दिखने वाले प्रोडक्ट्स पर ही पूरा बिजनेस टिका होता है। ऑफलाइन की तरह ऑनलाइन में भी पहली नजर में कस्टमर प्रोडक्ट की पैकेजिंग और डिजाइनिंग देखकर ही अट्रैक्ट होता है। डिजाइनर का काम यही होता है कि वह प्रोडक्ट को इस तरह से डिजाइन करके पेश करे कि कस्टमर प्रोडक्ट खरीदे बिना न जा सके।

इंजीनियर

पूरे ई-कॉमर्स वेबसाइट के ऑपरेटिंग सिस्टम को सुचारु रूप से चलाने और किसी भी टेक्निकल प्रॉब्लम को सॉल्व करने का जिम्मा इन पर होता है। सॉफ्टवेयर, यूजर इंटरफेस, सप्लाई चेन, कस्टमर सपोर्ट हर सेक्शन में इंजीनियर्स की डिमांड होती है।

कस्टमर केयर एग्जीक्यूटिव


ई-कॉमर्स में प्रोडक्ट्स की ऑनलाइन शॉपिंग के साथ-साथ इसके एप्लीकेशन में हेल्प के लिए कस्टमर केयर सेंटर का अच्छा-खासा नेटवर्क बनाना पड़ता है। इसके लिए कस्मटर केयर एग्जीक्यूटिव की जरूरत होती है। कोई भी 10+2 पास कैंडिडेट, जिसकी अपनी लैंग्वेज पर पकड़ हो, कम्युनिकेशन स्किल एक्सीलेंट हो और प्रॉब्लम सॉल्वर हो, वह इस जॉब के लिए फिट हो सकता है।

वेबसाइट पर देखें वैकेंसीज

डिटेल्स के लिए आप किसी भी ई-कॉमर्स वेबसाइट के करियर सेक्शन में जाकर ओपन पोजीशंस देख सकते हैं।

इंस्टीट्यूट्स

जिवाजी यूनिवर्सिटी, इंदौर, एम.पी.

www.ji2aji.edu


राजस्थान यूनिवर्सिटी, जयपुर

www.uniraj.ac.in

लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, फगवाड़ा, पंजाब

www.lpu.in

अच्छी क्वालिटी जरूरी

ऑनलाइन मार्केट क्वालिटी पर डिपेंड करता है। इसलिए डिलीवरी से पहले क्वालिटी की जांच बहुत जरूरी होती है। इसी से कस्टमर सेटिस्फाई होता है।

मोबाइल ट्रांजैक्शन है फ्यूचर

आने वाले समय में बड़ी संख्या में मोबाइल ट्रांजैक्शन देखने को मिलेंगे। नए ई-कॉमर्स मोबाइल ऐप्स लॉन्च होते दिखेंगे, कोई वेब वर्जन नहीं होगा। जो मोबाइल सेंट्रिक स्टार्टअप्स होंगे,उन्हें फायदा मिलेगा।

एफडीआई से फायदा

एफडीआई से बिजनेस की कॉस्ट कम हो जाएगी। कस्टमर्स और एंटरप्रेन्योर्स दोनों को फायदा होगा। वहीं, भविष्य में कुछ यूनीक और एक्सक्लूसिव करने वाले स्टार्टअप्स ही रह जाएंगे।

सेफ बिजनेस मॉडल

ई-कॉमर्स मार्केट बेहद प्रॉमिसिंग है। यह सबसे सुरक्षित बिजनेस मॉडल है, जिसमें ऑफलाइन की तरह ज्यादा कैपिटल इनवेस्टमेंट की जरूरत नहीं होती है। सिर्फ अपनी क्रिएटिविटी को पेश करना आना चाहिए.

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Education Desk

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