नोटबंदी से अर्थव्यवस्था को 5 लाख करोड़ का फायदा

आंतरिक आंकलन रिपोर्ट के अनुसार लोगों के पास रखी नकदी की संख्या में भी कमी आई है. इस तरह घर में रखे पैसों का अर्थव्यवस्था के विकास में कोई योगदान नहीं होता, ऐसे में इसकी संख्या में कमी देश के फायदेमंद है.

May 26, 2017, 16:19 IST

केंद्र सरकार द्वारा जारी उच्च स्तरीय आंतरिक आंकलन रिपोर्ट के अनुसार पिछले वर्ष नवम्बर में की गई नोटबंदी से अर्थव्यवस्था को 5 लाख करोड़ का फायदा हुआ. नोटबंदी प्रधानमंत्री नरेंद्र द्वारा कालेधन पर लगाम और डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने हेतु की गयी थी. जिसके तहत 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों का चलन बंद कर दिया गया था.

पिछले वर्ष 8 नवंबर तक भ्हार्ट की अर्थव्यवस्था में लगभग 17.77 लाख करोड़ रुपये मूल्य के नोट चलन में थे. मई 2017 आते-आते उपयोग किए जा रहे बैंक नोटों का मूल्य करीब 19.25 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया.

अप्रैल 2017 के अंत में भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार कुल 14.2 लाख करोड़ रुपये के नोट चलन में हैं. इसका आशय यह हुआ कि इस वक्त अर्थव्यवस्था में नकदी की मौजूदगी नोटबंदी न किए जाने की हालत के मुकाबले करीब 5 लाख करोड़ रुपये कम है.

आंतरिक आंकलन रिपोर्ट के अनुसार लोगों के पास रखी नकदी की संख्या में भी कमी आई है. इस तरह घर में रखे पैसों का अर्थव्यवस्था के विकास में कोई योगदान नहीं होता, ऐसे में इसकी संख्या में कमी देश के फायदेमंद है.

रिपोर्ट के अनुसार नोटबंदी के दूसरे फायदों में टैक्स आधार का बढ़ना, डिजिटल लेनेदेन में इजाफा, बैंक जमा में बढ़ोतरी और हाउसिंग सेक्टर में मजबूती भी शामिल है.

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केंद्र सरकार की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अर्थव्यवस्था में इस वक्त 14.2 लाख करोड़ रुपये के नोट चलन में हैं, जो कि सारी ट्रांजैक्शन जरूरतों को पूरा करने के लिए काफी हैं.

इसमें यह भी अनुमान लगाया गया है कि नोटबंदी की वजह से भारत का कुल निजी आयकर राजस्व भी अगले दो वर्षों में बढ़कर दोगुना हो जाएगा और इसके कुछ लाभ अभी से दिखने भी लगे हैं.

वित्त वर्ष 2016-17 के लिए सेल्फ टैक्स असेसमेंट फॉर्म भरने वाले लोगों की संख्या में 23.8 फीसदी का उछाल देखा गया है. सरकार का मानना है कि इस 23.8 फीसदी में से कम से कम 10 फीसदी का बढ़ोतरी को नोटबंदी की वजह से ही देखने को मिली.

नोटबंदी से डिजिटल लेनदेन बढ़ा-

  • इस रिपोर्ट के अनुसार नोटबंदी का एक सबसे बड़ा फायदा यह हुआ कि लोग डिजिटल लेनदेन की तरफ आकर्षित हुए.
  • वित्त वर्ष 2016-17 में कुल 300 करोड़ डिजिटल ट्रांजैक्शन दर्ज की गई.
  • वहीं सरकार का अनुमान है कि वित्तवर्ष 2017-18 के शुरुआती हफ्तों का चलन आगे भी जारी रहा तो इस साल डिजिटल ट्रांजैक्शन की संख्या बढ़कर 2,500 करोड़ तक जा सकती है.
  • पेटीएम, एसबीआई बडी और फ्रीचार्ज आदि मोबाइल वॉलेट के जरिये अभी ही रोजाना करीब 200 करोड़ रुपये का लेनदेन हो रहा है.
  • वहीं भीम (BHIM) ऐप के लॉन्च होने के पांच महीनों के अंदर करीब दो करोड़ लोगों ने इसे डाउनलोड किया है.
  • इस अध्ययन के मुताबिक, भीम (BHIM) और यूपीआई (UPI) पेमेंट गेटवे के जरिये अभी ही करीब रोजाना 140 करोड़ रुपये का लेनदेन हो रहा है.
  • डेजिट कार्ड का भी इस्तेमाल नोटबंदी के बाद से काफी बढ़ा है.
  • वर्ष 2015-16 में जहां डेबिट कार्ड से करीब 117 करोड़ ट्रांजैक्शन हुआ, जो कि करीब 1.58 लाख करोड़ मूल्य का था. वहीं 2016-17 में यह बढ़कर 240 करोड़ डेबिट कार्ड ट्रांजैक्शन हो गया, जिसका कुल मूल्य 3.3 लाख करोड़ रुपये था.
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