पैकेज्ड खाद्य उत्पाद पर जीएम सामग्री का ब्यौरा देना होगा: एफएसएसएआई

May 8, 2018, 16:00 IST

इस प्रस्ताव का शीर्षक है, ‘खाद्य सुरक्षा एवं मानक (लेबलिंग और डिस्प्ले) निर्देश, 2018. इसमें एफएसएसएसआई ने बताया है कि जिन डिब्बा बंद उत्पादों में जीएमओ सामग्री है उन्हें इसका ब्यौरा इसके लेबल पर देना होगा.

Packaged food labels to display if they contain GM ingredients: FSSAI
Packaged food labels to display if they contain GM ingredients: FSSAI

खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) द्वारा 8 मई 2018 को यह प्रस्ताव रखा गया कि डिब्बा बंद खाद्य सामग्रियों में यदि जीएम सामग्री है तो इसकी जानकारी लेबल पर देनी होगी.

42 पृष्ठों के इस प्रस्ताव का शीर्षक है, ‘खाद्य सुरक्षा एवं मानक (लेबलिंग और डिस्प्ले) निर्देश, 2018. इसमें एफएसएसएसआई ने बताया है कि जिन डिब्बा बंद उत्पादों में जीएमओ सामग्री है उन्हें इसका ब्यौरा इसके लेबल पर देना होगा. यदि उस उत्पाद में पांच प्रतिशत या इससे अधिक जीएम सामग्री है तो इसकी जानकारी देना आवश्यक होगा.   

प्राधिकरण हितधारकों की राय का पूरी तरह से विश्लेषण करने के उपरांत ही इस सूचना को औपचारिक रूप से जारी करेगा.

प्रस्ताव के मुख्य बिंदु

  • ·         खाद्य नियामक ने यह भी सुझाव दिया है कि पैक किए गए खाद्य निर्माताओं द्वारा पैक पर प्रति उत्पाद कैलोरी, कुल फैट, ट्रांस फैट, चीनी और नमक आदि के बारे में अनिवार्य रूप से जानकारी दी जानी चाहिए.
  • ·         इस प्रस्ताव में कलर कोड की भी बात कही गई है. उदहारण के लिए यदि किसी उत्पाद में अधिक फैट है अथवा शुगर अधिक है तो उसे अलग रंग में दर्शाया जायेगा.
  • ·         यदि उत्पाद की कुल एनर्जी की तुलना में ट्रांस-फैट एवं सोडियम की एनर्जी की मात्रा 10 प्रतिशत अधिक है तो यह लाल रंग में दर्शाया जायेगा.
  • ·         कलर कोडिंग करने से ग्राहकों को भोजन की पौष्टिकता का पता चल सकेगा तथा उसे अपनी पसंद के अनुसार खाद्य सामग्री चुनने में आसानी होगी.
  • ·         उत्पाद की पौष्टिकता बार कोड के रूप में भी लिखी जानी चाहिए.


हितधारकों की मिली-जुली राय

खाद्य उत्पाद पर लेबल लगाकर जानकारी दिए जाने के बारे में विभिन्न हितधारकों की अपनी-अपनी राय सामने आई है.

कुछ हितधारकों का मानना है कि यह निर्देश व्यावहारिक नहीं है क्योंकि भारत में फ़िलहाल जीएम खाद्य उत्पाद बेचे जाने पर प्रतिबंध है. इस निर्देश के बाद जीएम सामग्री भारत में भी उपलब्ध हो सकेगी. भारत में भले ही जीएम उत्पादों का उपयोग कम होगा लेकिन प्रतिबंधित होने के बावजूद इनका उपयोग आरंभ हो जायेगा.

इसके अतिरिक्त, कुछ हितधारकों का मानना है कि जीएम लेबल किया जाना एक महत्वपूर्ण कदम है लेकिन इसकी जांच के लिए उपयुक्त अनुसंधानशालाएं होनी चाहिए. इन अनुसंधानशालाओं में जीएम सामग्री की जांच के लिए सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए.

यह भी पढ़ें: सीबीडीटी ने भारत और कुवैत कर समझौते में संशोधन को मंजूरी दी


प्रस्ताव के मुख्य बिंदु

·         खाद्य नियामक ने यह भी सुझाव दिया है कि पैक किए गए खाद्य निर्माताओं द्वारा पैक पर प्रति उत्पाद कैलोरी, कुल फैट, ट्रांस फैट, चीनी और नमक आदि के बारे में अनिवार्य रूप से जानकारी दी जानी चाहिए.

·         इस प्रस्ताव में कलर कोड की भी बात कही गई है. उदहारण के लिए यदि किसी उत्पाद में अधिक फैट है अथवा शुगर अधिक है तो उसे अलग रंग में दर्शाया जायेगा. यदि उत्पाद की कुल एनर्जी की तुलना में ट्रांस-फैट एवं सोडियम की एनर्जी की मात्रा 10 प्रतिशत अधिक है तो यह लाल रंग में दर्शाया जायेगा.

·         कलर कोडिंग करने से ग्राहकों को भोजन की पौष्टिकता का पता चल सकेगा तथा उसे अपनी पसंद के अनुसार खाद्य सामग्री चुनने में आसानी होगी.

·         उत्पाद की पौष्टिकता बार कोड के रूप में भी लिखी जानी चाहिए.

 

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
... Read More

यूपीएससी, एसएससी, बैंकिंग, रेलवे, डिफेन्स और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए नवीनतम दैनिक, साप्ताहिक और मासिक करेंट अफेयर्स और अपडेटेड जीके हिंदी में यहां देख और पढ़ सकते है! जागरण जोश करेंट अफेयर्स ऐप डाउनलोड करें!

एग्जाम की तैयारी के लिए ऐप पर वीकली टेस्ट लें और दूसरों के साथ प्रतिस्पर्धा करें। डाउनलोड करें करेंट अफेयर्स ऐप

AndroidIOS

Trending

Latest Education News