इसरो द्वारा GSAT-7A उपग्रह का सफल प्रक्षेपण

Dec 20, 2018, 10:00 IST

GSAT-7A उपग्रह की सहायता से वायुसेना को भूमि पर राडार स्टेशन, एयरबेस और एयरबॉर्न वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम (AWACS) से इंटरलिंकिंग की सुविधा मिलेगी.

ISRO launched communication satellite GSAT 7A
ISRO launched communication satellite GSAT 7A

इसरो के संचार उपग्रह GSAT-7A का 19 दिसंबर 2018 को श्रीहरिकोटा के स्पेसपोर्ट से सफल प्रक्षेपण किया गया. यह केयू-बैंड के उपयोगकर्ताओं को संचार क्षमताएं मुहैया कराने के साथ-साथ वायुसेना के लिए भी उपयोगी उपग्रह है.

इस उपग्रह की सहायता से वायुसेना को भूमि पर राडार स्टेशन, एयरबेस और एयरबॉर्न वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम (AWACS) से इंटरलिंकिंग की सुविधा मिलेगी, जिससे उसकी नेटवर्क आधारित युद्ध संबंधी क्षमताओं में विस्तार होगा और ग्लोबल कार्यक्षेत्र में दक्षता बढ़ेगी.

इसरो द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, 'यह एक अत्याधुनिक सैटेलाइट है, जिसे भविष्य की जरूरतों के हिसाब से बनाया गया है. यह देश के सबसे दूरदराज के इलाकों में हाथ से पकड़े जाने वाले उपकरणों तथा उड़ते उपकरणों से भी संपर्क कर सकता है.' गौरतलब है कि कुछ समय पूर्व इसरो ने नेवी के लिए रुक्मणि उपग्रह भी लॉन्च किया था. विदित हो कि विश्व में अमेरिका, रूस और चीन जैसे देश ही अभी तक अपनी सेना के लिए इस प्रकार के उपग्रह प्रक्षेपित कर चुके हैं. इस उपग्रह में 4 सोलर पैनल लगाए गए हैं, जिनके जरिए करीब 3.3 किलोवॉट बिजली पैदा की जा सकती है. इसके साथ ही इसमें कक्षा में आगे-पीछे जाने या ऊपर जाने के लिए बाई-प्रोपेलैंट का केमिकल प्रोपल्शन सिस्टम भी दिया गया है.

स्मरणीय तथ्य

•    GSAT-7A का वजन 2,250 किलोग्राम है. इसे GSLV-F11 रॉकेट की सहायता से लॉन्च किया गया है.

•    यह उपग्रह इसरो ने ही तैयार किया है जो कि आठ वर्ष तक सेवाएं दे सकता है.

•    यह उपग्रह वायुसेना के विमान, हवा में मौजूद अर्ली वार्निंग कंट्रोल प्लेटफॉर्म, ड्रोन और ग्राउंड स्टेशनों को जोड़ देगा जिससे एक केंद्रीकृत नेटवर्क तैयार होगा.

•    इस उपग्रह को तैयार करने में लगभग 800 करोड़ रुपये की लागत आई है.

पृष्ठभूमि

इससे पूर्व भारत के सबसे वजनी उपग्रह जीसैट-11 का फ्रेंच गुयाना से एरियनस्पेस रॉकेट की मदद से सफल प्रक्षेपण किया गया. जीसैट-11 का सफल प्रक्षेपण देश में ब्रॉडबैंड सेवा को और बेहतर बनाने में मदद करेगा. इसका प्रत्येक सौर पैनल 4 मीटर से भी बड़ा है तथा यह 11 किलोवाट ऊर्जा का उत्पादन करेगा. जीसैट-11 अगली पीढ़ी का संचार उपग्रह है. इसका जीवनकाल 15 साल से अधिक से ज्यादा का है.

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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