विश्व बैंक द्वारा 14 मार्च 2018 को इंडिया डेवलपमेंट अपडेट छमाही रिपोर्ट में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती बताया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में जीएसटी बहुत ज्यादा जटिल है.
विश्व बैंक की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 115 देशों की तुलना में भारत में टैक्स रेट दूसरा सबसे ज्यादा है. 1 जुलाई 2017 को लागू किए गए जीएसटी में 5 टैक्स स्लैब हैं. कई सामान और सेवाओं को जीएसटी के दायरे से बाहर भी रखा गया है.
विश्व बैंक की रिपोर्ट के प्रमुख तथ्य
• रिपोर्ट के अनुसार पूरे विश्व में 115 देशों में जीएसटी का प्रावधान लागू है.
• इन 115 देशों में केवल पांच देश, भारत, इटली, लग्जमबर्ग, पाकिस्तान और घाना में पांच टैक्स स्लैब की व्यवस्था है. इनमें भारत को छोड़कर चारों देशों की अर्थव्यवस्था चुनौती भरे दौर से गुजर रही है.
• इसके अलावा जीएसटी वाले 49 देशों में केवल 1 टैक्स स्लैब है जबकि 28 देशों में 2 टैक्स स्लैब रखे गये हैं.
• वर्ल्ड बैंक ने अपनी रिपोर्ट में जीएसटी के बाद टैक्स जमा कराये जाने की धीमी रफ्तार पर भी चिंता जताई है.
• जीएसटी में पांच दरें 0, 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत निर्धारित हैं. इनमें कुछ सामान टैक्स के दायरे में नहीं है तो कुछ जीरो टैक्स रेट (निर्यातक उत्पादन प्रक्रिया के दौरान इनपुट पर लगे टैक्स के लिए रिफंड का दावा कर सकते हैं) पर उपलब्ध हैं.
• विश्व बैंक ने अंतरराष्ट्रीय अनुभवों के आधार पर भविष्य में स्थिति में सुधार आने की उम्मीद जताई है.
• रिपोर्ट में टैक्स रेट की संख्या कम करने, कानूनी प्रावधान और प्रक्रियाओं को सरल बनाने की वकालत भी की गई है.
पृष्ठभूमि
नवंबर 2017 में जीएसटी काउंसिल की गुवाहाटी बैठक में 28 प्रतिशत स्लैब को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया था. पहले इसके दायरे में 228 वस्तुओं एवं सेवाओं को रखा गया था, जिसे घटाकर 50 तक सीमित कर दिया गया. विभिन्न वस्तुओं पर अलग-अलग टैक्स व्यवस्था की गयी है जो कि बेहद जटिल है. जैसे - सोने पर 3 प्रतिशत तो कीमती पत्थरों पर 0.25 प्रतिशत की दर से कर लगाया गया है. इसी प्रकार, अल्कोहल, पेट्रोलियम उत्पाद, रियल एस्टेट पर लगने वाला स्टाम्प ड्यूटी और बिजली बिल को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है.
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