Chandrayaan-3: इसरो अपने तीसरे मून मिशन चंद्रयान -3 की तैयारियों में जुटा हुआ है, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन अपना यह मिशन अगले साल जून में लांच करने की योजना बना रहा है. भारत अगले साल अपने दो महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को लांच करने की तैयारी में है जिसमे इसरो का 'गगनयान' (Gaganyaan) मिशन भी शामिल है.
इसके बारें में बात करते हुए इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान -3 (C-3) का लांच अगले साल जून में व्हीकल मार्क -3 (LVM 3) से होगा. साथ ही उन्होंने कहा कि वर्ष 2024 के अंत तक भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को ऑर्बिट में ले जाने की है.
.@isro to launch #Chandrayaan3, its third mission to the moon, in June next year with more robust lunar rover onboard that is crucial for future inter-planetary explorations.
— All India Radio News (@airnewsalerts) October 21, 2022
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जानें चंद्रयान -3 मिशन के बारें में:
भारत का यह मिशन जुलाई 2019 के चंद्रयान -2 का अनुवर्ती है, जिसका उद्देश्य मून के साउथ पोल पर एक रोवर को उतारना था. जिसे देश के सबसे शक्तिशाली जियोसिंक्रोनस लॉन्च व्हीकल GSLV- MK3 से प्रक्षेपित किया गया था. चंद्रयान -2 मिशन के लैंडर की विक्रम नाम दिया गया था जो लैंडिंग के दौरान क्रैश हो गया था.
इस मिशन में एक ऑर्बिटर और एक लैंडिंग मॉड्यूल होगा लेकिन इस ऑर्बिटर का साइंटिफिक टेक्नोलॉजी कांसेप्ट चंद्रयान-2 से अलग होगा. इसका काम केवल लैंडर को चंद्रमा तक ले जाने, उसकी कक्षा से लैंडिंग की निगरानी और लैंडर और अर्थ स्टेशन के बीच कम्युनिकेशन को स्थापित करने तक सीमित है.
जीएसएलवी-एमके 3 से लांच किया जायेगा मिशन:
जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल मार्क- III को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा डेवलप किया गया था, यह एक तीन फेज वाला लांच इंजन है, जिसे संचार उपग्रहों को ऑर्बिट में लॉन्च करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. इसका भार 640 टन है जो 8,000 किलोग्राम पेलोड को लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) और 4000 किलोग्राम पेलोड को GTO (जियो-सिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट) में स्थापित कर सकता है.
चंद्रयान -2 के बारें में:
इस मिशन में एक ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर शामिल थे जिसे चंद्रमा का अध्ययन करने के लिए भेजा गया था. इसके ऑर्बिटर को चंद्रमा की 100 किलोमीटर की कक्षा स्थापित किया गया था. जो लैंडर और रोवर मॉड्यूल को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग में मदद करता.
इसरो ने लैंडर मॉड्यूल का नाम विक्रम, भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के अग्रदूत विक्रम साराभाई और रोवर मॉड्यूल को प्रज्ञान दिया था. लेकिन दुर्भाग्यवश लैंडर मॉड्यूल 07 सितम्बर 2019 को लैंडिंग के दौरान क्रैश हो गया था.
गगनयान का 'एबॉर्ट मिशन' क्या है?
इसरो ने मानव अंतरिक्ष यान गगनयान के लिए 'एबॉर्ट मिशन' की पहली परीक्षण उड़ान भी तैयार की है. गगनयान की पहली अन मैंड फ्लाइट दो 'एबॉर्ट मिशन' के बाद किया जायेगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इसरो किसी भी घटना के मामले में चालक दल को बचा सके.
पहला 'एबॉर्ट मिशन' उस समय ट्रांस-सोनिक स्थितियों में किए जाने की योजना है जब अंतरिक्ष यान ध्वनि की गति से यात्रा कर रहा हो और 10-15 किमी की ऊंचाई तक पहुंच जाएगा. एबॉर्ट मिशन के एक भाग के रूप में अंतरिक्ष वैज्ञानिक प्रक्षेपण यान से चालक दल को रवाना करने के लिए सेविंग सिस्टम का प्रयोग करेंगे. इन 'एबॉर्ट मिशन' के बाद ही गगनयान मिशन को लांच किया जायेगा.
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