Mangarh Dham: पीएम मोदी ने मंगलवार को राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में स्थित मानगढ़ धाम (Mangarh Dham) को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया है. उन्होंने 'मानगढ़ धाम की गौरव गाथा' कार्यक्रम के दौरान इस बात की घोषणा की है. पीएम मोदी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए इस धाम को आदिवासियों के तप और बलिदान का प्रतीक बताया है.
साथ ही उन्होंने आदिवासी समुदाय के लिए कहा कि भारत का अतीत, वर्तमान और भविष्य इनके बिना अधूरा है. आगे उन्होंने कहा कि 'आजादी अमृत महोत्सव' में मानगढ़ धाम आना हम सभी के लिए प्रेरक और सुखद है, मानगढ़ धाम आदिवासी वीरों के तप, त्याग, तपस्या और देशभक्ति का प्रतिबिंब है. यह राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की एक साझी विरासत है.
#WATCH | At 'Mangarh Dham ki Gaurav Gatha’, Raj CM Gehlot says, "...When PM Modi goes aborad, he receives great honour. Because he's PM of the nation of Gandhi, where democracy is deep-rooted. When world realises this, they feel proud that PM of that country is coming to them..." pic.twitter.com/Mi6HaqueRH
— ANI (@ANI) November 1, 2022
'मानगढ़ धाम' क्यों है फेमस?
मानगढ़ धाम को मुख्य रूप से आदिवासियों के नरसंहार के लिए जाना जाता है. यह घटना 17 नवंबर, 1913 को राजस्थान और गुजरात की सीमा पर स्थित मानगढ़ की पहाड़ियों में घटित हुई थी जहाँ लगभग 1500 भील आदिवासियों को मारा गया था. इस दुखद घटना के बाद मानगढ़ धाम चर्चा में आया था.
यह घटना जलियांवाला बाग हत्याकांड से छः वर्ष पूर्व हुई थी इसलिए इसे आदिवासी जलियांवाला" भी कहा जाता है. यह गुजरात-राजस्थान सीमा पर स्थित एक बड़ी भील जनजातीय आबादी वाला क्षेत्र है.
राष्ट्रीय स्मारक के बारें में:
भारत में राष्ट्रीय स्मारक को 'प्राचीन स्मारक' को प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 के तहत परिभाषित किया जाता है. इसके तहत प्राचीन स्मारक,या किसी गुफा, रॉक-मूर्तिकला, शिलालेख आदि को शामिल किया जाता है. साथ ही ये स्मारक 100 वर्षों से अधिक प्राचीन होने चाहिए.
राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा नामित किया गया है. यह इसके लिए एक नोडल अथॉरिटी के रूप में कार्य करता है. राष्ट्रीय स्मारकों की अधिक संख्या उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे राज्यों में है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, संस्कृति मंत्रालय के तहत कार्य करता है.
भील जनजाति के बारें में:
भील आदिवासी समुदाय पूरे भारत में पश्चिम में गुजरात से लेकर सुदूर पूर्व में त्रिपुरा तक निवास करता है. भील शब्द 'वील' (Veel) से लिया गया है, जिसका अर्थ द्रविड़ भाषा में 'धनुष' होता है. इस समुदाय के लोग धनुष की कला जानने में अत्यधिक कुशल होते है. इन्हे 'भारत का धनुष पुरुष' भी कहा जाता है. घूमर भील जनजाति का पारंपरिक लोक नृत्य है. गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ राज्यों में भी इनकी अधिक संख्या पाई जाती है.
इसे भी पढ़े
Comments
All Comments (0)
Join the conversation