भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 04 सितम्बर 2017 को एचडीएफसी बैंक को अपनी ‘टू बिग टू फेल’ लिस्ट में शामिल कर लिया. रिजर्व बैंक ऐसे बड़े बैंकों को अपनी डोमेस्टिक सिस्टेमिकली इमपोर्टेंट (डी-एसआईबी /D-SIB) श्रेणी में रखता है.
इस सूची में वे वित्तीय संस्थान शामिल किए जाते हैं जिनका विफल होना देश की अर्थव्यवस्था के लिए सहन नहीं किया जा सकता. यानि किसी भी तरह की वित्तीय संकट के समय उन्हें सरकार से मदद अपेक्षित है.
इस श्रेणी में वर्ष 2015 में एसबीआई और आईसीआईसीआई बैंक पहले ही शामिल हैं. इस तरह से वित्तीय संस्थानों की इस विशिष्ट सूची में अब तीन बैंक हो गए. इस श्रेणी के बैंक वित्तीय तंत्र में किसी भी फेलियर के दौरान अनियमितता रोकने के इरादे से आरबीआई कड़ी नजर रखता है.
भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से जारी बयान के मुताबिक इन बैंकों को अपनी कॉमन इक्विटी टायर-1 (CET1) को बढ़ाना होगा. इसकी शुरुआत 1 अप्रैल 2016 से हो गई है, जो 1 अप्रैल 2019 से पूरी तरह से लागू होगी.
वर्ष 2015 से रिजर्व बैंक हर अगस्त में इस श्रेणी में आने वाले बैंक के नाम जारी करता है. रिजर्व बैंक हर बैंक को सिस्टेमेटिक इमर्पोटेंट स्कोर (एसआईसी) देता है जिसके आधार पर ऐसे बैंक का चयन किया जाता है.
पिछले 2 सालों में बैलेंस शीट के अलावा बाजार पूँजी के मामले में एचडीएफसी बैंक ने आईसीआईसीआई बैंक को पीछे छोड़ दिया. 30 जून 2017 को आईसीआईसीआई बैंक की 4.64 लाख करोड़ रुपये की बाजार पूँजी की तुलना में एचडीएफसी बैंक की बाजार पूँजी 5.8 लाख करोड़ रुपये थी.
बीएसई में एचडीएफसी बैंक का शेयर 04 सितम्बर 2017 को 1,752.25 रुपये के बंद स्तर की तुलना में हरे निशान में 1,760.00 रुपये पर खुला और 1,764.90 रुपये के उच्च स्तर तक चढ़ा.
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