हाल ही में जर्मनी में हुए एक अध्ययन में यह खुलासा हुआ है कि विश्व में उर्जा बचाने हेतु उपयोग हो रही एलईडी लाइट्स अब प्रकाश प्रदूषण को बढ़ावा दे रही है. प्रकाश प्रदूषण पारिस्थितिकी तंत्र पर खतरनाक असर डाल रहा है. इससे जानवरों और इंसानों की नींद लेने की प्राकृतिक प्रक्रिया प्रभावित हो रही है. उनका विकास प्रभावित हो रहा है.
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कीटों, मछलियों, चमगादड़ों, चिड़ियों और अन्य जानवरों की प्रवासन प्रक्रिया प्रभावित हो रही है. इसका नकारात्मक असर पेड़-पौधों के विकास पर भी पड़ रहा है. प्रकाश प्रदूषण शहर में रहने वाले लोगों के लिए रात्रिकालीन आकाश में सितारों को धुंधला कर देता है.
मुख्य तथ्य:
• जर्नल साइंस एडवांसेज में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार धरती पर कृत्रिम रूप से प्रकाशित सतह विकिरण बढ़ा देती है और पिछले चार साल में उसमें दो फ़ीसदी सालाना की दर से वृद्धि हुई है.
• वैज्ञानिकों ने रात्रि प्रकाश के लिए विशेष रूप से तैयार पहले समेकित उपग्रह रेडियोमीटर के आंकड़ों का उपयोग किया. इसमें भारत का भी वर्ष 2012 से वर्ष 2016 का आंकड़ा शामिल है.
• वैज्ञानिकों को डर है कि यह 'प्रतिकूल प्रभाव’ शहरों में व्यक्तिगत नई (एलईडी) प्रकाश व्यवस्था की बचत को आंशिक या पूर्ण रूप से निष्प्रभावी कर सकता है और आसमान को काफी तेज रोशनी से भर सकता है.
• शोधकर्ताओं को यह उम्मीद थी कि सोडियम लाइटों की तुलना में एलईडी बल्बों को ज्यादा इस्तेमाल किए जाने की वजह से अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी जैसे संपन्न राष्ट्रों में कृत्रिम प्रकाश की चमक में कमी आएगी, लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ, लेकिन अमेरिका की स्थिति समान थी और ब्रिटेन और जर्मनी में प्रदूषण में और बड़ोतरी आ गई.
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