20 अप्रैल 2016 को वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स 2016 जारी किया गया. इसमें 43.17 अंकों के साथ 180 देशों में भारत 133वें स्थान पर रहा. इस इंडेक्स को रिपोर्ट्स विद्आउट बॉर्डर्स (आरएसएफ) ने प्रकाशित किया था.
अप्रैल 2016 में 40.49 अंकों के साथ भारत 180 देशों में 136 वें स्थान पर था.
इंडेक्स में फिनलैंड सबसे पहले स्थान पर रहा. इसके बाद नीदरलैंड्स, नॉर्वे, डेनमार्क और न्यूजीलैंड क्रमशः दूसरे, तीसरे, चौथे और पांचवें स्थान पर रहे.
इंडेक्स में सबसे आखिरी स्थान पर इरिट्रिया रहा. इससे उपर उत्तर कोरिया, तुर्कमेनिस्तान, सीरिया और चीन थे जिनका स्थान क्रमशः 179, 178, 177 और 176 था.
मुख्य विशेषताएं
• मारे गए पत्रकारों की संख्या और मीडिया के खिलाफ होने वाली हिंसा पर सजा नहीं दिए जाने की वजह से वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में भारत लगातार नीचे के तीसरे स्थान पर बना हुआ है.
• हालांकि भारत की मीडिया गतिशील है और इंडेक्स में आखिरी तीन में आने वाले अधिकांश दूसरे देशों की मीडिया की तुलना में लोकतंत्र के प्रहरी की भूमिका निभाने में कहीं अधिक सक्षम है, फिर भी भारत में स्थिति बद से बदतर होती जा रही है.
• हाल के वर्षों में क्षेत्र और खोजी पत्रकारों पर होने वाली हिंसक गतिविधि मुख्य बाधा के रूप में सामने आई है. जहां भी वे काम करते हैं, भारतीय पत्रकारों पर हिंसा के मामले बढ़ते हैं.
• कई राज्यों में लगातार होते मौखिक और शारीरिक हिंसा, सैन्य समूहों द्वारा हमलों के मामले बढ़ रहे और स्थानीय अधिकारियों को इन मामलों को कम करने में बहुत कम सफलता मिली है.
• एक पत्रकार पर प्रत्येक महीने कम से–कम एक हमले और 2015 में चार पत्रकारों की हत्या ( इनमें से कम– से– कम दो अपने काम से जुड़े थे), उत्तर प्रदेश राज्य भारत का सबसे खतरनाक इलाकों में से एक बन गया है.
• राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार हालांकि 2014 में प्रत्येक तीसरे दिन एक पत्रकार पर हमला हुआ फिर भी भारत सरकार ने पत्रकारों के खिलाफ होने वाली हिंसा के लिए दंड नहीं दिए जाने को रोकने के लिए किसी प्रकार के विशेष इकाई बनाए जाने का कोई प्रावधान नहीं किया है.
वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स
वर्ष 2002 से आरएसएफ सालाना वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स का प्रकाशन कर रहा है. यह निम्नलिखित मानदंडों – बहुलवाद, मीडिया की आजादी, मीडिया का माहौल और स्व– सेंसरशिप, विधायी माहौल, पारदर्शिता, बुनियादी सुविधाएं और प्रताड़ना आदि तथ्यों का प्रयोग कर दुनिया के 180 देशों में पत्रकारों की स्वतंत्रता का स्तर मापता है.
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