केंद्र सरकार ने जलवायु परिवर्तन से संबंधित चार परियोजनाओं को 28 दिसंबर 2015 को अपनी मंजूरी दी. इसके तहत जलवायु परिवर्तन पर आठवीं राष्ट्रीय संचालन समिति (एनएससीसीसी) ने तमिलनाडु, केरल और पंजाब से संबंधित चार परियोजनाओं को मंजूरी दी.
उपरोक्त एनएससीसीसी के बैठक के एजेंडे में जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय अनुकूलन कोष (एनएएफसीसी) द्वारा वित्त पोषण के लिए तमिलनाडु और केरल सरकार द्वारा सौंपी गई विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) पर विचार करना शामिल था. इसके अलावा मध्य प्रदेश, पंजाब और तमिलनाडु सरकार द्वारा जलवायु परिवर्तन एक्शन प्रोग्राम (सीसीएपी) के तहत सौंपी गई परियोजनाओं का प्रस्तुतिकरण भी शामिल था.
तमिननाडु सरकार द्वारा सौंपे गए प्रोजेक्ट का शीर्षक ‘तटीय निवासियों का पुनर्वास एवं प्रबंधन और तमिलनाडु में मन्नार की खाड़ी में जलवायु परिवर्तन के अनुकूल तथा सतत आजीविका के लिए जैव विविधता’था. इस परियोजना की कुल लागत 24.74 करोड़ रुपये होगी और इसके तहत तूतीकोरिन जिले के 23 तटीय गांवों को कवर किया जाएगा. चार साल की इस परियोजना के चार बड़े उद्देश्य हैं - आधारभूत भेद्यता अध्ययन, मूंगा पुनर्वास, समुद्री घास पुनर्वास, 6000 कृत्रिम चट्टान (एआर) मॉड्यूल की तैनाती और परियोजना के तहत आने वाले गांवों में आर्थिक विकास की गतिविधियां. इस परियोजना से बहुप्रतीक्षित ‘मूंगा एवं समुद्री घास को फिर से लगाने की योजना अथवा व्यापक रणनीति’ को तैयार करने में मदद मिलेगी. यह कोरल पारिस्थितिकी तंत्र, प्रजाति विविधता, मछली पकड़ने/प्रयास, मानवीय दबाव और प्रवास एवं जीवित रहने की दर पर आधारित डेटाबेस को बढाने में मददगार होगी. परियोजना की गतिविधियों से प्रत्येक गांव में 15 स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के आर्थिक सशक्तिकरण का रास्ता खुलेगा और 6,900 महिलाओं को फायदा होगा. यह परियोजना मत्स्य पालन विभाग, वन विभाग, टीएनएससीसीसी, जीओएमबीआरटी, आईआईटी चेन्नई, अन्ना विश्वविद्यालय जैसे विभागों की नियमित बैठक के जरिये ज्ञानवर्धन के लिए एक मंच तैयार करेगी और भविष्य के संरक्षण के प्रयासों के रोडमैप के लिए योजना बनाएगी. अनुमान है कि इस परियोजना के जरिए मछुआरा समुदाय के लिए प्रतिवर्ष 1.84 करोड़ रुपये और महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के 1.03 करोड़ रुपये का राजस्व जुटाने की क्षमता है. पर्यावरण विभाग एवं तमिलनाडु की राज्य संचालन समिति परियोजना के समूचे कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने के लिए जिम्मेदार होंगे.
एक अन्य परियोजना केरल सरकार द्वारा प्रस्तुत की गई. इसका शीर्षक ‘केरल की तटीय झीलों में कईपड और पोक्कली की समन्वित कृषि प्रणाली को बढ़ावा’ था. एकीकृत कृषि पद्धति की कल्पना वाली इस परियोजना की कुल लागत 33.73 करोड़ रुपये है. चार साल की परियोजना के लिए प्रस्तावित क्षेत्र 600 हेक्टेयर (कन्नूर जिले में 300 हेक्टेयर और एर्नाकुलम, त्रिशूर और अलाप्पुझा जिलों में 300 हेक्टेयर) है. इसके व्यापक उद्देश्यों में - पर्याप्त ऊंचाई के साथ मजबूत बाहरी 'बांध' के लिए मुख्य बुनियादी सुविधा उपलब्ध कराना; नमकीन पानी में भी होने वाले लंबी किस्म के धान का उपयोग, धान की खेती को बढ़ाने के लिए एकीकृत मत्स्य पालन और स्थायी जल कृषि के माध्यम से अंतर्देशीय मछली का उत्पादन बढ़ाना शामिल है. इस परियोजना के लिए एक्वाकल्चर विकास एजेंसी (अदक), मत्स्य विभाग और केरल सरकार निष्पादित इकाई होगी. यह परियोजना ऐसी निचली झीलों में चावल की खेती और झींगा/मछली पालन में मददगार होगी, जहां पहले यह नहीं किया गया है। इससे होने वाली उच्चतम सुलभ आय के जरिए स्थानीय किसानों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा. यह ताजे पानी की उपलब्धता में सुधार करेगा, क्योंकि परिधीय 'बांध' ताजा पानी के स्रोतों में समुद्र के पानी के रिसाव को रोक देंगे. इससे किसानों की क्षमता निर्माण में मदद मिलेगी, महिलाओं को रोजगार प्राप्त होगा और आस-पास के क्षेत्रों से मजदूरों के विस्थापन को कम किया जा सकेगा. इससे कार्बन उत्सर्जन को कम करने में भी मदद मिलेगी, क्योंकि झीलों में कार्बन सिंक के रूप में काम करने की अच्छी क्षमता होती है. ऐसा अनुमान है कि इस परियोजना के तहत 23.25 करोड़ रुपये वार्षिक का संभावित राजस्व जुटाया जा सकता है.
विदित हो कि जलवायु परिवर्तन एक्शन प्रोग्राम के तहत, समिति ने तीन परियोजनाओं पर विचार किया. इनमें मध्य प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तुत ‘आजीविका सुरक्षा बढ़ाने के लिए समन्वित खेती प्रणाली के माध्यम से लचीलापन’ परियोजना, पंजाब सरकार द्वारा पेश ‘धान के भूसे के लाभकारी उपयोग के लिए तकनीकी संयोजन (वर्तमान में खेत पर ही जला दिया जाता है), इसमें जीवाश्म ईंधन के बदले ईंधन का उपयोग होगा’ और तमिलनाडु सरकार द्वारा पेश ‘मन्नार की खाड़ी में जलवायु परिवर्तन के अनुकूल तटीय निवासियों का पुनर्वास, दक्षिण पूर्व भारतः पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं और मछुआरों की आजीविका में सुधार’ परियोजना शामिल थीं. समिति ने पंजाब और तमिलनाडु सरकार की परियोजनाओं को मंजूरी दे दी. इन पर क्रमशः 3.54 करोड़ और 67 लाख की अनुमानित लागत आएगी.
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