केन्द्र सरकार ने गन्ना किसानों के बकाया भुगतान के लिए कई उपायों की घोषणा की है. सरकार ने चीनी मिलों की सहायता के लिए पेराई सीजन 2017-18 के लिए प्रति क्विंटल 5.50 रुपये की मदद देने की घोषणा की है.
यह घोषणा क्यों? |
वर्ष 2017-18 के गन्ना उत्पादन सत्र में अत्यधिक उत्पादन होने पर किसानों को उचित दाम दिलाने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है. इस सत्र में गन्ने के घरेलू मूल्य काफी कम है जिसके कारण किसानों को मुनाफा नहीं मिल पा रहा है. परिणामस्वरूप, किसानों का कुल बकाया भुगतान 20,000 करोड़ रुपये से अधिक हो चुका था जिसके चलते सरकार को किसानों को राहत देने के लिए यह कदम उठाना पड़ा. इसके अतिरिक्त अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर भी इसका प्रभाव नज़र आ रहा है. बाजार में चीनी की कीमतें भारत की तुलना में करीबन 1,000 रुपये प्रति कुंटल कम होने के कारण भारत चीनी का निर्यात नहीं कर पा रहा है. |
सरकार द्वारा किये गये अन्य उपाय
• सरकार ने किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए चीनी पर आयात शुल्क 50 फीसदी से बढ़ाकर 100 फीसदी कर दिया.
• फरवरी और मार्च 2018 में चीनी उत्पादकों पर प्रतिगामी स्टॉक सीमा लगा दिया और चीनी निर्यात पर शुल्क घटाकर शून्य कर दिया.
• मिलों के लिए 20 लाख टन चीनी निर्यात का न्यूनतम सांकेतिक अनिवार्य कोटा निर्धारित किया है.
• इससे पहले 2015 में भी सरकार ने मिलों के लिए इसी तरह का 40 लाख टन चीनी निर्यात का अनिवार्य कोटा तय किया था.
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