राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने केरल में राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं पर हो रहे हमलों को लेकर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है. आयोग ने इन हिसों के मामले में किसी भी तरह का सुधार होता नहीं देख कर दोबारा स्वत: संज्ञान लिया है. मानवाधिकार आयोग ने चार सप्ताह की समयावाधि में विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अनुसार केरल में राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं पर किए जा रहे हमलों और उनकी हत्या के संबंध में मीडिया में आ रही रिपोर्ट तथा शिकायतों के मामले में केरल के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक से सावधानी बरतने को कहा है.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने राज्य सरकार को इस तरह की घटनाओं को रोकने हेतु प्रभावी कदम उठाने के लिए भी निर्देशित किया है. आयोग के अनुसार किसी भी व्यक्ति को प्रताड़ित करना या हत्या कर देना उसके जीवन जीने के अधिकार का उल्लंघन है.
पार्टी कार्यकर्ताओं की हत्या को विभिन्न राजनैतिक दलों के कार्यकर्ताओं के मध्य बढ़ रही प्रतिद्वंद्विता का संकेत बताते हुए आयोग ने कहा कि इस हिंसा पर तुरंत लगाम लगाने राज्य सरकार की प्राथमिकता है.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने विभिन्न प्रकार के मत और स्वस्थ आलोचना को बहु दलीय लोकतांत्रिक राजनीतिक प्रणाली का अभिन्न हिस्सा बताया लेकिन यह भी कहा कि राजनीति और विचारधारा के नाम पर एक-दूसरे का खून बहाना एक सभ्य समाज में न तो नीतिगत है और न ही स्वीकार्य.
पृष्ठभूमि-
गत 25 जनवरी को भी आयोग ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं की बर्बर हत्या के संबंध में मीडिया में आई रिपोर्ट के आधार पर स्वत: संज्ञान लिया. इसके अलावा आयोग ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के राजशेखरन की शिकायत के आधार पर एक मामला भी दर्ज किया है.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के बारे मे-
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की स्थापना केंद्र सरकार द्वारा अक्टूबर 1993 में मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के अधीन की गई.
आयोग में कुल आठ सदस्य होते हैं. जिनमे एक अध्यक्ष, एक वर्तमान अथवा पूर्व सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश, एक वर्तमान अथवा भूतपूर्व उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश, मानवाधिकार के क्षेत्र में जानकारी रखने वाले कोई दो सदस्य तथा राष्ट्रीय महिला आयोग, राष्ट्रीय अनुसूचितजाति आयोग, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग एवं राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष.
इसके अध्यक्ष सहित सभी सदस्यों का कार्यकाल पांच वर्ष का होता है.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation