INS VAGIR: कलवारी श्रेणी की सबमरीन वागीर नौसेना में हुई शामिल, जानें इसकी ताकत
प्रोजेक्ट 75 के तहत कलवारी श्रेणी की पांचवीं पनडुब्बी वागीर (Vagir) को आज भारतीय नौसेना में शामिल कर दिया गया. भारतीय नौसेना में कलवारी श्रेणी की चार पनडुब्बियों को पहले ही शामिल किया जा चुका है.

Kalvari class submarine Vagir: प्रोजेक्ट 75 के तहत कलवारी श्रेणी की पांचवीं पनडुब्बी वागीर (Vagir) को आज भारतीय नौसेना में शामिल कर दिया गया. पनडुब्बी वागीर के कमीशन के कार्यक्रम के चीफ गेस्ट एडमिरल आर हरि कुमार थे उनकी उपस्थिति में वागीर को नौसेना में शामिल किया गया.
यह कार्यक्रम नौसेना डॉकयार्ड मुंबई में आयोजित किया गया. नौसेना में इसके शामिल होने से भारतीय नौसेना की ताकत और बढ़ी है. भारतीय नौसेना में कलवारी श्रेणी की चार पनडुब्बियों को पहले ही शामिल किया जा चुका है.
The fifth Submarine of Project 75 #Kalvari class, #Vagir commissioned into the #IndianNavy at naval dockyard #Mumbai.#AatmanirbhartaInDefence@DefenceMinIndia @indiannavy @IN_WNC@indiannavy pic.twitter.com/O5DjZQS8NW
— DD News (@DDNewslive) January 23, 2023
सबमरीन वागीर के बारें में:
INS वागीर को एक नए रूप में 12 नवंबर 2020 को लांच किया गया था. इसका निर्माण, स्वदेशी रूप से निर्मित अन्य पनडुब्बियों की तुलना में सबसे कम समय में किया गया है.
यह सबमरीन एंटी सबमरीन वॉर, ख़ुफ़िया सूचना जुटाने, सर्विलांस और समुद्र में माइन बिछाने आदि में सक्षम है. नौसेना में इसके शामिल होने से भारत का समुद्री सुरक्षा तंत्र काफी मजबूत हुआ है.
वागीर खतरनाक हथियारों को ले जानें सक्षम है. वागीर 24 महीने की अवधि में नौसेना में शामिल होने वाली तीसरी पनडुब्बी है.
इसका निर्माण प्रोजेक्ट-75 के तहत किया गया है, भारतीय नौसेना में इसे ऐसे समय में शामिल किया गया है जब हिन्द महासागर में चीन का प्रभाव बढ़ता जा रहा है.
आईएनएस वागीर की खासियत:
आईएनएस वागीर, डीजल इलेक्ट्रिक क्लास की सबमरीन है जिसकी अधिकतम गति 37 किलोमीटर प्रतिघंटे की है.
आईएनएस वागीर समुद्र की सतह पर एक बार में 12 हजार किलोमीटर की दूरी तय कर सकती है साथ ही समुद्र के भीतर 1000 किमी तक का सफ़र तय कर सकती है.
समुद्र की गहराई में इसके प्रदर्शन की बात करे तो यह 350 मीटर की गहराई तक जा सकती है साथ ही लगातार 50 दिन तक समुद्र के भीतर रहने में सक्षम है.
इसके मारक क्षमता की बात करें तो, इसमे 533 mm के 8 टारपीडो ट्यूब लगे हुए है जिनमें मिसाइलों को लोड किया जा सकता है.
क्या है प्रोजेक्ट 75?
भारत ने प्रोजेक्ट 75 के तहत छह सबमरीन का निर्माण कर रहा है. आईएनएस वागीर इस श्रेणी की पांचवीं सबमरीन है जिसे आज नौसेना में शामिल किया गया है. जबकि छठी और आखिरी पनडुब्बी 'वागशीर' (Vagsheer) को भी लॉन्चिंग के बाद समुद्री परीक्षण के लिए उतारा जायेगा.
भारत में इसका निर्माण मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) मुंबई द्वारा किया गया है जिसमें मैसर्स नेवल ग्रुप, फ्रांस ने सहयोग किया है.
सबमरीन वागीर का इतिहास:
वागीर का इतिहास भारतीय नौसेना में काफी पुराना है. इसे सबसे पहले 01 नवंबर 1973 को कमीशन किया गया था. जो कई प्रकार के परिचालन मिशन और निवारक गश्त मिशनों में शामिल था. वागीर भारतीय नौसेना में लगभग तीन दशकों तक अपनी सेवाएं दी थी. वागीर को 07 जनवरी 2001 को सेवामुक्त कर दिया गया था.
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