वर्तमान दौर में समाज सेवा ने संस्थागत रूप ले लिया है, विभिन्न स्तर के समाजसेवी संगठन होते हैं और उनमें विभिन्न प्रकार के विशेषज्ञों की आवश्यकता होती है। संगठनों को बाकायदे केंद्र एवं राज्य सरकार के विभिन्न विभागों तथा अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से फंडिंग भी मिलती है इस क्षेत्र में कार्य करने पर पैसा, प्रतिष्ठा, नाम, सम्मान और संतोष तो मिलता ही है, साथ ही देश-विदेश के प्रतिष्ठित पुरस्कारों को प्राप्त करने का अवसर भी मिलता है। इससे संबंधित कोर्स करके एनजीओ सेक्टर व सरकार के साथ जुड़कर समाज को बेहतर बनाने में योगदान किया जा सकता है। सोशल वर्क विषय के पढ़ने पर में इस क्षेत्र में कार्य करने में सुविधा होती है तथा काम करने के प्रचुर अवसर भी मिलते हैं। समाज सेवा के लिए सोशल वर्क एवं अन्य महत्वपूर्ण कोर्स निम्नलिखित हैं:
• बीए/बीएसडब्ल्यू (3 वर्ष)
• एमए/एमएसडब्ल्यू (2 वर्ष)
• सर्टिफिकेट इन सोशल वर्क (1 वर्ष)
• पीजी डिप्लोमा इन एनजीओ मैनेजमेंट (1 वर्ष)
• एमफिल इन सोशल वर्क (2 वर्ष)
• पीएचडी इन सोशल वर्क (2 वर्ष)
कार्य
सोशल वर्कर का कार्य समाज तथा समाज के लोगों की समस्याओं को सुलझाकर उनकी जिंदगी को बेहतर बनाना होता है। सोशल वर्कर लोगों की सामाजिक, आर्थिक तथा मानसिक परेशानियों का पता लगाता है तथा उन्हें दूर करता है।
लोगों को सामाजिक बुराइयों, एड्स, कैंसर जैसी बीमारियों, बच्चों की शिक्षा के महत्व तथा अच्छे स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना, सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को सफल बनाने के लिए उनका प्रचार करना इनका महत्वपूर्ण कार्य है।
एडमिशन
समाज सेवा के कार्य में अपना करियर बनाने के लिए बीए/बीएसडब्ल्यू में दाखिला लिया जा सकता है। इसके लिए बारहवीं पास होना अनिवार्य है। एमए/एमएसडब्ल्यू में दाखिले के लिए किसी भी विषय में स्नातक की डिग्री जरूरी है। जिसके पास सोशियोलॉजी या सोशल साइंस की स्नातक डिग्री है, तो उसे वरीयता प्रदान की जाती है। इस कोर्स में एडमिशन एंट्रेस टेस्ट व इंटरव्यू के माध्यम से होता है। यदि इस विषय में शिक्षा या रिसर्च के क्षेत्र से जुड़ना है, तो एमफिल या पीएचडी की डिग्री आवश्यक है।
व्यक्तिगत गुण
समाज सेवा एक बेहद जिम्मेदारी तथा चुनौतीपूर्ण काम है। इसके लिए बोलने की क्षमता, धैर्य, समर्पण, भावनाओं पर नियंत्रण तथा हमेशा लोगों की मदद करने का जज्बा होना चाहिए। एक सोशल वर्कर में किसी भी परिस्थिति में काम करने तथा उसी के अनुरूप निर्णय लेने की क्षमता आवश्यक है।
पढ़ाई
सोशल वर्क कोर्स के अंतर्गत छात्रों को कम्युनिटी ऑर्गेनाइजेशन, सोशल पॉलिसी ऐंड प्लानिंग, इकोलॉजी, पॉलिटिकल साइंस, हेल्थ, सोशल प्रॉब्लम्स, वीमन स्टडीज, चाइल्ड केयर, फैमिली सर्विस, मेडिकल तथा साइकोलॉजी जैसे सब्जेक्ट्स पढ़ाए जाते हैं।
पद
इस फील्ड से संबंधित कोर्स तथा अनुभव प्राप्त करने के बाद किसी सोशल सर्विस एजेंसी या डिपार्टमेंट में वेलफेयर ऑफिसर, सुपरवाइजर, प्रोग्राम मैनेजर, सोशल सिक्योरिटी ऑफिसर, ट्रेनी ऑफिसर, असिस्टेंट डायरेक्टर या एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर के पद पर कार्य कर सकते हैं।
अवसर
एक अनुमान के मुताबिक, आज देश में लगभग 15 लाख रजिस्टर्ड एनजीओ हैं तथा इनकी संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। यह सेक्टर लगभग पांच लाख लोगों को प्रतिवर्ष रोजगार मुहैया करा रहा है। एनजीओ में बच्चों को पढ़ाने के लिए अध्यापक, प्रोग्राम डायरेक्टर, एड्स कैंसर जैसी बीमारियों से ग्रस्त रोगियों के लिए काउंसलर जैसी रिक्तियां होती हैं। इसके अलावा अस्पताल, क्लीनिकों, काउंसलिंग सेक्टर, सरकारी तथा प्राइवेट कॉर्पोरेट सेक्टर, एमएनसी आदि में सोशल वर्कर के रूप में जॉब कर सकते हैं।
संयुक्त राष्ट्रसंघ से जुडी संस्थाएं, जैसे यूनिसेफ, यूनेस्को, डब्लूएचओ तथा सरकारी एजेंसी, जैसे लेबर ब्यूरो व ग्रामीण विकास से जुडी एजेंसियों, बाल शोषण की रोकथाम से संबंधित कार्यक्रम, महिला मुक्ति कार्यक्रम, आपदाग्रस्त क्षेत्रों तथा ड्रग्स रिहैबिलिटेशन जैसे कार्यक्रमों से जुडकर काम कर सकते हैं। यदि स्वतंत्र रूप से कार्य करना चाहते हैं, तो एनजीओ भी खोल सकते हैं।
कमाई
इस क्षेत्र में कमाई संस्था तथा अनुभव पर निर्भर करती है। इंटरनेशनल एनजीओ में सैलरी व सुविधाएं ज्यादा मिलती हैं।
संस्थान
1. इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली
2. जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली
3. डिपार्टमेंट ऑफ सोशल वर्क, दिल्ली यूनिवर्सिटी
4. एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ एनजीओ मैनेजमेंट, नोएडा
5. टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस, मुंबई
6. डॉ. बाबा साहब अंबेडकर इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस, आगरा
7. मद्रास स्कूल ऑफ सोशल वर्क, चेन्नई
8. पटना यूनिवर्सिटी
9. आंध्र यूनिवर्सिटी
10. बेंगलोर यूनिवर्सिटी
11. नागपुर यूनिवर्सिटी
12. लखनऊ यूनिवर्सिटी
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