राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के निर्देश पर ओडिशा के पंचायतीराज विभाग ने बर्तन प्रणाली प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया. इस प्रथा को समाप्त करने की अधिसूचना 9 मार्च 2011 को जारी की गई.
विदित हो कि बर्तन प्रणाली प्रथा के अंतर्गत अगड़ी जातियों के लोग केवल 15 किलोग्राम धान देकर नाई और धोबी का काम करने वाले पिछड़ी जातियों के व्यक्तियों से पूरे वर्ष भर विशेषकर शादी-ब्याह के अवसरों पर बेगार करवाते हैं. बाघम्बर पटनायक ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में दिसम्बर 2008 में इस बारे में शिकायत दायर की थी. पटनायक ने नलीबसंत गांव का उदाहरण देते हुए बताया था कि नाई और धोबी का काम करने वालो से अगड़ी जातियों के लोग अपने पैर भी धुलवाते है.
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