रिटेलिंग के क्षेत्र में किस प्रकार की करियर संभावनाएं हो सकती हैं?
गीता सिन्हा (पटना), आशुतोष अवस्थी (कानपुर), रंजन प्रसाद (गया), आंचल सक्सेना (सहारनपुर), गौरव जोशी (हरिद्वार), पराग जैन (फरीदाबाद), आरती सिंह (मुजफफरनगर), दिनेश त्रिपाठी (इलाहाबाद)
रिटेलिंग की परिभाषा को अत्यंत सरल भाषा में दोहराया जाए, तो यह ऐसी वितरण प्रक्रिया है, जिसमें अत्यंत छोटे चैनलों के जरिए उत्पादकों से उनके द्वारा तैयार विभिन्न उपयोगी प्रोडक्ट्स वास्तविक कंज्यूमर तक कम से कम दाम में पहुंचाए जाते हैं। इस पूरी प्रक्रिया में जितने कम लोग शामिल होंगे, कमीशन की उतनी ही बचत होगी। विश्व में भारत को दस शीर्ष उभरते रिटेलिंग मार्केट के तौर पर देखा जा रहा है। रिटेल असोसिएशन ऑफ इंडिया के आंकडों के अनुसार आगामी 4 वर्ष में रिटेलिंग में लगभग पांच लाख रोजगार का सृजन होगा। इस क्षेत्र में फाइनैंस, आईटी, एचआरडी के अलावा क्वालिटी मैनेजर, कस्टमर केयर प्रोफेशनल, परचेजिंग मैनेजर, स्टोर मैनेजर इत्यादि की बडे पैमाने पर आवश्यकता पडेगी। रिटेलिंग में व्यापक संभावनाओं को देखते हुए देश में सरकारी तथा निजी संस्थानों में पार्ट टाइम तथा फुल टाइम आधार पर इससे संबंधित कोर्स संचालित किए जा रहे हैं। इनमें पीजीडीएम (रिटेलिंग), एमबीए (रिटेलिंग), डिप्लोमा (रिटेल मैनेजमेंट) इत्यादि का उल्लेख किया जा सकता है। कोर्स के दौरान इलेक्ट्रॉनिक रिटेलिंग, मार्केटिंग रिसर्च रिटेल सेलिंग, मॉल मैनेजमेंट, रिटेल परचेजिंग, कंज्यूमर बिहेवियर, सप्लाई चेन मैनेजमेंट इत्यादि की ट्रेनिंग दी जाती है। रिटेलिंग् स्ै संबंधित कोर्स संचालित करने वाले प्रमुख संस्थानों के नाम इस प्रकार हैं :
नरसी मोंजी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, मुंबई (www.nmims.edu )
मुद्रा इंस्टीट्यूट ऑफ कम्युनिकेशन, अहमदाबाद ( www.mica-india.net )
नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ डिजाइन (एनआईडी), अहमदाबाद (www.nid.edu)
आंध्र यूनिवर्सिटी, विशाखापत्तनम (www.andhrauniversity.info)
बिडला इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट ऐंड टेक्नोलॉजी, ग्रेटर नोएडा ( www.bimtech.ac.in)
अन्ना यूनिवर्सिटी, चेन्नई (www.annauniv.edu)
वेटेरिनरी साइंस विषय में ग्रेजुएशन करने से क्या फायदा है? कृपया इस सेक्टर में रोजगार के अवसरों और संस्थानों के नाम भी बताएं?
जगदीश रावत (चमोली), हरिप्रकाश (मेरठ), नंदकिशोर श्रीवास्तव (गोरखपुर), प्रयाग झा (मोकामा), अतुल कुमार (हाथरस), भारती कुमारी (लखनऊ), अनुराग तिवारी (मथुरा), नकुल देव (दिल्ली)
यह विषय मूलरूप से पशुपालन, चिकित्सा तथा पशु उत्पाद से संबंधित है। देश के कृषि विश्वविद्यालयों में यह विशिष्ट कोर्स उपलब्ध है, जिसकी अवधि चार वर्ष की है। इसके अलावा, डेयरी टेक्नोलॉजी पर आधारित संबंधित विषय की ट्रेनिंग भी ली जा सकती है। देश में पशुओं की विशाल संख्या और इनसे प्राप्त होने वाले उत्पादों की विश्व बाजार में मांग को देखते हुए कहा जा सकता है कि इन प्रशिक्षित व्यक्तियों की मांग आने वाले समय में काफी बढेगी। उदाहरण के लिए डेयरी टेक्नोलॉजी को ही लें, तो दुग्ध उत्पादों, दूध, मक्खन, चीज, घी आदि के अलावा दुग्ध से तैयार विभिन्न मिठाइयों का बाजार भी काफी बडा है। डेयरी फार्मो, पशु चिकित्सालयों तथा पशु दवाइयां तैयार करने वाली कंपनियों में वेटेरिनरी साइंस की बैकग्राउंड वाले युवाओं के लिए रोजगार के बेहतर अवसर हो सकते हैं। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए निम्न संस्थानों से संपर्क किया जा सकता है :
इंडियन वेटेरिनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (इज्जतनगर)
आनंद एग्रिकल्चरल यूनिवर्सिटी (आनंद)
सेंट्रल एग्रिकल्चरल यूनिवर्सिटी (इंफाल) -चौधरी चरण सिंह एग्रिकल्चरल यूनिवर्सिटी (हिसार)
हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय (पालमपुर)
गोविन्द बल्लभ पंत यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रिकल्चर ऐंड टेक्नोलॉजी (पंतनगर)
गुरुअंगद देव वेटेरिनरी ऐंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय (रायपुर) -जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय (जबलपुर)
केरल कृषि विश्वविद्यालय (त्रिचूर)
नरेन्द्र देव यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रिकल्चर ऐंड टेक्नोलॉजी (फैजाबाद)
कृपया बताएं कि बीपीओ में करियर के लिहाज से क्या स्कोप है? इस क्षेत्र में किस प्रकार की संभावनाएं हैं और इसमें सफल होने के लिए कितनी योग्यता होनी आवश्यक है?
रजत सिंह (रायपुर), भुवन प्रताप (जोधपुर), मुकेश दीवान (गुडगांव), राकेश ओझा (मुंगेर), प्रकाश दत्त (दिल्ली), विनय अग्रवाल (बरेली), सुधा नाथ (जयपुर), असीम (आगरा)
बीपीओ या बिजनेस प्रॉसेस आउटसोर्सिग की मांग देश ओर विदेश में बडे पैमाने पर देखी जा सकती है। बीपीओ के अंतर्गत कॉल सेंटर (कम्युनिकेशन स्किल और भाषा पर अधिकार), मार्केट रिसर्च (आंकडों के विश्लेषण करने की क्षमता), फाइनैंस ऐंड अकाउंटिंग (कंपनी के खातों से संबंधित काम), डिजाइनिंग (डिजाइनिंग में प्रशिक्षण), मेडिकल ट्रांसक्रिप्शन (मेडिकल टर्मिनोलॉजी के जानकार), एलपीओ (लीगल डाक्यूमेंटेशन), केपीओ (इंटरनेट पर ट्यूशन), मैनेजमेंट कंसल्टेंसी (कंपनियों की जांच कर उन्हें लाभ के तौर-तरीके बताना), कस्टमर सर्विस (कंज्यूमर बिहेवियर की जानकारी) इत्यादि अनगिनत करियर अवसर गिनाए जा सकते हैं । इनकी ट्रेनिंग भी प्राइवेट ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट में उपलब्ध है। हालांकि, फ्रेशर युवाओं को सीधे नियुक्त कर कंपनियां उन्हें अपनी जरूरत के अनुसार ट्रेनिंग देती हैं। बीपीओ के क्षेत्र में सफल होने के लिए अंग्रेजी पर अच्छा नियंत्रण होना आवश्यक है। बाद में इस क्षेत्र में मैनेजमेंट का कोर्स कर रोजगार संभावनाओं को और बेहतर बनाया जा सकता है।
अमन सिंह
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