केंद्र सरकार ने निर्यात को बढ़ावा देने के इरादे से राज्यों में निर्यात संबंधित बुनियादी ढांचे के विकास के लिये 600 करोड़ रुपये की नई योजना व्यापार ढांचागत सुविधा योजना (टीआईईएस) 15 मार्च 2017 को शुरू की.
इसकी शुरूआत वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने की. निर्यात के लिये व्यापार ढांचागत सुविधा योजना बुनियादी ढांचे में कमी को दूर करने तथा व्यापार गतिविधियों से जुड़ी इकाइयों को ग्राहक और आपूर्तिकर्ता से संपर्क उपलब्ध कराने पर जोर देती है.
योजना का क्रियान्वयन 1 अप्रैल 2017 से होगा. इसके लिये तीन साल का बजटीय आबंटन 600 करोड़ रुपये होगा. इसमें सालाना व्यय 200 करोड़ रुपये होगा. योजना के लिये परियोजना को मंजूरी तथा उसपर निगरानी के लिए अधिकार प्राप्त अंतर-मंत्रालयी समिति गठित की गयी है.
इसकी अध्यक्षता वाणिज्य सचिव करेंगे. वाणिज्य सचिव रीता तेवतिया ने बताया कि निर्यातकों को एक बड़ी लागत ढांचागत सुविधाओं की कमी के कारण उठानी पड़ती है.
चाहे वह बंदरगाहों परीक्षण केंद्र हो या रखरखाव सुविधाओं या शीत गृह श्रृंखला की कमी हो. उन्होंने कहा कि टीआईईएस इस कमी को दूर करने पर ध्यान देगी.
व्यापार ढांचागत सुविधा योजना (टीआईईएस) के बारे में:
वर्ष 2015 में एएसआईडीई योजना के विलय के बाद से राज्य सरकारें निर्यात बुनियादी ढांचा तैयार करने में केंद्र के समर्थन की लगातार मांग कर रही थी. यह सहायता राज्यों को दिए गए कोषों से बुनियादी ढांचा तैयार की दिशा में हस्तांतरण बढ़ाने को प्रोत्साहित करने हेतु महत्वपूर्ण है.
प्रस्तावित योजना का मुख्य उद्देश्य निर्यात बुनियादी ढांचे की कमियों को समाप्त कर निर्यात प्रतिस्पर्धा को बढ़ाना, निर्यात संवर्द्धन परियोजनाओं हेतु पहले एवं आखिरी स्तर के बीच संपर्क स्थापित करना तथा गुणवत्ता और प्रमाणीकरण सुविधा प्रदान करना है.
इस योजना के तहत कमोडिटीज बोर्डों, निर्यात संवर्द्धन परिषदों, एसईजेड प्राधिकारियों एवं भारत सरकार की एक्जिम नीति के तहत मान्यता प्राप्त शीर्ष व्यापार निकायों सहित केंद्रीय एवं राज्य एजेंसियां वित्तीय समर्थन पाने की पात्र हैं.
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