भारत और अमेरिका के मध्य 30 नवंबर 2016 को 145 हॉवित्जर तोपों की खरीद समझौते को मंजूरी प्रदान की गयी. भारत और अमेरिका के मध्य लगभग 5000 करोड़ रुपये में इस समझौते पर हस्ताक्षर किये गये थे.
इस समझौते के तहत 145 एम777 हल्की हॉवित्जर तोपें खरीदी जायेंगी जिन्हें चीन की सीमा पर तैनात किया जायेगा. कैबिनेट की सुरक्षा मामलों की समिति ने इस समझौते को मंजूरी प्रदान की.
यह समझौता 15वें भारत-अमेरिका सैन्य सहयोग समूह (एमसीजी) की दो दिवसीय बैठक के दौरान किया गया.
हॉवित्जर तोप
• इन्हें एम777 हल्की तोपों के रूप में जाना जाता है.
• इनके निर्माण में टाइटेनियम का उपयोग होता है. यह 25 किलोमीटर की दूरी तक सटीक निशाना लगा सकती है.
• इसका वजन लगभग 4200 किलोग्राम है जबकि इससे पहले भारतीय सेना में शामिल बोफोर्स तोप का वजन 13,100 किलोग्राम है.
• अमेरिका ने इसे कनाडा, ऑस्ट्रेलिया के बाद भारत को बेचने का निर्णय लिया.
• इसके टारगेट को ऊंचाई के अनुसार तय किया जा सकता है.
पृष्ठभूमि
भारतीय सेना में वर्ष 1980 के बाद से कोई नई तोप शामिल नहीं की गयी. जून 2006 में हॉवित्जर तोप खरीदने के लिए भारत सरकार की अमेरिका से बातचीत आरंभ हुई. उस समय इनकी कीमत 885 मिलियन डॉलर थी. इसके पश्चात् मई 2015 में भारत ने अमेरिका से इन तोपों को दिए जाने का आग्रह व्यक्त किया. यह समझौता भारत सरकार द्वारा सेना के आधुनिकीकरण के लिए 2027 तक चलाये जा रहे कार्यक्रम के तहत किया गया. इस कार्यक्रम पर एक लाख करोड़ रूपये व्यय किये जाने का अनुमान है.
भारत-अमेरिका सैन्य सहयोग समूह (एमसीजी)
भारत-अमेरिका एमसीजी का गठन दोनों देशों के मध्य सामरिक स्तर पर एकीकृत रक्षा स्टाफ एवं अमेरिकी पैसिफ़िक कमांड के मध्य रक्षा क्षेत्र में सहयोग हेतु बनाया गया है. इस बैठक में अमेरिकी सह अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल डेविड एच. बर्गर, कमांडर यूएस मरीन कॉर्प्स फोर्सेज पैसिफिक के लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ ने भाग लिया. अमेरिकी रक्षा बलों का 260 सदस्यीय प्रतिनिधि दल तीनों सेनाओं के मुख्यालय में शामिल हुआ.
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