लोक सेवा आयोग उत्तर प्रदेश सम्मिलित राज्य/प्रवर अधीनस्थ सेवा मुख्य परीक्षा 2011 दिनांक 8 दिसंबर 2011 से 3 जनवरी 2012 के मध्य इलाहाबाद, लखनऊ व गाजियाबाद केंद्रों पर आयोजित कर रहा है. यहां पर सामान्य हिन्दी का प्रश्नपत्र दिया गया है. अभ्यर्थी पढ़े और लाभ उठाएं.
सामान्य हिन्दी
GENERAL HINDI
निर्धारित समय : तीन घण्टे] पूर्णांक : 150
Time allowed : Three Hours] [Maximum Marks : 150
नोट : (i) सभी प्रश्न अनिवार्य हैं.
(ii) प्रत्येक प्रश्न के अंक प्रश्न के अंत में अंकित हैं.
(iii) पत्र अथवा प्रार्थना-पत्र के प्रारम्भ या अंत में अपना नाम, पता एवं अनुक्रमांक न लिखें. आवश्यक होने पर क, ख, ग अथवा x, y, z लिख सकते हैं. कोई अन्य नाम व पता भी न लिखें.
1. हमारे चारों ओर एक प्रत्यक्ष जगत् है. उसका ज्ञान प्राप्त करने के लिए हमारी ज्ञानेन्द्रियों से लेकर सूक्ष्म वैज्ञानिक यंत्रों तक एक विस्तृत कारण-जगत् बन चुका है और बनता जा रहा है. बाह्य जगत् के सम्बन्ध में विज्ञान और ज्ञान की विचित्र स्थिति है. जहां तक विज्ञान का प्रश्न है, उसने इन्द्रियजन्य ज्ञान में सबसे पूर्ण प्रत्यक्ष को भी अविश्वसनीय प्रमाणित कर दिया है. अपनी अपूर्णता नहीं, पूर्णता में भी दृष्टि रंगों के अभाव में रंग ग्रहण करने की क्षमता रखती है और रूपों की उपस्थिति में भी उनकी यथार्थता बदल सकती है. इसके अतिरिक्त प्रत्यक्ष ज्ञान के ऊपर अनुमान स्मृति आदि की प्रत्यक्ष छाया फ़ैली रहती है. हमें यह विशिष्ट विज्ञान उपयोग के लिए चाहिए, पर उपयोग के भोग के लिए हम अपना सहज अनुभव ही चाहते रहेंगें इसी कारण वैज्ञानिक ज्ञान को सीखकर भूलता है और कलाकार भूल कर सीखता है.
(क) उपर्युक्त गद्यांश का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए. 05
(ख) उपर्युक्त गद्यांश के आधार पर ज्ञान और विज्ञान में अन्तर स्पष्ट कीजिए. 05
(ग) उपर्युक्त गद्यांश के रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए. 20
2. मार्क्स मानव की आत्म-चेतना को सबसे बड़ा देवता मानता है. उसका कहना है कि मनुष्य धर्म को बनाता है, न कि धर्म मनुष्य को. मानवेतर परम पुरुष की कल्पना, मनुष्य के ख्याल और वहम का नतीजा है. इसमें वास्तविकता कुछ नहीं हैं. जितना ही अधिक मनुष्य ईश्वर को गुणों से विभूषित करता है उतना ही अधिक वह अपने को खण्डित और विकलित बनाता है. मानव की परिपूर्णता में धर्म बाधक है. परलोक की सुन्दर कल्पना कर धर्म अपनी आज की जिम्मेदारियों से बारी हो जाता है. धर्म आज रूढ़ियों और स्थिर स्वार्थ का समर्थक है. उसके अनुसार वर्तमान सामाजिक व्यवस्था ईश्वरकृत है इसलिए वह सदा के लिए अपरिवर्तनशील है. धर्म वर्तमान को सुरक्षित रखना चाहता है और परमेश्वर की कल्पना कर मनुष्य को दुर्बल बना देता है. उसमें आत्मविश्वास नहीं उत्पन्न होने देता, जीवन की ठोस हकीकत से उसको अलग कर वहम की काल्पनिक दुनिया में नचाता है. धर्म के बोझ के तले मानव दबा रहता है. समाजवाद धर्म की मीमांसा कर धर्म की कैद से मनुष्य को छुटकारा दिलाता है, मानवता के गौरव को बढ़ाता है तथा वर्ग-संघर्ष से समाज को अक्षुण्ण रखता है.
(क) ऊपर लिखे गए गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए. 05
(ख) संक्षेपण की विशेषताएं बताइए. 05
(ग) संक्षेपण एवं सारांश में अन्तर बताते हुए उपर्युक्त अवतरण का संक्षेपण एक तिहाई शब्दों में कीजिए. 20
3. (क) सरकारी एवं अर्द्ध-सरकारी पत्र का अन्तर स्पष्ट करते हुए अर्द्ध-सरकारी पत्र का एक उदाहरण प्रस्तुत कीजिए. 10
(ख) परिपत्र एवं अधिसूचना में अन्तर बताते हुए परिपत्र का एक प्रारूप प्रस्तुत कीजिए. 10
4. (अ) (i) निम्नलिखित शब्दों के उपसर्ग और मूल शब्द पृथक-पृथक लिखिए: 05
कुसंगति, अनधिकार, दुर्जन, व्यर्थ, अत्युत्कट.
(ii) कृत् एवं तद्धित प्रत्यय में क्या अन्तर है? दोनों के दो-दो उपयुक्त उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए. 05
(ब) निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए: 10
सावधान, सुलभ, अक्षर, पण्डित, कुसुम, वीर, रथी, खंडन, अभिमानी, मानवता.
(स) निम्नलिखित वाक्यांशों के लिए एक-एक शब्द लिखिए: 10
(i) जिसका उत्तर न दिया गया हो.
(ii) अपने मत को मानने वाला.
(iii) जो कहा न गया हो.
(iv) परम्परा से सुना हुआ.
(v) जो देखने के योग्य हो.
(द) निम्नलिखित वाक्यों की अशुद्धियाँ ठीक कर अशुद्धि के प्रकार का भी उल्लेख कीजिए: 5+5=10
(i) इस पुस्तक में यही विशेषता है.
(ii) उसके प्राण पखेरू चले गये.
(iii) आप की रचना श्रेष्ठतम है.
(iv) लड्डू और लस्सी पीकर हमने यात्रा की.
(v) वह नगर द्रष्टव्य है.
5. निम्नलिखित मुहावरों एवं लोकोक्तियों का अर्थ स्पष्ट करते हुए उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए: 30
(i) तोता चश्मी करना.
(ii) बालू से तेल निकालना.
(iii) कानी के ब्याह में सौ जोखम.
(iv) छत्तीस का अंक होना.
(v) खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचें.
(vi) कालिख पोतना.
(vii) नौ दो ग्यारह होना.
(viii) अनदेखा चोर शाह बराबर.
(ix) करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान.
(x) घोड़ा घास से यारी करेगा तो खायेगा क्या?
(xi) नौ नगद न तेरह उधार.
(xii) गंगा गये गंगादास, जमुना गये जमुनादास
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