हालांकि आप "सामान्य अभियांत्रिकी (General Engineering)" में किसी कॉलेज से डिग्री प्राप्त कर सकते हैं, इंजीनियरिंग की सभी स्नातक डिग्रियों में से अधिकांश (करीब 98%) इंजीनियरिंग की खास शाखा (विषय) में दी जाती है। इसलिए कॉलेजों का मूल्यांकन करते समय दिमाग में इंजीनियरिंग की विशेष शाखा को रखना महत्वपूर्ण हो जाता है। कई कॉलेज ऐसे भी हैं जो दाखिले के समय आपसे विशेष शाखा या विषय के बारे में पूछेंगे। हालांकि छात्रों को एक विषय से दूसरे विषय में स्थांतरित होने की सुविधा भी दी जाती है लेकिन यह सुविधा आम तौर पर पहले वर्ष ( नए) की पढ़ाई पूरी होने के बाद मिलती है।
हर साल दिए जाने वाले स्नातक की डिग्रियों की संख्या के आधार पर कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में कराए जाने वाले इंजीनियरिंग विषयों को मोटे तौर पर आकार– आधारित चार श्रेणियों में बांटा जा सकता हैः
• 'बिग फोर' विषयः सिविल, कंप्यूटर, इलेक्ट्रिकल और मैकनिकल इंजीनियरिंग। ये चारों विषय मिलकर सालाना दी जाने वाली इंजीनियरिंग की स्नातक डिग्रियों का करीब दो– तिहाई (67%) होती हैं।
• "मीडियम फोर" विषयः एयरोस्पेस, बायोमेडिकल, केमिकल और औद्योगिक/ विनिर्माण इंजीनियरिंग। ये चार विषय सालाना दी जाने वाली इंजीनियरिंग की स्नातक डिग्रियों का करीब 20% होती हैं।
• "स्मॉलर टेन" विषयः कृषि, वास्तुकला, इंजीनियरिंग प्रबंधन, इंजीनियरिंग भौतिकी/ इंजीनियरिंग विज्ञान, पर्यावरण, सामान्य इंजीनियरिंग अध्ययन, सामग्री, खनन, परमाणु और पेट्रोलियम इंजीनियरिंग। ये दस विषय सालाना दी जाने वाली इंजीनियरिंग की स्नातक डिग्रियों का 10% से भी कम होती हैं।
• विशेषता वाले विषयः विशेषता वाले कई विषय पढाए जाते हैं ( जैसे समुद्र इंजीनियरिंग)। इस प्रकार के विषय सालाना दी जाने वाली इंजीनियरिंग की स्नातक डिग्रियों का 5% से भी कम होती हैँ।
इस लेख में बिग फोर विषयों में से एक – मैकनिकल इंजीनियरिंग के बारे में बताया जा रहा है।
इंजीनियरिंग के सबसे पुरानी शाखाओँ में से एक है मैकनिकल इंजीनियरिंग। सबसे पुरानी शाखा होने के नाते इसे सभी शाखाओं की मां भी कहा जाता है। इस शाखा का सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि यह एप्लीकेशन आधारित अध्ययन क्षेत्र में आता है।
परंपरागत रूप से मैकनिकल इंजीनियरों को मैकेनिक्स, ऊष्मागतिकी (thermodynamics), रोबोटिक्स, कीनेमेटीक्स, संरचनात्मक विश्लेषण, द्रव मैकनिक्स और कई अन्य प्रकार की अवधारणाओं का इस्तेमाल करना होता है। लेकिन अब समय बदल गया है। परंपरागत भूमिकाओँ के अलावा मैकनिकल इंजीनियरिंग में कई नए क्षेत्र जैसे नैनोटेक्नोलॉजी, मिश्रित सामग्रियों का विकास, जैव चिकित्सा अनुप्रयोग, पर्यावरण संरक्षण आदि विकसित हो गए हैं।
मैकनिकल इंजीनियरिंग के पाठ्यक्रमः
• डिप्लोमा कोर्स
पात्रता मानदंडः कक्षा 10
अवधिः 3 वर्ष
• बी. टेक/ बीई कोर्स
पात्रता मानदंडः पीसीएम (भौतिकी, रसायन और गणित) के साथ 10+2
अवधिः 4 वर्ष
• एमई/ एमटेक कोर्स
पात्रता मानदंडः बीटेक/ बीई कोर्स
अवधिः 2 वर्ष
अगर कौशल में सुधार लाना चाहते हैं तो आपको देश के किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से एम.टेक कोर्स करने की सलाह दी जाती है। एम.टेक विशेषज्ञता आधारित कोर्स होता है। मैकनिकल इंजीनियरिंग में विशेषज्ञता वाले प्राथमिक क्षेत्र नीचे दिए जा रहे हैं–
विशेषज्ञता के प्राथमिक क्षेत्र
1. सॉलिड मैकनिक्स ( ठोस वस्तुओँ के व्यवहार का विश्लेषण जो बाहरी भार, तनाव और/ या कंपन के विषयाधीन हो और प्राप्त जानकारी का प्रयोग डिजाइन एवं ऐसी वस्तुओं के निर्माण/ विनिर्माण में करना)
2. द्रव मैकनिक्स ( तरल एवं गैसों के व्यवहार का विश्लेषण करना औऱ उससे प्राप्त जानकारी का प्रयोग मशीनों एवं प्रणालियों– पंप, पंखे, टर्बाइन, पाइपिंग प्रणाली आदि के डिजाइन बनाने और विकास में करना ताकि वे इनके व्यवहार को प्रभावित कर सकें।)
3. ऊष्मागतिकी ( ऊर्जा का एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित होने का विश्लेषण करना और इस जानकारी का इस्तेमाल परिवर्तन उपकरणों एवं प्रणालियों– बिजली संयंत्रों, इंजनों, हीटिंग, वेंटिलेशन और एयर कंडिशनिंग (एचवीएसी) प्रणालियों आदि के डिजाइन बनाने और उन्हें विकसित करने में करना)
4. मैकनिकल डिजाइन (मैकनिकल– आधारित उत्पादों और प्रणालियों की पूरी रेंज को कवर करना)।
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