यदि यह कहें कि इस संसार में पूरी तरह परफेक्ट कोई नहीं होता, तो शायद गलत नहीं होगा। सच तो यह है कि निरंतर परफेक्ट होने की कोशिश करते रहना और बात है और अपने को सबसे बडा मानने का अहम पालना और बात। हालांकि कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो अहम को न केवल खाते, पीते और ओढते हैं, बल्कि इस तरह का भ्रम भी पालते हैं कि वे ही सब जानते हैं। और शायद यही वजह है कि ऐसे लोग जीवन में न केवल लगातार टूटते-बिखरते रहते हैं, बल्कि अंतत: दुख के शिकार भी हो जाते हैं। आइए, जानें कि जीवन का यथार्थ क्या है..? जीतने की ख्वाहिश हम सब में होती है, लेकिन सच तो यही है कि वह ख्वाहिश हकीकत में तभी तब्दील हो पाती है, जब हम उसके लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर देते हैं। और वह तभी संभव हो पाता है, जब हम निष्ठा, ईमानदारी और मेहनत से काम करें। और ऐसा करने के लिए जरूरी है कि हममें उस काम के प्रति जुनून और खुद को समर्पित कर देने की भावना हो। हां, ऐसा करके ही हम कुछ ही दिनों में परफेक्शन की दहलीज पर तो खडे हो सकते हैं, लेकिन तब भी हम परफेक्ट नहीं हो पाएंगे! शायद इस बात से वे लोग आहत हो जाएं, जो परफेक्शनिस्ट बनना चाहते हैं। लेकिन सच यही है, क्योंकि नो मैन इज परफेक्ट इन दिस वर्ल्ड (इस संसार में कोई भी व्यक्ति पूर्ण नहीं है)। और एक सच यह भी है कि परफेक्शन की कोई सीमा नहीं होती और परफेक्शनिस्ट को मापने के लिए अभी तक कोई मानदंड या किसी तरह का कोई इंचटेप भी तैयार नहीं हो पाया है! अब यदि वैज्ञानिकों की मानें, तो पता चलेगा कि परफेक्शनिस्ट अमूमन अपना लक्ष्य हासिल नहीं कर पाते हैं। इसके पीछे वैज्ञानिक दो तर्क देते हैं। पहला, जब लोग परफेक्शन पाना चाहते हैं, तो वे अपने उद्देश्य को हासिल करने के लिए इतने बडे स्टैंडर्ड सेट कर लेते हैं कि उनकी छोटी-सी असफलता भी उन्हें कई दिनों तक हताश किए रहती है। उस असफलता के बाद वे हर चीज को नकारात्मक दृष्टि से देखने लगते हैं। दूसरा, वे किसी भी काम को करने में बहुत समय लगा देते हैं। और शायद इसी वजह से वे अक्सर समय पर काम खत्म नहीं कर पाते हैं। ऐसी स्थिति में सच तो यह है कि परफेक्शन हमें बजाय सहायता करने के, नुकसान पहुंचाने लगता है। और जब ऐसी परिस्थितियां आएं, तो हमें दरअसल, वास्तविकता के धरातल पर आकर चीजों की समीक्षा करनी चाहिए और परफेक्शनिस्ट बनने के बजाय यही कोशिश करनी चाहिए कि हम अपने जीवन में कैसे सफल हो सकते हैं! आइए, जानें ऐसे ही कुछ बिंदुओं को, जिनके माध्यम से आप सफलता के शिखर तक पहुंच सकते हैं..
तय करें अपनी प्राथमिकताएं
सफलता अर्जित करने के लिए आपको खुद की प्राथमिकताओं को तय करना पडेगा। इसके लिए किसी प्रोजेक्ट या असाइनमेंट की शुरुआत करने से पहले आपको खुद ही यह निर्णय लेना होगा कि उन्हें आप कितने समय में खत्म कर सकेंगे? दरअसल, ऐसा करने से आप इस बात का पता भी लगा सकेंगे कि उनमें से कौन-सा प्रोजेक्ट महत्वपूर्ण है और कौन सा नहीं। इसलिए कम महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट को करने में कम प्रयास करें और महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट को करने में अपने सारे प्रयास झोंक दें।
करें रिलैक्स
आमतौर पर परफेक्शनिस्ट के मन में यही डर बना रहता है कि अगर वे रिलैक्स करेंगे, तो उनकी जगह दूसरे ले लेंगे। ऐसे में, वे लगातार काम किया करते हैं, जिसकी वजह से उनकी जिंदगी से सुख -चैन गायब हो जाता है, क्योंकि सच तो यही है कि वे जिंदगी के सुखद पलों का अनुभव कर ही नहीं पाते! सच पूछिए, तो सफलता पाने के लिए आपको दूसरों से तुलना करने के बजाय लगातार अपना कर्म करते रहना चाहिए।
लक्ष्य ऐसा बनाएं, जिन्हें आप पा सकें
इस बात को हमेशा याद रखें कि सफलता का मार्ग आप एक दिन में तय नहीं कर सकते, क्योंकि इस रास्ते को तय करने में आपको समय लगता है! ऐसी स्थिति में यह बात बेहद जरूरी है कि आप ऐसा लक्ष्य बनाएं, जिन्हें आप हासिल कर सकते हों। अमूमन परफेक्शनिस्ट ऐसे लक्ष्यों का चयन करते हैं, जिनमें सफलता की गुंजाइश नगण्य बनी रहती है। और ऐसे में जब उनको असफलता हाथ लगती है, तो उनकी सोच नकारात्मक हो जाती है। इसलिए आपको ऐसे लक्ष्य बनाने चाहिएं, जिन्हें आप पा सकते हों। क्योंकि ऐसी सफलता हासिल होने पर आपका न केवल मनोबल बढ जाएगा, बल्कि आप सफलता के अगले पायदान पर भी कदम रख सकेंगे।
डेडलाइन पर रखें पैनी नजर
आपके दिमाग में यह बात जरूर रहनी चाहिए कि किसी काम को खत्म करने के लिए आपके पास कितना समय है! आपकी हमेशा यही कोशिश होनी चाहिए कि आप उस काम को दी गई अवधि (डेडलाइन) के भीतर ही खत्म कर लें, ताकि आपके पास उस काम को चेक और रीचेक करने का पर्याप्त समय बचा रहे। इस बात पर पैनी नजर बनाए रखें कि क्या उस काम को पूरा करने का कोई आसान विकल्प भी है? जैसे क्या यह जरूरी है कि उस काम को आप ही पूरा करें या फिर उस काम का पूरा हो जाना ही मुख्य उद्देश्य है! यदि अवस्था दूसरी वाली है, तो आप वह काम अपने अधीनस्थ काम करने वाले कर्मचारियों से भी करवा सकते हैं और खुद किसी अन्य महत्वपूर्ण मसले पर काम कर सकते हैं।
सबसे होती हैं गलतियां
ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं है, जो सम्पूर्ण हो। क्योंकि अगर ऐसा होता, तो वे भगवान बन जाते। इसलिए इस बात को हमेशा याद रखें कि आपके भरसक प्रयास करने के बावजूद गलतियां हो जाती हैं। सच पूछिए, तो अधिकांश चीजों को हम गलती करके ही सीखते हैं, जो बाद में हमारे अनुभव बन जाते हैं। यकीन मानिए कि परफेक्शनिज्म की भूख आपके संतोष को खत्म कर देती है, क्योंकि अंत तक आपको यही लगता है कि आप उस काम को और अच्छा कर सकते थे। ऐसी स्थिति में आपकी यही कोशिश होनी चाहिए कि आप परफेक्शनिस्ट बनने के बजाय सफल बनने की कोशिश करें। और इसके लिए अहम को न खाएं पीएं, बल्कि इससे मुक्त रहें।
निर्मलेंदु
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