गणतंत्र दिवस की साठवीं वर्षगांठ भारतीय कंपनियों के साथ-साथ युवाओं के लिए जबर्दस्त खुशियां लेकर आई है। खुशी इस बात को लेकर कि अमेरिका सहित पूरी दुनिया जहां अभी तक मंदी के प्रभाव से नहीं उबर सकी है, वहीं भारतीय कंपनियों ने न केवल अपना वजूद बनाए रखा है बल्कि आशा के विपरीत काफी ग्रोथ भी की है। ऐसे में भारतीय युवाओं को रिसेशन को लेकर चिंतित होने की जरूरत इसलिए नहीं है, क्योंकि भारी मुनाफा कमा रही भारतीय कॉरपोरेट कंपनियों ने पहले की तरह एक बार फिर स्किल्ड युवा प्रोफेशनल्स को भारी-भरकम पैकेज पर जॉब ऑफर करना आरंभ कर दिया है। इसका नमूना इन दिनों अधिकांश शैक्षणिक संस्थानों में कैंपस प्लेसमेंट के लिए पहुंच रही कंपनियों की बढती गतिविधियों के रूप में देखा जा सकता है। यही कारण है कि पिछले वर्ष जहां अधिकांश संस्थानों (तमाम प्रतिष्ठित संस्थानों तक के भी) के प्लेसमेंट सेंटर्स ठंडे पडे हुए थे, वहीं इस साल की शुरुआत से ही वहां रौनक बढ गई है। हाल यह है कि भले ही अंतिम सेमेस्टर समाप्त होने में अभी कई माह बाकी हों, लेकिन कंपनियों ने रिटेन एग्जाम और इंटरव्यू लेकर भर्ती किए जा सकने वाले स्टूडेंट्स को शॉर्टलिस्ट कर लिया है। आईटी, कॉमर्स, इंजीनियरिंग आदि के इन स्टूडेंट्स को सालाना पैकेज चार से दस लाख रुपये या इससे अधिक ऑफर किया जा रहा है।
कंपनियों की पौ बारह
अगर भारत की तमाम बडी कंपनियों के ताजा आंकडों पर गौर करें तो पाएंगे कि प्राय: सभी ने उम्मीद से बेहतर मुनाफा दर्ज कराया है। देश की सबसे बडी सॉफ्टवेयर कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विस (टीसीएस) के सीईओ एन. चंद्रशेखरन के अनुसार, दिसंबर 2009 में समाप्त तिमाही के लिए कंपनी का शुद्ध लाभ एक साल पहले की तुलना में 34 फीसदी बढकर 1,824 करोड रुपये हो गया और कंपनी ने समग्र रूप से सभी क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन किया। इतना ही नहीं, अन्य बडी आईटी कंपनियां, जैसे-इंफोसिस, विप्रो भी मुनाफा कमाने में पीछे नहीं रही हैं। इसके अलावा, भारतीय बैंकिंग सेक्टर, इंश्योरेंस, एफएमसीजी, रिटेल, इंफ्रास्ट्रक्चर से संबंधित कंपनियां भी मुनाफे की राह पर आगे बढती रही हैं। विप्रो ने जहां मुनाफे में 21 फीसदी बढोत्तरी दर्ज की, वहीं एचडीएफसी ने 31, आईडीबीआई ने 29 और यूको बैंक ने 43 फीसदी मुनाफा कमाया। ये तो चंद उदाहरण हैं। मुनाफा कमाने वाली भारतीय कंपनियों की लिस्ट बहुत लंबी है।
पीपीपी ने दिखाई राह
एक तरफ अमेरिका सहित दुनिया की तमाम कंपनियां जहां दिवालया हो रही थीं और बडे-बडे बेलआउट पैकेज भी उन्हें मंदी के दलदल से नहीं निकाल पा रहे थे, वहीं भारतीय कंपनियों ने सरकार के साथ कदम से कदम मिलाते हुए पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप यानी पीपीपी के तहत ऐसी मजबूत दीवार खडी की, ताकि किसी भी कंपनी पर मंदी की मार न पड सके। इसी का नतीजा है कि बी. रामलिंगम राजू की काली करतूतों से डूबी कंपनी सत्यम को उबारने में मदद मिली और आज यह कंपनी महिंद्रा-सत्यम के नाम से एक बार फिर खुद को खडा करने में कामयाब हो पा रही है।
जॉब मार्केट में नं.1
देश की तमाम दिग्गज कंपनियों की बेहतर आर्थिक स्थिति ने उन्हें फिर अपने कुशल कर्मियों की संख्या बढाने के लिए प्रेरित किया है। यही कारण है कि अधिकांश पुन: प्रतिभाशाली भारतीय युवाओं को आकर्षक जॉब के अवसर उपलब्ध कराने के लिए आगे आने लगी हैं। वैसे अगर दुनिया के अन्य देशों से तुलना की जाए तो यह साफ हो जाता है कि रिसेशन के दौर में भी भारत जॉब मार्केट में नंबर वन बना रहा। और अब तो इसमें और ग्रोथ दिखने लगी है। यहां तक कि मंदी की मार से सबसे अधिक प्रभावित रहा आईटी सेक्टर भी फिर से रोजगार उपलब्ध कराने लगा है। ताजा आंकडों के मुताबिक फिलहाल करीब 70 प्रतिशत भारतीय कंपनियां नई भर्तियां कर रही हैं। वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए उम्मीद की जा रही है कि अगले कुछ माह में देश की एक चौथाई कंपनियां बडे पैमाने पर नियुक्तियां करेंगी। स्पष्ट है कि जॉब के मामले में यह आशावादिता भारतीय निजी कंपनियों और सरकारी प्रतिष्ठानों की मजबूती से सामने आई है।
दुनिया में भी दिखा दबदबा
देखा जाए तो भारतीय कंपनियों और युवा प्रतिभाओं का दबदबा देश ही नहीं, पूरी दुनिया में देखने को मिल रहा है। दुनिया की तमाम बडी कंपनियों के ड्राइविंग स्टॉफ पर नजर दौडाई जाए तो पता चलता है कि उनमें से अधिकांश भारतीय ही हैं। उदाहरण के लिए सॉफ्टवेयर बनाने वाली दुनिया की दिग्गज कंपनी माइक्रोसॉफ्ट की ग्लोबल मैनेजमेंट टीम के आला अधिकारियों की सूची में एक चौथाई भारतीय ही हैं। यही स्थिति तमाम मल्टीनेशनल कंपनियों की है।
सरकारी सेक्टर भी नहीं है पीछे
जॉब उपलब्ध कराने के मामले में देश का सरकारी सेक्टर भी कहीं से पीछे नहीं रहा है। एक तरफ जहां दुनिया के अधिकांश देशों का बैंकिंग सेक्टर डूब रहा था, वहीं दूसरी तरफ भारतीय बैंकिंग सेक्टर न केवल आगे बढ रहा था बल्कि जोर-शोर से नई नियुक्तियां भी कर रहा था। यह सिलसिला अभी भी जारी है। भारत का सबसे बडे कॉरपोरेट इम्प्लॉयर भारतीय स्टेट बैंक ने पिछले वर्ष 27 हजार नई नौकरियां दीं और भर्तियों का सिलसिला बरकरार रखा है। बीएचईएल 2012 तक अपने कर्मचारियों की संख्या बढाकर 50 हजार करने वाला है। इंफ्रास्ट्रक्चर से जुडी कंपनियां भी बडे पैमाने पर जॉब मुहैया करा रही हैं।
रहें हरदम तैयार
भारतीय कंपनियों की दमदार उपस्थिति देखते हुए युवाओं को भी उपयुक्त जॉब के लिए खुद को अच्छी तरह तैयार रखना चाहिए। कंपनियों को ऐसे वेल-स्किल्ड प्रोफेशनल्स की तलाश रहती है जो उनका और देश का नाम पूरी दुनिया में रोशन कर सकें। तो फिर देर किस बात की..। अगर आप समझते हैं कि मुश्किल से मुश्किल काम भी आसानी से कर सकते हैं, आपके पास एक से एक आइडियाज हैं, आप अपने फन में माहिर हैं और अपनी निर्णय क्षमता से सबको मुरीद बना सकते हैं तो इस गणतंत्र दिवस पर आपके खुश होने के पर्याप्त कारण हैं..क्योंकि आपमें है दम!
(आईएमटी, गाजियाबाद के चेयरमैन-जेएसी डॉ. एएम शेरी से बातचीत पर आधारित)
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