जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी का निधन
गिलानी और उनके समर्थकों ने हुर्रियत से अलग होकर 2003 में एक अलग संगठन बना लिया था. वह आजीवन हुर्रियत (गिलानी) के चेयरमैन चुन लिए गए थे. उन्होंने जून 2020 में हुर्रियत को छोड़ दिया था.

जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी का 01 सितंबर 2021 को श्रीनगर में निधन हो गया. वे 91 वर्ष के थे. प्रशासन ने एहतियातन घाटी में सुरक्षा व्यवस्था को सख्त करते हुए इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी हैं. गिलानी के निधन के बाद पूरी घाटी में अलर्ट कर दिया गया. पुलिस तथा सुरक्षा बलों की संवेदनशील स्थानों पर तैनाती कर दी गई है.
केंद्र शासित प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने गिलानी के निधन पर दुख जताया. उन्होंने कहा कि गिलानी साहब के निधन की खबर से दुखी हूं. हम ज्यादातर बातों पर सहमत नहीं हो सकते हैं, लेकिन मैं उनकी दृढ़ता और उनके विश्वासों के साथ खड़े होने के लिए उनका सम्मान करती हूं. अल्लाहताला उन्हें जन्नत और उनके परिवार तथा शुभचिंतकों के प्रति संवेदना प्रदान करें.
Saddened by the news of Geelani sahab’s passing away. We may not have agreed on most things but I respect him for his steadfastness & standing by his beliefs. May Allah Ta’aala grant him jannat & condolences to his family & well wishers.
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) September 1, 2021
इतने साल तक रहे विधायक
सैयद अली शाह गिलानी 15 सालों तक पूर्व जम्मू कश्मीर राज्य की 87 सदस्यों वाली विधानसभा के सदस्य रहे थे. वे 1972, 1977 और 1987 में तत्कालीन जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सोपोर से सदस्य रहे. वे जमात-ए-इस्लामी का प्रतिनिधित्व करते थे जिसे अब प्रतिबंधित कर दिया गया है.
एक अलग संगठन बना लिया
गिलानी और उनके समर्थकों ने हुर्रियत से अलग होकर 2003 में एक अलग संगठन बना लिया था. वह आजीवन हुर्रियत (गिलानी) के चेयरमैन चुन लिए गए थे. उन्होंने जून 2020 में हुर्रियत को छोड़ दिया था.
सैयद अली शाह गिलानी के बारे में
कश्मीरी नेता सैयद अली शाह गिलानी का जन्म 29 सितंबर 1929 को हुआ था. उन्होंने जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी समर्थक दलों के समूह, ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया.
वे पहले जमात-ए-इस्लामी कश्मीर के सदस्य थे, लेकिन बाद में तहरीक-ए-हुर्रियत की स्थापना की. हाल में ही उन्हें 14.4 लाख रुपये के जुर्माने की भुगतान को लेकर रिमाइंडर नोटिस भेजा गया था. यह जुर्माना उनपर प्रवर्तन निदेशालय द्वारा FEMA के तहत लगाया गया था.
मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट आफ कश्मीर और हुर्रियत कांफ्रेंस के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले गिलानी ने अल्लामा इकबाल पर भी किताब लिखी थी. अलगाववाद व इस्लाम से जुड़े विषयों पर चार किताबें लिखी थीं.
उन्होंने जम्मू और कश्मीर में अलगाववादी दलों के समूह, ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया है. वे मूल रूप से सोपोर जिले के रहने वाले थे. उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई पाकिस्तान के लाहौर से की थी.
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