व्यापार के साथ बढ़ते अवसर

Mar 23, 2011, 12:38 IST

सदियों से विभिन्न देशों के बीच व्यापार मुख्यत: समुद्री मार्ग से होता आया है। यह ट्रैंड आज भी जारी है। भारत एक प्रायद्वीपीय देश है। यहां कई अंतरराष्ट्रीय स्तर के बंदरगाह हैं। वैश्वीकरण के इस दौर में दूसरे देशों के साथ भारतीय व्यापार में निरंतर इजाफा हो रहा है। व्यापार में आ रही तेजी उन लोगों की डिमांड बढा रही है, जो कम समय में पोर्ट से संबंधित कार्यो का प्रबंधन करने में निपुण हैं।

सदियों से विभिन्न देशों के बीच व्यापार मुख्यत: समुद्री मार्ग से होता आया है। यह ट्रैंड आज भी जारी है। भारत एक प्रायद्वीपीय देश है। यहां कई अंतरराष्ट्रीय स्तर के बंदरगाह हैं। वैश्वीकरण के इस दौर में दूसरे देशों के साथ भारतीय व्यापार में निरंतर इजाफा हो रहा है। व्यापार में आ रही तेजी उन लोगों की डिमांड बढा रही है, जो कम समय में पोर्ट से संबंधित कार्यो का प्रबंधन करने में निपुण हैं।

किस तरह का है काम

बंदरगाहों से होने वाले व्यापार में पोर्ट मैनेजमेंट के जानकारों की अहम भूमिका होती है। ये बंदरगाह से संचालित होने वाली समस्त व्यापारिक गतिविधियों का प्रबंधन करते हैं। मैटीरियल हैंडलिंग तथा उनकी देखरेख, ट्रांसपोर्ट एवं आर्थिक प्रबंध, डिस्चार्जिग, स्टोरेज एवं मरम्मत, डिस्पैचिंग आदि जिम्मेदारियां इनके कंधों पर ही होती हैं। बंदरगाह से छोटे-बडे कस्बों और शहरों तक प्रोडक्ट को पहुंचाने की व्यवस्था भी यही देखता है।

कोर्स एवं योग्यता

शिपिंग एवं पोर्ट मैनेजमेंट में स्टूडेंट्स एमबीए कर सकते हैं। कुछ संस्थान और विश्वविद्यालय यह कोर्स करा रहे हैं। इसमें प्रवेश संबंधित नियम अलग-अलग हो सकते हैं। इस कोर्स को वही कर सकते है, जो अच्छे अंकों के साथ विज्ञान/ टेक्नोलॉजी/ इंजीनियरिंग/ मैनेजमेंट में स्नातक हैं।

क्या सिखाते हैं?

इस कोर्स में पोर्ट प्रशासन की देखरेख, आर्थिक प्रबंधन आदि की बारीकियों की जानकारी दी जाती है। लोडिंग एवं डिस्चार्जिग के कार्यो को कैसे कम समय में किया जाए, इसके टिप्स भी बताए जाते हैं।

व्यक्तिगत गुण

इस फील्ड में वही आगे बढ सकता है, जिसे अपने विषय की संपूर्ण जानकारी होती है, साथ ही वह कम्युनिकेशन के सभी नए तरीकों को अच्छी तरह जानता है। आजकल बिजनेस व‌र्ल्ड में अंग्रेजी के बिना आगे बढना संभव नहीं है। अत: अंग्रेजी भाषा लिखने और बोलने की काबिलियत होना भी पोर्ट मैनेजमेंट के जानकार के पास होनी चाहिए। बिना थके काफी देर तक काम करने की क्षमता और परिवहन के संसाधनों की जानकारी, पोर्ट मैनेजमेंट की फील्ड में आगे बढने की पहली सीढी है। यह सब गुण आपमें हैं तो यह फील्ड आपका स्वागत करने को तैयार है।

आंकडे कहते हैं कुछ

अपने देश में कुल 12 बडे और 200 छोटे बंदरगाह हैं। बडे बंदरगाहों की क्षमता सन 1951 में 20 मिलियन टन प्रतिवर्ष थी, जो 31 मार्च 2007 तक बढकर 504.75 टन प्रतिवर्ष हो गई। यह भारतीय बंदरगाहों से होने वाले व्यापार में इजाफे का परिणाम है। इस तथ्य से स्पष्ट हो जाता है कि पोर्ट मैनेजमेंट के विशेषज्ञों की डिमांड आने वाले समय में कई गुना बढ सकती है।

रोजगार के अवसर

शिपिंग एवं पोर्ट मैनेजमेंट का कोर्स करने के बाद सरकारी क्षेत्र जैसे रेलवे, डिफेंस आदि में नौकरी हासिल की जा सकती है। इसके विशेषज्ञों के लिए शिपिंग कंपनियां हमेशा से स्वर्णिम अवसर उपलब्ध कराने वाली रही हैं। आज जिस तरह से वैश्विक स्तर पर व्यापारिक कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा बढती जा रही है, उससे इसके जानकारों के लिए अनेक नए अवसर सृजित हुए हैं। आज जितनी भी मल्टीनेशनल कंपनियां हैं, उनमें से अधिकतर ने अपने यहां इसके लिए बाकायदा एक डिपार्टमेंट बना रखा है, जिसमें काफी लोग काम करते हैं। ये कंपनियां जानती हैं कि ऐसे लोगों की मौजूदगी उनके आयात-निर्यात को सुगमता और कम से कम समय में आसानी से कर देगी। विदेशी मल्टीनेशनल कंपनियों को जिस तरह भारत में इस कार्य के लिए अपने प्रतिनिधियों की जरूरत है, उसी तरह शीर्ष भारतीय कंपनियों को भी विदेश में काम करने के लिए ट्रेंड लोगों की आवश्यकता है। शिपिंग एवं पोर्ट मैनेजमेंट के प्रशिक्षित के रूप में काम करते हुए आप वेतन की उन असीम ऊंचाइयों को छू सकते हैं। इस फील्ड में सरकारी क्षेत्र में काम करने वालों का वेतन नामचीन प्राइवेट कंपनियों में काम करने वालों की तुलना में कम होता है। प्राइवेट कंपनियों के लोगों को वेतन के अलावा हाउस रेंट, मेडिकल एलाउंस, कंवेएंस आदि की बेहतर सुविधाएं मिलती हैं।

गोल्डेन फ्यूचर

अपने देश में शिपिंग एवं पोर्ट मैनेजमेंट का कोर्स अभी कुछ ही संस्थानों में उपलब्ध है, लेकिन जिस तरह पोर्ट मैनेजमेंट के प्रशिक्षितों की मांग और इस कोर्स के प्रति युवाओं का रुझान बढ रहा है, उसे देखते हुए निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि जल्द ही यह कोर्स कराने वाले संस्थानों की संख्या में काफी इजाफा हो जाएगा।

प्रमुख संस्थान

आईआईटी, खडगपुर

एकेडमी ऑफ मैरीटाइम एजुकेशन ऐंड ट्रेनिंग, तमिलनाडु

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पोर्ट मैनेजमेंट, चेन्नई

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ शिपिंग मैनेजमेंट, मुंबई

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ लाजिस्टिक, चेन्नई

इंस्टीट्यूट ऑफ रेल ट्रांस्पोर्ट, नई दिल्ली

शरद अग्निहोत्री

Jagran Josh
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