केंद्र सरकार ने अपने नागरिकों को किसी प्रकार का झटका नहीं देने के मकसद से शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और तीर्थयात्राओं को जीएसटी के दायरे से बाहर रखने का फैसला किया है. फिलहाल, सरकार का लक्ष्य 1 जुलाई 2017 से देश भर में जीएसटी लागू करने का है.
जीएसटी लागू होने के साथ केंद्रीय उत्पाद शुल्क, सेवा कर, वैट और अन्य स्थानीय लेवी एक हो जाएंगे और इन्हें नेशनल सेल्स टैक्स (राष्ट्रीय बिक्री कर) के नाम से जाना जाएगा जिसे एक उत्पाद या सेवा के उपभोग के समय लगाया जाएगा.
राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने पीटीआई को दिए साक्षात्कार में कहा कि फिलहाल कर के दायरे से बाहर रहने वाली सेवाओं को जीएसटी परिषद द्वारा नहीं शामिल किए जाने पर एक मजबूत मामला बनाने के अलावा, केंद्र सरकार परिवहन जैसी अन्य सेवाओं के लिए वर्तमान स्तर पर रियायती दरों की भूमिक भी तैयार करेगी.
अधिया ने कहा कि जीएसटी लागू करने का तरीका यह होगा कि पहले वर्ष में किसी भी प्रकार के झटके से बचा जा सके और राजस्व की प्राप्ति के आधार पर लागू किए जाने के दूसरे या तीसरे वर्ष में जाकर किसी सेवा को इसके दायरे में लाने या दर में बदलाव करने का फैसला की समीक्षा की जाएगी.
उन्होंने यह भी कहा कि नए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली में किसी समुदाय या सेवा पर लगाए जाने वाले वर्तमान कर को उसी स्तर पर बनाए रखने का प्रयास किया जाएगा.
रिपोर्टों के अनुसार, केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में जीएसटी काउंसिल की बैठक 18 और 19 मई 2017 को श्रीनगर में होनी निर्धारित की गई है. इस काउंसिल में केंद्रीय वित्त मंत्री और सभी राज्यों के प्रतिनिधि हैं.
बैठक के दौरान, वे विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं की दरों पर फैसला करेंगें जिसे नए प्रत्यक्ष कर व्यवस्था में लगाया जाएगा.
अब तक, जीएसटी काउंसिल ने चार– दर कर संरचना को मंजूरी दे दी है और वे 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत हैं. वर्तमान में, 17 आइटम को सेवा के नकारात्मक सूची में रखा गया है.
इन आइटम पर सेवा कर नहीं लगाया जाएगा. इसके अलावा 60 ऐसी सेवाएं हैं जिन्हें सेवा कर से मुक्त किया गया है और उनमें से कुछ हैं– धार्मिक कौशल विकास, तीर्थयात्रा, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, पत्रकारिता से जुड़ी गतिविधियां आदि.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation