उद्योग एवं वाणिज्य संगठन एसोचैम के अनुसार भारत की आर्थिक वृद्धि दर नोटबंदी और जीएसटी के सुस्त प्रभावों से उबरते हुए वर्ष 2018 में 7 फीसदी हो सकती है. एसोचैम ने नववर्ष पूर्व के परिदृश्य में कहा कि वर्ष 2019 में आम चुनाव के पहले सरकारी नीतियों का झुकाव संकटग्रस्त ग्रामीण क्षेत्र की ओर हो रहा है.
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वित्त वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 6.3 प्रतिशत रही है. इसके मुकाबले अगले वित्त वर्ष की सितंबर में समाप्त होने वाली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर सात प्रतिशत को छू सकती है.
मॉनसून के महत्वपूर्ण होने के कारण अगले वर्ष में महंगाई 4 से 4.5 प्रतिशत के बीच रह सकती है. उद्योग एवं वाणिज्य संगठन ने कहा कि अगले साल के लिए सात प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर का उसका अनुमान सरकारी नीतियों में स्थिरता, अच्छे मॉनसून, औद्योगिक गतिविधियों में तेजी, ऋण वृद्धि और स्थिर विदेशी मुद्रा विनिमय दर की आशा पर आधारित है.
एसोचैम के मुताबिक अगर राजनीतिक रूप से कोई बड़ा फेरबदल नहीं होता है तो कच्चे तेल की बढ़ी कीमतों को लेकर चिंता कम हो सकती है. एसोचैम की तरफ से अगले साल 2018 के लिए जारी 'परिदृश्य' के मुताबिक लोकसभा चुनाव से पहले सरकारी नीतियां ग्रामीण क्षेत्रों की ओर झुकी होंगी और अर्थव्यवस्था 2018 में नोटबंदी और जीएसटी के प्रतिकूल असर को पार करते हुए सात फीसदी की दर पर पहुंच जाएगी.
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