राज्यसभा से 02 जनवरी 2017 को दिवालिया संहिता (संशोधन) विधेयक, 2017 को मंजूरी मिलने के साथ ही इसे संसद से पारित कर दिया गया.
लोकसभा में इस विधेयक को पिछले सप्ताह पारित किया गया था. अब यह विधेयक दिवाला और शोधन अक्षमता (संशोधन) अध्यादेश का स्थान लेगा. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि अध्यादेश लाना इसलिए जरूरी था कि इस संबंध में काफी मामले लंबित थे और इस बारे में समयसीमा तय कर दी गई थी. अगर हम और इंतजार करते तो मामले और बढ़ते जाते.
मुख्य तथ्य:
• इस विधेयक के माध्यम से खामियों को दूर करने पर बल दिया गया है ताकि जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वाले बकाएदार खुद की परिसंपत्तियों की बोली नहीं लगा सकें.
• प्रस्तावित परिवर्तनों से तनावग्रस्त परिसंपत्तियों के लिए खरीदारों का चयन करने की प्रक्रिया को सरल बनाने में मदद मिलेगी.
• छोटे एवं मझौले उद्यम क्षेत्र के लिए एक समिति बनाई गई है और उसकी सिफारिशों के आधार पर या तो नया कानून बनेगा या इसी कानून में अलग से प्रावधान किया जाएगा.
• दिवाला और दिवालियापन संहिता का क्रियान्वयन कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है, जिसे दिसंबर 2016 से लागू किया गया है, जो समयबद्ध दिवालिया समाधान प्रक्रिया प्रदान करता है.
• अध्यादेश में भी मामूली संशोधन किया गया है और उसे संशोधित रूप में पारित करने के लिए पेश किया गया है.
• नए प्रावधानों के अनुसार गैर निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) में फंसी कंपनी की नीलामी प्रक्रिया में उसके प्रमोटर तभी हिस्सा ले पाएंगे जब वे बैंकों का बकाया पूरा कर्ज और ब्याज चुका दें.
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