Mangalyaan mission over: भारत का मार्स ऑर्बिटर मिशन (MOM) के मार्स ऑर्बिटर क्राफ्ट का ग्राउंड स्टेशन से संपर्क टूट गया है, जिससे भारत के इस मंगलयान मिशन का अंत हो गया है. इसकी पुष्टि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने कर दी है. मार्स ऑर्बिटर क्राफ्ट ने आठ साल तक लाल ग्रह की परिक्रमा की और महत्वपूर्ण जानकारियां इसरो तक पहुचाई है.
Mars Orbiter craft non-recoverable, Mangalyaan mission over, confirms ISRO
— Press Trust of India (@PTI_News) October 3, 2022
इसरो ने की पुष्टि:
इसरो ने मंगल ग्रह की कक्षा में मार्स ऑर्बिटर के आठ साल पूरे होने के अवसर पर 27 सितंबर को आयोजित एक राष्ट्रीय बैठक पर मार्स ऑर्बिटर मिशन के बारे में अपडेट दिया था. इसरो ने बताया कि मार्स ऑर्बिटर का ग्राउंड स्टेशन से संपर्क टूट गया है.
बैठक में यह भी चर्चा की गयी कि इसे छह महीने के जीवन-काल के लिए डिज़ाइन किए जाने के बावजूद, एमओएम मंगल ग्रह पर और साथ ही सौर कोरोना पर महत्वपूर्ण वैज्ञानिक परिणामों के साथ मंगल ग्रह की कक्षा में लगभग आठ वर्षों तक रहा.
क्यों टूटा संपर्क?
इसरो ने बताया की मार्स ऑर्बिटर का प्रणोदक समाप्त हो जाने के कारण यह निरंतर ऊर्जा उत्पादन के लिए "वांछित ऊंचाई बिंदु" हासिल नहीं कर पाया जिस कारण इसका संपर्क ग्राउंड स्टेशन से टूट गया होगा. मार्स ऑर्बिटर की मदद से इसरो मंगल ग्रह से जुड़े कई महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल की और यह मिशन सफल रहा है.
मार्स ऑर्बिटर मिशन के बारे में:
- मार्स ऑर्बिटर मिशन को 5 नवंबर, 2013 PSLV-C25 की मदद से लांच किया गया था. और इसे पहले प्रयास में 24 सितंबर, 2014 को सफलतापूर्वक मंगल की कक्षा में स्थापित कर दिया गया था.
- यह लगभग 300 दिनों की अंतरग्रहीय यात्रा पूरी करने के बाद मंगल ग्रह की कक्षा में पहुंचा था.
- इस प्रोजेक्ट की कुल लागत लगभग ₹450 करोड़ रूपये थी.
मार्स ऑर्बिटर मिशन का उद्देश्य क्या था?
इस मिशन के उद्देश्य मुख्य रूप से तकनीकी था, मार्स ऑर्बिटर में पांच वैज्ञानिक पेलोड थे जो मंगल ग्रह की सतह की विशेषताओं, आकृति विज्ञान, साथ ही साथ मंगल ग्रह के वातावरण और एक्सोस्फीयर पर महत्वपूर्ण वैज्ञानिक जानकारी ग्राउंड स्टेशन तक पहुचाई.
इसमे लगे पांच उपकरणों में मार्स कलर कैमरा (एमसीसी), मंगल के लिए मीथेन सेंसर (एमएसएम), थर्मल इन्फ्रारेड इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर (टीआईएस), मार्स एक्सोस्फेरिक न्यूट्रल कंपोजिशन एनालाइजर (एमईएनसीए) और लाइमैन अल्फा फोटोमीटर (एलएपी) शामिल थे.
इसरो के आगे के मिशन:
इसरो का मुख्य फोकस 'गगनयान', 'चंद्रयान -3' और ' आदित्य-L1' प्रोजेक्ट्स पर केन्द्रित है. खासकर गगनयान पर यह भारत का मानव सहित अंतरिक्ष यान कार्यक्रम है. गगनयान को तीन लोगों को ले जाने के लिए डिज़ाइन किया जा रहा है.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation