करियर कोच की चिट्ठी

Dec 28, 2010, 10:50 IST

ग्रेजुएशन किए दस वर्ष हो चुके हैं। दो बच्चे हैं। दूसरों की उन्नति से बहुत विचलित हो उठता हूं। क्या करूं, समझ में नहीं आता है। कोई तरीका व कोर्स बताइए, जिससे जल्द से जल्द आगे बढ सकूं। क्या एमए में लोकप्रशासन ठीक रहेगा?

करियर कोच की चिट्ठी
करियर कोच की चिट्ठी


ग्रेजुएशन किए दस वर्ष हो चुके हैं। दो बच्चे हैं। दूसरों की उन्नति से बहुत विचलित हो उठता हूं। क्या करूं, समझ में नहीं आता है। कोई तरीका व कोर्स बताइए, जिससे जल्द से जल्द आगे बढ सकूं। क्या एमए में लोकप्रशासन ठीक रहेगा?

प्रकाश रंजन सिंह, पटना

मेरी बात शायद कडवी लगे। आप अब तक क्या कर रहे थे? सफलता अचानक घर का पता पूछते हुए आपके दरवाजे पर दस्तक नहीं देती है। सफलता तक पहुंचने में बरसों की मेहनत लग जाती है। आप दस वर्षो से शायद उसी स्थान के आस-पास हैं, जहां से आपने शुरू किया होगा। अचानक छलांग लगाकर औरों के बराबर या उनसे आगे बढ जाने का कोई भी फार्मूला नहीं है। आप अकेले नहीं हैं। बहुत सारे मित्र ऐसी स्थिति से गुजरते हैं। आप सबको मैं सिर्फ इतनी ही सलाह दूंगा : जहां आंख खुली, वहीं सवेरा समझिए। आपकी दौड अब यहीं से शुरू होती है। सबसे पहले यह निश्चित कर लें कि आप पुन: पुरानी स्थिति में वापस नहीं लौटेंगे।  
दूसरों से तुलना बंद कर दीजिए। हीन-भावना के अतिरिक्त कुछ नहीं मिलेगा। यदि तुलना करनी है तो उनकी मेहनत और प्रयासों से कीजिए। उनसे टिप्स लीजिए, इससे आपका मार्ग भी सरल हो सकता है।

यदि कोई कोर्स करना चाहते हैं, तो उसे अपनी जॉब के संदर्भ में देखिए। उदाहरणत: निजी क्षेत्र में इतने वर्ष कार्य करने के बाद यदि आप एमए इन पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन करना चाहते हैं, तो इसका क्या लाभ होगा? 

बेहतर होगा कि कोर्स के संदर्भ में सलाह अपने Seniors से लें, ताकि आप जॉब से रिलैटेड शॉर्ट टर्म डिप्लोमा या सर्टिफिकेट अथवा डिग्री  का चयन कर सकें।

सिर्फ डिग्री या कोर्स  ही पर्याप्त नहीं है। आगे बढने एवं ऊपर उठने में अपने अंदर क्षमता पैदा करना अति-आवश्यक है। अपनी कम्युनिकेशन स्किल्स, कॉन्फिडेंस, ऑर्गेनाइजिंग स्किल्स एवं लीडरशिप स्किल्स  को निरंतर इंप्रूव करते रहें।

प्रलोभनों से बचें। अक्सर लोग पार्ट टाइम काम भी करने की कोशिश करते हैं। किसी भी अच्छे निजी क्षेत्र से जारी किए गए appointment Letter में नौकरी के साथ-साथ इस तरह के कार्यो की पूर्णत: मनाही होती है।


नौकरी में संतुष्टि न मिल रही है या बढोत्तरी न हो रही हो तो बदल देना ही बेहतर है। और अगर नौकरी में नहीं रहना हो, तो अपना बिजनेस, चाहे छोटा ही हो, बुरा नहीं है। हां, इसके लिए अपनी परिस्थिति, साधना और क्षमता को समझना आवश्यक है। सोचिए और सोच को actions में बदलिए। अपनी life में Blame करना बन्द कीजिए और न्द्बद्व निर्धारित कीजिए।

राजीव खुराना

करियर व मैनेजमेंट कंसल्टेंट

Jagran Josh
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