ओपन लर्निग के माध्यम से पढने वाले ऐसे छात्रों की कमी नहीं, जिन्होंने स्वेच्छा से डिस्टेंस एजुकेशन की राह पकडी है। यदि आप भी ओपन लर्निग के विद्यार्थी हैं या फिर आगामी सत्र में किसी कोर्स में एडमिशन लेने की सोच रहे हैं, तो आप इन बातों पर जरूर ध्यान दें ..
प्रॉस्पेक्ट्स को लेकर रहें अलर्ट
ज्यादातर स्टूडेंट्स प्रॉस्पेक्ट्स को अच्छी तरह पढते ही नहीं हैं। हालांकि डिस्टेंस एजुकेशन प्रदान करने वाले सभी विश्वविद्यालय प्रॉस्पेक्ट्स में प्रत्येक कोर्स की छोटी से छोटी जानकारी भी दर्ज करते हैं। इसमें आपको असाइनमेंट जमा करने से लेकर परीक्षा के लिए फॉर्म भरने की अंतिम तिथि, कॉन्टैक्ट क्लासेज, महत्वपूर्ण फोन नंबर आदि की जानकारी मिलती है। कुछ विश्वविद्यालय विवरण पुस्तिका में ही सिलेबस भी दे देते हैं।
स्टडी मैटेरियल है बेस
डिस्टेंस एजुकेशन के स्टूडेंट्स को अपने कोर्स के बेसिक आउटलाइन को समझने के लिए सिलेबस के आधार पर प्रिंटेड स्टडी मैटेरियल भी संस्थान उपलब्ध करवाते हैं। गौरतलब है कि विशेषज्ञ प्राध्यापकों द्वारा तैयार यह अध्ययन सामग्री सेल्फ स्टडी के लिए बेहद उपयोगी होते हैं। हालांकि अच्छे अंक लाने के लिए यह जरूरी है कि आप संबंधित विषय पर कुछ रेफरेंस बुक्स से भी कंसल्ट करें।
लाइब्रेरी सुविधा का उठाएं लाभ
आज अधिकतर विश्वविद्यालय ओपन लर्निग के विद्यार्थियों के लिए भी क्षेत्रीय केंद्रों व स्टडी सेंटर्स पर लाइब्रेरी की सुविधा उपलब्ध करवा रहे हैं। कोर्स पर बेहतर पकड बनाने के लिए सप्ताह में कम से कम एक दिन कुछ घंटे लाइब्रेरी के रीडिंग रूम में स्टडी के लिए जरूर निकालें।
क्लास से हों कनेक्ट
ओपन लर्निग के अंतर्गत प्रत्येक कोर्स के लिए साल के कुछ दिन, विशेषकर छुट्टियों में पर्सनल कॉन्टैक्ट प्रोग्राम यानी पीसीपी क्लासेज तो चलती हैं, लेकिन अधिकतर विद्यार्थी इन कक्षाओं को लेकर अधिक उत्साहित नहीं होते। याद रखें कि इन क्लासों में विशेषज्ञ प्राध्यापक स्टूडेंट्स को उनके चुने गए कोर्स पर गाइडेंस देते हैं, जो कि परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए एक बेहतर प्लेटफॉर्म होता है। इसलिए एक भी क्लास मिस न करें ।
बनाएं स्टडी शेड्यूल
चूंकि डिस्टेंस एजुकेशन में आपको स्वयं पढना होता है, इसलिए चाहे आप किसी भी जॉब में क्यों न हों, हर रोज स्टडी के लिए कुछ घंटे जरूर निकालें। यह बिल्कुल न सोचें कि परीक्षा से दो-तीन हफ्ते पहले पढ कर आप अच्छे अंक ला पाएंगे। याद रखें, नियमित स्टडी से ही परीक्षा में अच्छे अंक आ सकते हैं।
आत्मविश्वास रखें बरकरार
डिस्टेंस एजुकेशन के जरिए स्टडी करने वाले अधिकतर विद्यार्थियों में यह धारणा आम है कि रेगुलर और ओपन की डिग्री में अंतर होता है। याद रखें कि दोनों की डिग्रियां हायर एजुकेशन, जॉब आदि के लिहाज से एक समान मानी जाती हैं। इसलिए पूरी आत्मविश्वास के साथ अपना कोर्स पूरा करें। याद रखें, आपके लिए भी उन सभी क्षेत्रों के दरवाजे खुले हुए हैं, जो रेगुलर स्टूडेंट्स के लिए हैं।
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के नोएडा स्थित इंटरनेशनल सेंटर फॉर डिस्टेंस एजुकेशन ऐंड ओपन लर्निग की इंचार्ज प्रो. जोगेश कौर से मुनमुन प्रसाद श्रीवास्तव की बातचीत पर आधारित
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