केंद्र सरकार ने निर्यात बढ़ाने के लिये नये प्रोत्साहनों की घोषणा की है. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) 2015-20 की मध्यावधि समीक्षा करते हुए इन प्रोत्साहनों की घोषणा की. ये प्रोत्साहन श्रम आधारित क्षेत्रों और सेवाओं के लिए दिए जाएंगे और इनका मुख्य उद्देश्य निर्यात को बढ़ावा देना है. इसके साथ ही निर्यातकों के लिए कारोबारी सुगमता बढ़ाने वाले कई कदमों की भी घोषणा की गई.
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मुख्य तथ्य:
• श्रम आधारित क्षेत्रों और सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रमों वाले समूचे क्षेत्र के लिए भारत से वस्तु निर्यात योजना के तहत प्रोत्साहन दर दो प्रतिशत बढ़ाई जाएगी.
• मध्यावधि समीक्षा का मकसद प्रक्रियाओं के सरलीकरण के जरिए निर्यात प्रोत्साहन, उच्च रोजगार वाले क्षेत्रों को समर्थन बढ़ाना, जीएसटी के लाभों का उपयोग, सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा तथा अत्याधुनिक विश्लेषण के जरिए निर्यात प्रदर्शन की निगरानी करना है.
• वर्ष 2020 तक देश से वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात 900 अरब डॉलर पर पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है. इसके अतिरिक्त वैश्विक निर्यात में भारत का हिस्सा मौजूदा दो से बढ़ाकर 3.5 प्रतिशत करने का भी लक्ष्य रखा गया है.
• विदेश व्यापार नीति के तहत चमड़ा क्षेत्र को 749 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वार्षिक प्रोत्साहन उपलब्ध होगा. ज्यादातर उत्पादों पर शुल्कों में कमी तथा विभिन्न शुल्कों के गहरे प्रभाव में कमी से लागत घटेगी जिससे निर्यात प्रतिस्पर्धी हो सकेगा.
• वहीं हाथ से बने रेशम के कालीन, हथकरघा, नारियल रेशे और जूट उत्पादों हेतु 921 करोड़ रुपए, कृषि उत्पादों के लिए 1,354 करोड़ रुपए, समुद्री उत्पादों के लिए 759 करोड़ रुपए, दूरसंचार, इलेक्ट्रॉनिक कलपुर्जा क्षेत्र के लिए 369 करोड़ रुपए और चिकित्सा उपकरण क्षेत्र के लिए 193 करोड़ रुपए का अतिरिक्त प्रोत्साहन दिया जाएगा.
• सालाना प्रोत्साहन राशि 34 प्रतिशत बढ़कर 8,450 करोड़ रुपए होने से चमड़ा, हस्तशिल्प, कालीन, खेल का सामान, कृषि, समुद्री उत्पाद, इलेक्ट्रानिक कलपुर्जे तथा परियोजना निर्यात क्षेत्रों को फायदा होगा.
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