मछलियों में रसायनों का पता लगाने वाला किट जारी की गयी

Jan 31, 2018, 11:12 IST

मछलियों को जल्दी खराब होने से रोकने और बर्फ में फिसलन खत्म करने के लिए अमोनिया तथा फॉर्मेल्डहाइड का इस्तेमाल किया जाता है जो कि मनुष्य स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है.

Govt launches kit to detect use of chemicals in fishes
Govt launches kit to detect use of chemicals in fishes

केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने 30 जनवरी 2018 को सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फिशरीज टेक्नालॉजी कोच्चि द्वारा विकसित मछलियों में रासायनिक मिलावट या छिड़काव का पता लगाने वाली किट - त्वरित परीक्षण किट (सिफ्टेस्ट ) को जारी किया.

मछलियों को जल्दी खराब होने से रोकने और बर्फ में फिसलन खत्म करने के लिए अमोनिया तथा फॉर्मेल्डहाइड का इस्तेमाल किया जाता है जो कि मनुष्य स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है. जांच किट मछिलयों में दोनों रसायनों की उपस्थिति का पता लगाता है.

त्वरित परीक्षण किट (सिफ्टेस्ट)

आज का उपभोक्ता भोजन की गुणवता की सुरक्षा को लेकर बहुत सजग है. उपभोक्ता को दूषित पदार्थों की जांच के लिए ऐसी तकनीक की जरूरत है, जो संवेदनशील सुगम होने के साथ-साथ शीघ्रता से दूषित पदार्थों का पता लगा सके.

•    भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फिशरीज टेक्नालॉजी ने अमोनिया तथा फॉर्मेल्डहाइड की त्वरित जांच हेतु परीक्षण किटों को विकसित किया है.

•    इन किटों का प्रयोग उपभोक्ता सरल तरीकों से कर सकता है.

•    किट के भीतर कागज़ की पट्टियां, रसायनिक द्रव्य तथा परिणाम जानने के लिए एक मानक चार्ट दिया गया है.

•    फॉर्मेल्डहाइड एक कैंसर उत्प्रेरित करने वाला रसायन है, इसलिए मत्स्य परीक्षण में इसका उपयोग चिंतनीय है.

•    मत्स्य परिरक्षण के लिए मात्र मानकीकृत मत्स्य प्रसंस्करण, संग्रहण, परिवहन एवं विपणन के कोल्ड चेन का यथोचित प्रयोग करना चाहिए.

 

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क्यों है आवश्यक?

अमोनिया तथा फॉर्मेल्डहाइड के सेवन से मनुष्यों में अनेक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं जैसे, पेट दर्द, वमन, बेहोशी जैसी समस्याएं उत्पन्न‍ हो जाती हैं, और यहां तक कि व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है.

भारतीय घरेलु मत्स्य बाज़ार में फॉर्मेल्डहाइड तथा अमोनिया युक्त मत्स्य के व्रिकय होने की सूचनाएं आए दिन प्राप्त प्राप्त हो रही हैं, विशेषत: उन बाज़ारों में जो उत्पादन केंद्रों से दूरदराज स्थानों में स्थित हैं. राष्ट्रीय एवं अंर्तराष्ट्रीय विनियमों के अनुसार मछली उत्पादों को सिर्फ बर्फ के माध्यम से संरक्षित किया जाना चाहिए तथा इसके परिरक्षण के लिए किसी भी रसायन का उपयोग पूर्णत: वर्जित है.


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Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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