अमित शाह, गृह मंत्री, भारत सरकार की अध्यक्षता में गत सोमवार को राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति सम्मेलन में महत्त्वपूर्ण प्रतिष्ठानों पर चीन की ओर से बढ़ते साइबर हमले पर चर्चा की गई.
इस सुरक्षा बैठक में मध्य प्रदेश पुलिस ने कानूनी और प्रशासनिक क्षेत्र की ऐसी विभिन्न कमियों के बारे में अपनी एक प्रस्तुति दी जो ऐसे मामलों की जांच में एक बाधा बन जाती थी.
इस सुरक्षा बैठक में उपस्थित सभी प्रतिभागियों को यह बताया गया कि, जहां हाल ही में हुए पाकिस्तानी साइबर हमले पहचान और व्यक्तिगत डाटा की चोरी पर केंद्रित थे, वहीं चीनी हैकर अधिक माहिर थे और वे किसी भी नेटवर्क पर अपनी इच्छा से हमला करके उसे अपने नियंत्रण में कर लेते थे.
इस सम्मेलन में भाग लेने वाले एक अधिकारी ने यह कहा कि, “कई चोक पॉइंट हैं जो ऐसी किसी भी जांच को रोकते हैं, जैसेकि संदेश की उत्पत्ति और डाटा पैकेट कहां से अपलोड किया गया था. गृह मंत्री ने इस अंतराल को समाप्त करने के लिए आवश्यक किसी भी कानूनी ढांचे में तेजी लाने पर अपनी सहमति व्यक्त की है”.
भारत के विभिन्न बिजली केंद्र को बनाया गया टारगेट
केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने 01 मार्च, 2021 को यह बताया था कि, भारत सरकार ने नवंबर, 2020 और फरवरी, 2021 के बीच. विभिन्न भारतीय बिजली केंद्रों को लक्षित करके "राज्य प्रायोजित" हुए साइबर हमलों के दौरान चीनी हैकर समूहों को विफल कर दिया था. अमेरिकी साइबर सुरक्षा और खुफिया फर्म रिकॉर्डेड फ्यूचर ने यह पाया है कि, ऐसा हो सकता है कि, मई, 2020 में भारत-चीन के बीच सीमा तनाव बढ़ने के बाद से, भारतीय पावर ग्रिड और बंदरगाहों पर चीनी राज्य-प्रायोजित हैकर्स द्वारा मैलवेयर तैनात किया हो.
इस सुरक्षा सम्मेलन में, जोकि खुफिया ब्यूरो मुख्यालय में आयोजित एक वार्षिक कार्यक्रम है, सभी राज्यों के पुलिस महानिदेशक और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) के महानिदेशकों ने भाग लिया था. नौ घंटे तक चले इस सम्मेलन को अलग-अलग सत्रों में बांटा गया था.
इस सुरक्षा बैठक में भारत में अवैध प्रवास और आतंकवाद विरोधी उपायों पर भी विस्तृत चर्चा की गई.
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इस्लामी आतंकवाद के बारे में हुआ महत्त्वपूर्ण डिस्कशन
एक अधिकारी ने यह बताया कि, “यह आतंकवाद विरोधी सत्र इस्लामी आतंकवाद के आसपास केंद्रित था. अन्य धर्मों से जुड़े अतिवाद का इसमें कोई उल्लेख नहीं था”.
इस सत्र में अवैध प्रवासियों के मुद्दे पर रोहिंग्या प्रवासी संकट के बारे में चर्चा की गई.
रोहिंग्या म्यांमार का एक ऐसा जातीय समूह है जिसमें ज्यादातर मुसलमान हैं और जिन्हें पड़ोसी देश में उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है. ये लोग वर्ष, 2012 से बांग्लादेश, भारत और सऊदी अरब में शरण लिए हुए हैं.
हालांकि गृह मंत्रालय ने पिछले वर्ष, मार्च माह में संसद को यह सूचित किया था कि, रोहिंग्या पर कोई सटीक डाटा नहीं है, लेकिन उसने आगे ```यह भी कहा था कि, भारत में लगभग 40,000 रोहिंग्या हैं.
अफगानिस्तान पर नहीं की गई चर्चा
इस बैठक में तालिबान के अफगानिस्तान में सत्ता संभालने के परिणामों पर चर्चा नहीं की गई. एक अधिकारी ने यह बताया कि, इस साल के अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में होने वाली वार्षिक पुलिस महानिदेशक (DGP बैठक में इस विषय पर चर्चा की जाएगी.
इस बैठक के दौरान विरोध प्रदर्शनों में कुछ गैर-सरकारी संगठनों (NGO) की भूमिका पर भी प्रकाश डाला गया.
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गृह मंत्रालय, भारत सरकार का ट्वीट
“CPFs के सभी DGPs और DGs की उपस्थिति को देखते हुए विचार-विमर्श काफी व्यापक था. इस सम्मेलन में विभिन्न आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया गया और उनसे मजबूती से निपटने के तरीकों पर भी चर्चा की गई, ”गृह मंत्रालय ने अपने एक ट्वीट में यह स्पष्ट किया है.
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