भारतीय वैज्ञानिकों ने 8000 वर्ष पुराने जलवायु चक्र का पता लगाया

Nov 22, 2017, 12:50 IST

इसके तहत, शोधकर्ताओं ने केदारनाथ मंदिर से कुछ दूरी पर ग्लेशियर की तलछटी पर पाए गये पांच मीटर मोटी वनस्पति के अवशेषों का अध्ययन किया.

Monsoonal record from Himalaya revealed climate systems
Monsoonal record from Himalaya revealed climate systems

भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा किये गये अध्ययन से भारतीय मानसून के 8000 वर्ष पुराने तथ्यों का पता चला है. भारतीय वैज्ञानिकों ने वर्ष 2013 के केदारनाथ आपदा के बाद वहां पाए गये वनस्पति अवशेषों का अध्ययन किया. इस अध्यन से जलवायु की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का पता लगाया जा सका. यह अध्ययन नवंबर 2017 के तीसरे सप्ताह में साइंटिफिक रिपोर्ट्स जर्नल में प्रकाशित किया गया.

अध्ययनकर्ताओं ने केदारनाथ मंदिर से कुछ दूरी पर ग्लेशियर की तलछटी पर पाए गये पांच मीटर मोटी वनस्पति के अवशेषों का अध्ययन किया. शोधकर्ताओं के अनुसार उन्होंने अवशेष के 129 नमूने एकत्रित किये. इन अवशेषों में मौजूद चुम्बकीय खनिज पदार्थों, पौधों के पराग तथा कार्बन एवं नाईट्रोजन आइसोटोप की मात्रा का अध्ययन किया गया.

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शोध के परिणाम

•    वाडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ हिमालयन जियोलॉजी की अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि जलवायु यदि अत्यधिक गर्म और नमी युक्त होती है तो उस क्षेत्र में चौड़े पत्तों वाले पौधों में अधिक तेजी से विकास होता है.

•    इस स्थिति में प्रकाश संश्लेषण भी अधिक बढ़ जाता है तथा मिट्टी में रोगाणु सक्रिय हो जाते हैं.

•    इसके परिणामस्वरूप पौधों में कार्बन स्थिरीकरण तथा मिट्टी में नाइट्रोजन की स्थिरीकरण को बढ़ावा मिलता है.

•    साथ ही यह भी पाया गया कि ठंडी एवं शुष्क जलवायु में चट्टानें बर्फ के जमाव और पिघलने के दौर से गुजरने के बाद खनिज युक्त अवशेषों की ओर खिसकने लगती हैं.

•    इस अध्ययन से पता चला कि अल नीनो के अतिरिक्त भारतीय मानसून को उत्तरी अटलांटिक तंत्र भी प्रभावित करता है.

•    उन्होंने पाया कि यदि उत्तरी अटलांटिक में तापमान बढ़ता है तो भारतीय मानसून तीव्र होने लगता है.

अध्ययनकर्ताओं में वाडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ हिमालयन जियोलॉजी के प्रदीप श्रीवास्तव, के पी विष्ट, नरेंद्र मीणा, आर जयगोंडापेरूमल शामिल थे. इन शोधकर्ताओं द्वारा किये गये अध्ययन में इस हिमालयन क्षेत्र के 8,000 वर्ष पुराने तथ्य भी सामने आये हैं. शोधकर्ता प्रदीप श्रीवास्तव ने 10,000 वर्ष पुराने ग्लेशियर का अध्ययन कर चुके हैं, उन्होंने पाया कि केदारनाथ में पाए गये अवशेष इससे कम पुराने हैं.

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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