आगामी माह से लागू होने वाले जीएसटी में कीटनाशकों पर 18 पर्सेंट टैक्स लगाया जाना निर्धारित किया गया है. पिछले कई वर्षों में फसलों की सुरक्षा हेतु उत्पाद बनाने वाले भारतीय उद्योग ने प्रॉडक्शन क्षमता बढ़ाने के अतिरिक्त आयातित और देशी टेक्नॉलजी को एकसाथ मिलाकर काम करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है.
एक तरफ खेती-बाड़ी लायक जमीन घट रही है, दूसरी ओर देश के ऐग्रिकल्चर सेक्टर को मॉडर्न बनाने के अलावा फूड सिक्यॉरिटी सुनिश्चित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इस लक्ष्य को प्राप्त करने में कीटनाशक ही मददगार हैं.
कीटनाशक प्रॉडक्ट्स फसलों की सुरक्षा में मदद देने वाली हरित क्रांति का एक अहम हिस्सा हैं, यह उत्पादकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
मुख्य तथ्य-
• देश में अनाज की जरूरत पूरी करने हेतु ऐग्रिकल्चर प्रॉडक्टिविटी और इसकी ग्रोथ में और सुधार की आवश्यकता है.
• इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट और प्लास्टीकल्चर टेक्निक के साथ मिलकर ऐग्रोकेमिकल्स बुआई से लेकर कटाई तक फसलों की सुरक्षा और उत्पादन में अहम भूमिका निभाते हैं.
• जीएसटी की प्रस्तावित व्यवस्था में फसलों की सुरक्षा को बीज, उर्वरक, कृषि उपकरण आदि से अलग कर दिया गया है.
• बीजों पर टैक्स छूट दी गई है, उर्वरकों और ट्रैक्टर्स पर 12 पर्सेंट टैक्स लगाया गया है.
• फसलों की सुरक्षा में काम आने वाले उत्पादों पर 18 पर्सेंट की दर से टैक्स लगेगा.
प्रभाव-
• खेती-बाड़ी में इस्तेमाल होने वाले बीज, उर्वरक, कीटनाशक, ट्रैक्टर आदि जैसी चीजों पर कोई भी टैक्स लगने से कृषि उपज के दाम में इजाफा होगा.
• कृषि उत्पादन की कीमतों पर कंट्रोल बाजार का होता है, किसान का इसमें नाममात्र का दखल होता है.
• खेती-बाड़ी में काम आने वाली चीजों की कीमत चढ़ने और उत्पादन की कीमतों में ठहराव रहने से किसान के पास इस लागत को बर्दाश्त करने के अलावा और कोई चारा नहीं बचेगा.
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