मिश्रित बायोफ्यूल के साथ भारतीय वायुसेना के विमान की पहली उड़ान सफल

भारतीय वायुसेना ने उड़ान से पूर्व जमीन पर बड़े पैमाने पर ईंजन परीक्षण किए. इसके बाद 10 प्रतिशत मिश्रित एटीएफ का इस्तेमाल करते हुए विमान का परीक्षण किया गया.

Dec 18, 2018, 09:37 IST
First time blended biofuel IAF plane takes flight
First time blended biofuel IAF plane takes flight

भारतीय वायुसेना के प्रमुख परीक्षण स्थल एएसटीई, बंगलुरु में 17 दिसंबर 2018 को पायलटों और इंजीनियरों ने एएन-32 सैनिक परिवहन विमान में पहली बार मिश्रित बायो जेट ईंधन का इस्तेमाल करते हुए प्रायोगिक उड़ान भरी. यह परियोजना भारतीय वायुसेना, डीआरडीओ, डायरेक्ट्रेट जनरल एरोनॉटिकल क्वालिटी एश्योरेंस (डीजीएक्यूए) और सीएसआईआर-भारतीय पेट्रोलियम संस्थान का मिला-जुला प्रयास है.

स्मरणीय तथ्य

•    भारतीय वायुसेना ने उड़ान से पूर्व जमीन पर बड़े पैमाने पर ईंजन परीक्षण किए. इसके बाद 10 प्रतिशत मिश्रित एटीएफ का इस्तेमाल करते हुए विमान का परीक्षण किया गया.

•    इस ईंधन को छत्तीसगढ़ जैव डीजल विकास प्राधिकरण (सीबीडीए) से प्राप्त जट्रोफा तेल से बनाया गया है, जिसका बाद में सीएसआईआर-आईआईपी में प्रसंस्करण किया गया है.

•    भारतीय वायुसेना 26 जनवरी, 2019 को गणतंत्र दिवस पर फ्लाईपास्ट में बायो जेट ईंधन का इस्तेमाल करते हुए एएन-32 विमान उड़ाना चाहती है.

•    वायुसेना अध्यक्ष एयर चीफ मार्शल बी.एस. धनोवा ने 27 जुलाई, 2018 को घोषणा की थी कि वायुसेना बायो जेट ईंधन को बढ़ावा देने का प्रयास करेगी.

•    स्वदेशी टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने के बारे में आयोजित एक सेमीनार को संबोधित करते हुए वायुसेना अध्यक्ष ने कहा था कि 26 जनवरी, 2019 को गणतंत्र दिवस पर होने वाले फ्लाईपास्ट में 10 प्रतिशत बायो जेट ईंधन के साथ एएन-32 विमान उड़ाने का भारतीय वायुसेना का इरादा है.

जेट्रोफा से बायो फ्यूल

जेट्रोफा को भारत में पहले जंगली अरण्डी के नाम से भी जाना जाता था. इसकी उपयोगिता एवं महत्व की जानकारी के अभाव में इसकी व्यापारिक तौर पर खेती नहीं की जा रही थी. विगत वर्षों से इसका उपयोग बायोडीजल के रूप में होने के कारण यह केरोसिन तेल, डीजल, कोयला,  लौनी लकड़ी के विकल्प के रूप में उभरा है. जेट्रोफा के तेल से बने डीजल में सल्फर की मात्रा बहुत ही कम होने के कारण इसको बायो-डीजल की श्रेणी में रखा गया है.

भारतीय रेल, दिल्ली से अमृतसर तक जेट्रोफा बायोडीज़ल (5 प्रतिशत मिश्रित) से शताब्दी एक्सप्रेस चलाकर तथा महिंद्रा एंड महिंद्रा कम्पनी अपने ट्रेक्टरों में बायोडीजल का प्रयोग सफलता पूर्वक कर चुका है. जेट्रोफा बायोफ्यूल के जहां बहुद्देशीय लाभ हैं वहीं इसके तेल का उपयोग करने से प्रर्यावरण प्रदूषण में कमी आती है.



स्पाइसजेट का सफल परीक्षण

भारतीय वायुसेना से पूर्व स्पाइसजेट के विमान ने 27 अगस्त 2018 को बायोफ्यूल के इस्तेमाल से देहरादून से दिल्ली तक उड़ान भरी. स्पाइसजेट के विमान क्यू-400 को देहरादून में ही एक दिन पहले 10 मिनट तक बायो-फ्यूल के साथ उड़ाया गया. इस उड़ान के बाद इसे बायो-फ्यूल द्वारा ही देहरादून से दिल्ली तक लाया गया. यह भारत में बायोफ्यूल से उड़ने वाली पहली फ्लाइट थी. अभी तक केवल अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे विकसित देशों में यह प्रयोग सफल रहा है. इस परीक्षण के लिए काउंसिल ऑफ़ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च के तहत देहरादून में संचालित इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ पेट्रोलियम ने 400 किलोग्राम बायो जेट फ्यूल तैयार किया था.


बायोफ्यूल का लाभ

•    भारत में विमानों में यदि बायोफ्यूल का उपयोग होने लगे तो प्रत्येक वर्ष 4000 टन कार्बन डाई ऑक्साइड उत्सर्जन कम होगा.

•    पारंपरिक ईंधन की तुलना में ऑपरेटिंग लागत भी 17% से 20% तक कम हो जाएगी.

•    भारत में बायोफ्यूल के आयात पर निर्भरता कम होगी. वर्ष 2013 में 38 करोड़ लीटर बायोफ्यूल की आयात हुआ, जो 2017 में 141 करोड़ लीटर तक पहुंचा.

•    कुल कार्बन डाई ऑक्साइड उत्सर्जन में हवाई परिवहन की भूमिका 2.5% है, जो अगले 30 साल में 4 गुना तक बढ़ सकती है. बायोफ्यूल से इस उत्सर्जन में कमी आएगी.

 

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Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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