देश का सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार हिंदी की वरिष्ठ साहित्यकार कृष्णा सोबती को दिया जायेगा. कृष्णा सोबती को वर्ष 2017 के लिए यह पुरस्कार दिया जायेगा.
प्रवर परिषद की बैठक में प्रो. नामवर सिंह की अध्यक्षता में 53वां ज्ञानपीठ पुरस्कार हिंदी साहित्य की वरिष्ठ साहित्यकार कृष्णा सोबती को देने का निर्णय किया गया. यह पुरस्कार साहित्य के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रदान किया जाएगा.
कृष्णा सोबती के बारे में
• कृष्णा सोबती का जन्म 18 फरवरी 1924 को गुजरात (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ. उन्हें साहसपूर्ण रचनात्मक अभिव्यक्ति के लिए जाना जाता है.
• 1950 में कहानी ‘लामा’ से साहित्यिक सफर शुरू करने वाली सोबती स्त्री की आजादी और न्याय की पक्षधर रहीं हैं.
• उनके रचनाकर्म में निर्भिकता, खुलापन और भाषागत प्रयोगशीलता स्पष्ट परिलक्षित होती है.
• कृष्णा सोबती को उनके उपन्यास ‘जिंदगीनामा’ के लिए साल 1980 का साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था.
• उन्हें 1996 में अकादमी के उच्चतम सम्मान ‘साहित्य अकादमी फैलोशिप’ से नवाजा गया था.
• इसके अलावा कृष्णा सोबती को पद्मभूषण, व्यास सम्मान, शलाका सम्मान से भी नवाजा जा चुका है.
• कृष्णा सोबती के कालजयी उपन्यासों ‘सूरजमुखी अँधेरे के’, ‘दिलोदानिश’, ‘ज़िन्दगीनामा’, ‘ऐ लड़की’, ‘समय सरगम’, ‘मित्रो मरजानी’, ‘जैनी मेहरबान सिंह’, ‘हम हशमत’, ‘बादलों के घेरे’ ने कथा साहित्य को बेहतरीन अनुभव प्रदान किया है.
• हाल में प्रकाशित ‘बुद्ध का कमंडल लद्दाख’ और ‘गुजरात पाकिस्तान से गुजरात हिन्दुस्तान’ भी उनके लेखन के उत्कृष्ट उदाहरण है.
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ज्ञानपीठ पुरस्कार के बारे में
ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय ज्ञानपीठ न्यास द्वारा भारतीय साहित्य के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार है. भारत का कोई भी नागरिक जो आठवीं अनुसूची में बताई गई 22 भाषाओं में से किसी भाषा में लिखता हो इस पुरस्कार के योग्य है. पुरस्कार में ग्यारह लाख रुपये की धनराशि, प्रशस्तिपत्र और वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा दी जाती है.
पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार 1965 में मलयालम के लेखक जी शंकर कुरूप को प्रदान किया गया था. सुमित्रानंदन पंत ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित होने वाले हिन्दी के पहले रचनाकार थे. कृष्णा सोबती ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित होने वाली हिन्दी की 11वीं रचनाकार हैं. इससे पहले हिन्दी के 10 लेखकों को ज्ञानपीठ पुरस्कार मिल चुका है. इनमें पंत, दिनकर, अज्ञेय और महादेवी वर्मा शामिल हैं.
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