RBI Monetary Policy: भारतीय रिज़र्व बैंक ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए अपनी अंतिम द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा (Bi-monthly monetary policy review) की घोषणा कर दी है.
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति की बैठक सोमवार को शुरू हुई थी बैठक के बाद लिए गए निर्णय को आज RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने पेश किया.
दिसंबर की मौद्रिक नीति समीक्षा में, RBI ने रेपो दर को 35 बेसिस पॉइंट्स से बढ़ाकर 6.25 प्रतिशत कर दिया था।. हालांकि, पिछले साल मई के बाद से दर में 225 आधार अंकों (Basis points) की वृद्धि देखी गई है. रेपो रेट के बढ़ने से बैंकों को मिलने वाला कर्ज महंगा होता है, जिस कारण बैंक भी ग्राहकों को कर्ज अधिक ब्याज दरों पर देते हैं.
Monetary Policy Statement by Shri Shaktikanta Das, RBI Governor - February 08, 2023 https://t.co/KGPgzXbpWN
— ReserveBankOfIndia (@RBI) February 8, 2023
रेपो दर को 6.5% तक बढ़ाया:
वित्तीय वर्ष 2022-23 की अंतिम द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद रेपो दर को 6.5% तक बढ़ाया गया है जो पिछली दर से 25 बेसिस पॉइंट्स अधिक है.
यह साल की पहली मौद्रिक नीति स्टेटमेंट है. दिसंबर 2022 में, रेपो दर 0.35 प्रतिशत अंक बढ़ाकर 6.25% कर दी गई थी. 3.35% की रिवर्स रेपो दर में कोई बदलाव नहीं हुआ.
मौद्रिक नीति समिति के फैसले, हाइलाइट्स:
RBI गवर्नर ने बताया कि भारतीय अर्थव्यवस्था लचीली बनी हुई है, 2023-24 के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि 6.4 प्रतिशत अनुमानित है. साथ ही Q1 में वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत, Q2 में 6.2 प्रतिशत, Q3 में 6 प्रतिशत और Q4 में 5.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है.
स्थायी जमा सुविधा दर (Standing deposit facility rate) संशोधित होकर 6.25% और मार्जिनल स्थायी सुविधा दर और बैंक दर 6.75% हो जाएगी.
मौद्रिक नीति समिति ने 6 में से 4 के बहुमत से समायोजन की वापसी पर ध्यान केंद्रित करने का निर्णय लिया. ताकि विकास का समर्थन करते हुए मुद्रास्फीति (Inflation) लक्ष्य के भीतर बनी रहे.
भारतीय अर्थव्यवस्था लचीली बनी हुई है, आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि 2022-23 में वास्तविक GDP वृद्धि 7% होने का अनुमान है.
मॉनेटरी पॉलिसी क्या है?
मॉनेटरी पॉलिसी या मौद्रिक नीति (Monetary policy) मुद्रा आपूर्ति (Money supply) का प्रबंधन करने के लिए रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) द्वारा कार्यान्वित एक प्रक्रिया है. इसके तहत मुद्रास्फीति (Inflation) और उपयुक्त विनिमय दर पर कंट्रोल रखा जाता है, साथ ही आर्थिक विकास को बढ़ावा देने जैसे विशिष्ट लक्ष्य को हासिल करने का प्रयास किया जाता है.
मॉनेटरी पॉलिसी खुले बाजार संचालन और विदेशी मुद्रा व्यापार के माध्यम से, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से, ब्याज दरों को बदलने पर जोर देती है.
मौद्रिक नीति का उद्देश्य:
मौद्रिक नीति का प्राथमिक लक्ष्य विकास को ध्यान में रखते हुए मूल्य स्थिरता बनाए रखना है. लंबी अवधि के विकास के लिए मूल्य स्थिरता एक जरुरी शर्त है. मौद्रिक नीति RBI की मौद्रिक नीति समिति द्वारा मूल्य स्थिरता, वित्तीय स्थिरता, रोजगार सृजन, अर्थव्यवस्था में तेजी और विनिमय दर स्थिरीकरण जैसे लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए लाया जाता है.
मौद्रिक नीति समिति (MPC):
RBI एक्ट, 1934 (RBI अधिनियम) को वित्त अधिनियम, 2016 द्वारा संशोधित किया गया था, ताकि मूल्य स्थिरता बनाए रखने के लिए मौद्रिक नीति समिति के लिए एक सांविधिक और संस्थागत ढांचा प्रदान किया जा सके.
MPC केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त छह सदस्यीय समिति है. इसकी अध्यक्षता RBI के गवर्नर द्वारा किया जाता है.
MPC की प्रति वर्ष कम से कम चार बैठक जरुरी है. MPC की बैठक में चार सदस्यों के कोरम की आवश्यकता होती है. MPC के प्रत्येक सदस्य के पास एक वोट का अधिकार होता है और टाई होने की स्थिति में, RBI गवर्नर के पास दूसरे वोट का अधिकार होता है ताकि अंतिम निर्णय लिया जा सके.
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