साहित्य अकादमी ने भारतीय भाषाओं के 23 लेखकों को 12 फरवरी 2018 को अपना वार्षिक पुरस्कार प्रदान किया. साहित्य अकादमी के वार्षिक महोत्सव ‘फेस्टीवल आफ लेटर्स’ के दौरान लेखकों को एक उत्कीर्ण की हुई तांबे की पट्टिका, एक शॉल और एक लाख रूपये नकद राशि प्रदान की गई.
साहित्य अकादमी के नवनिर्वाचित अध्यक्ष चंद्रशेखर कंबार ने कहा कि अंग्रेजी, बोडो, तेलुगू, हिंदी और पंजाबी सहित सभी 23 भाषाओं में लिखी गई अधिकतर पुरस्कृत पुस्तकें सामाज और सामाजिक मुद्दों पर केंद्रित हैं.
पुरस्कृत लेखक
• पुरस्कृत कवियों में उदय नारायण सिंह (मैथिली), श्रीकांत देशमुख (मराठी), भुजंगा टुडू (संथाली), निरंजन मिश्रा (संस्कृत) और टी देवीप्रिय (तेलुगू) शामिल हैं.
• पुरस्कृत लेखकों में शिव मेहता (डोगरी), गजानन जोग (कोंकणी), गायत्री सराफ (उड़िया) और मोहम्मद बेग एहसास (उर्दू) शामिल हैं.
• असमिया में जयंत माधब बोरा को उनकी किताब 'मोरिआहोला' के लिए पुरस्कृत किया गया.
• बांग्ला में अफसार अहमद को उनकी किताब 'सेई निखोंज मानुषता' के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया.
• बोडो में रीता बोरा को 'थवीसम' के लिए इनाम मिला. डोगरी में शिव मेहता को 'बन्ना', अंग्रेजी में ममंग दाई को 'द ब्लैक हिल' और गुजराती में उर्मी घनश्याम देसाई को उनकी पुस्तक 'गुजराती व्याकरण ना बासो वर्षा' के लिए पुरस्कार दिया गया.
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• ममंग दई (अंग्रेजी) को उनके उपन्यास द ब्लैक हिल के लिए सम्मानित किया गया.
• हिंदी में रमेश कुंतल मेघ को उनकी कृति 'विश्व मिथक, सरिता सागर' के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया.
• कन्नड़ में टी.पी. अशोक को 'कथाना भारती', कश्मीरी में अवतार कृष्ण रबर को 'येली पर्दा वोथ' और कोंकणी में गजानन रघुनाथ जोग को 'खंड अनी हेर कथा' के लिए इनाम दिया गया.
• उड़िया में गायत्री सराफ को 'एतावातिरा शिल्पी', पंजाबी मे नछत्र को 'स्लोडाउन', राजस्थानी में नीरज दइया को 'बीना हसलपाई', संस्कृत में निरंजन मिश्रा को 'गंगापुत्रावादानम', संथाली में भुजंग तुदु को 'ताहेनान तांगी रे', और सिंधी में जगदीश लछानी को 'आछेंदे लाजा मारान' के लिए पुरस्कृत किया गया.
• तेलुगू में टी. देवीप्रिया को 'गालीरंगू' और उर्दू में मोहम्मद बेग अहसास को 'दखमा' के लिए पुरस्कृत किया गया.
साहित्य अकादमी सम्मान
यह एक साहित्यिक पुरस्कार है जिसे प्रतिवर्ष भारतीय लेखकों को उनकी कृतियों के लिए दिया जाता है. इस पुरस्कार की शुरुआत 1954 में हुई थी, इसे भारत की सभी भाषाओँ के लिए दिया जाता है. भारतीय फ़िल्मकार सत्यजीत रे इस पुरस्कार के डिज़ाइनर थे.
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