भारत और पुर्तगाल ने अभिलेखागार सहयोग को बढ़ावा देने हेतु एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. समझौते पर पुर्तगाल की राजधानी लिसबन में भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार और पुर्तगाल गणराज्य के संस्कृति मंत्रालय के बीच 17 मई 2017 को हस्ताक्षर किए गए.
मुख्य तथ्य:
समझौते के अंतर्गत पहले कदम के रूप में टौरे दो तोम्बो (नेशनल आर्काइव्स ऑफ पुर्तगाल) ने ‘मोनकॉस दो रीनो’(मॉनसून कॉरस्पान्डन्स) नाम से संग्रह के 62 संस्करणों की डिजिटल प्रतियां राष्ट्रीय अभिलेखागार को सौंपी.
ये संस्करण मूल रूप से वर्ष 1568 से वर्ष 1914 तक की अवधि तक के 456 संस्करणों का हिस्सा रहे हैं. यह गोवा स्टेट आर्काइव्स के सभी रिकॉर्ड संग्रहों में सबसे बड़ा है.
संग्रह में लिसबन से गोवा की सीधा लिखा-पढ़ी को शामिल किया गया है और यह एशिया में पुर्तगाली विस्तार, अरबों के साथ उनके व्यापारिक विरोधियों और यूरोपीय शक्तियों तथा दक्षिण एशिया और पूर्व एशिया में पड़ोसी राजाओं के साथ उनके संबंधों के अध्ययन का महत्वपूर्ण स्रोत है.
वर्ष 1605 से वर्ष 1651 की अवधि के बीच की घटनाओं से जुड़े 12,000 दस्तावेजों वाले इन 62 संस्करणों को 1777 में, गोवा से लिसबन भेज दिया गया था जहां इन्हें ‘डॉक्यूमेंटोस रेमेटीदोस दा इंडिया’(भारत से भेजे गए दस्तावेज) शीर्षक से वर्ष 1880 और वर्ष 1893 के बीच लिसबन में एकेडमी ऑफ साइंस द्वारा प्रकाशित किया गया. मौलिक संस्करण हमेशा लिसबन में रहे हैं.
पुर्तगाल में भारत की राजदूत ने कहा कि पुर्तगाली प्रधानमंत्री की इस वर्ष भारत की सफल यात्रा के बाद दोनों देश टेक्नोलॉजी से शिक्षा और नागर विमानन से फुटबाल तक विभिन्न क्षेत्रों में मिल सहयोग स्थापित कर सकेंगे. संस्कृति हमारे लोगों के जीवन का महत्वपूर्ण अंग है और इस क्षेत्र में सहयोग सभी को अच्छा लगेगा.
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