हाल ही में DRDO (रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन) ने ओडिशा के चांदीपुर स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज से पृथ्वी-II (Prithvi-II) का ट्रेनिंग लॉन्च को सफलतापूर्वक पूरा किया है.
यह DRDO द्वारा विकसित कम दूरी की, सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल है. जो भारत के पृथ्वी मिसाइल फैमिली का एक भाग है जिसमे धनुष, पृथ्वी-I और पृथ्वी-III जैसी मिसाइलें शामिल है.
Successful training launch of a Short-Range Ballistic Missile, Prithvi-II was carried out today from Integrated Test Range, Chandipur off the coast of Odisha: Ministry of Defence pic.twitter.com/JFGLfODBpI
— ANI (@ANI) January 10, 2023
पृथ्वी-II मिसाइल के बारें में:
यह सतह से सतह (surface-to-surface) पर मार करने वाली कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल है साथ ही यह परमाणु सक्षम (nuclear-capable) मिसाइल है.
पृथ्वी-II को एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (IGMDP) के तहत रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित किया गया था.
पृथ्वी-II का इससे पहले वर्ष 2018 और 2019 में रात के दौरान सफलतापूर्वक टेस्ट किया गया था.
पृथ्वी को DRDO द्वारा इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत विकसित किया गया था.
इस मिसाइल को पहली बार वर्ष 2003 में भारत के सामरिक बल कमान में शामिल किया गया था.
पृथ्वी-II मिसाइल की ताकत?
यह मिसाइल 500-1,000 किलोग्राम तक के हथियार ले जाने में सक्षम है. यह मिसाइल तरल प्रणोदन (liquid propulsion) जुड़वां इंजनों द्वारा संचालित है.
मारक क्षमता: पृथ्वी-II मिसाइल की मारक क्षमता 350 किमी तक की है. यह अत्याधुनिक मिसाइल उच्च स्तर की सटीकता के साथ टारगेट को भेदने में सक्षम है.
पृथ्वी मिसाइल सिस्टम क्या है?
यह भारत की पहली स्वदेशी बैलिस्टिक मिसाइल डेवलपमेंट प्रोजेक्ट है. पृथ्वी मिसाइल प्रणाली में विभिन्न प्रकार की सामरिक सतह से सतह पर कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल (SRBM) शामिल हैं. इसका विकास वर्ष 1983 में शुरू किया गया था.
पृथ्वी I और पृथ्वी III श्रेणी की मिसाइलों के नौसैनिक संस्करण का कोड-नाम धनुष (Dhanush) है. वर्ष 1994 में पृथ्वी I मिसाइल को भारतीय सेना में शामिल किया गया था.
इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम (IGMDP):
'IGMDP' भारतीय रक्षा मंत्रालय का एक कार्यक्रम है जिसकें तहत विभिन्न रेंज की मिसाइलों के अनुसंधान और विकास के लिए चलाया जा रहा है. यह प्रोजेक्ट 1982-1983 में भारत के मिसाइल मैन और दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के नेतृत्व में शुरू किया गया था.
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